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जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: अब कब और कैसे होगा नए उपराष्ट्रपति का चुनाव? पूरी प्रक्रिया जानें

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: अब क्या? नए उपराष्ट्रपति की कहानी कब और कैसे लिखी जाएगी?

तो खबर यह है कि जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। अब सवाल यह है कि आगे क्या? देखिए, यह कोई रूटीन प्रक्रिया नहीं है – यह तो वैसा ही है जैसे किसी क्रिकेट मैच के बीच में ही कप्तान ने टीम छोड़ दी हो। चुनाव आयोग अगले 24 घंटे में नोटिफिकेशन जारी करेगा, और संविधान के मुताबिक पूरी प्रक्रिया एक महीने में पूरी हो जाएगी। लेकिन सच कहूं तो, यह सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि देश की राजनीति का एक नया अध्याय शुरू करने वाला है।

धनखड़ का सफर: कहां से कहां तक?

2022 में जब धनखड़ को 14वां उपराष्ट्रपति चुना गया था, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह कहानी इतनी जल्दी बदलेगी। एक पूर्व राज्यपाल और वकील के तौर पर उनका राजनीतिक करियर काफी दिलचस्प रहा। पर यह अचानक इस्तीफा? है ना कुछ अजीब सा? अब तो संविधान का अनुच्छेद 67 सामने आ गया है – पद खाली हुआ तो नया चुनाव होगा ही। राजनीति के जानकारों की नजरें अब इसी पर टिकी हैं।

चुनाव प्रक्रिया: गणित क्या कहता है?

असल में बात यह है कि उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव जैसी ही है, पर थोड़ी अलग। जैसे दोनों में दाल-रोटी तो एक जैसी, मगर मसाले अलग। चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन आते ही नामांकन, जांच और वोटिंग का सिलसिला शुरू हो जाएगा। और याद रखिए – यह वोटिंग सिर्फ राज्यसभा और लोकसभा के elected members ही करेंगे। गुप्त मतदान होगा, और जीतने के लिए बहुमत चाहिए। सीधी सी बात है न?

पर एक बात और। उपराष्ट्रपति सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि राज्यसभा का सभापति भी होता है। तो सोचिए, सत्तारूढ़ दल के लिए यह सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक मूव है। गेम ऑफ थ्रोन्स जैसा कुछ।

राजनीतिक रिएक्शन: कौन क्या बोला?

अब तो सभी पार्टियों की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। भाजपा वाले कह रहे हैं कि जल्द ही अपना उम्मीदवार घोषित करेंगे। वहीं विपक्षी दल – कांग्रेस, TMC, Left parties – transparency की मांग कर रहे हैं। मजे की बात यह कि यह सब 2024 के general elections से ठीक पहले हो रहा है। संयोग? शायद नहीं।

कॉन्स्टिट्यूशनल एक्सपर्ट्स की मानें तो यह चुनाव सिर्फ एक पद भरने तक सीमित नहीं है। यह तो देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है। उपराष्ट्रपति का पद legislative strategy में भी अहम रोल निभाता है। थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड है, पर समझने लायक।

आगे क्या? किसकी बाजी?

अगले कुछ दिनों में चुनाव आयोग का शेड्यूल आएगा। फिर सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों पर internal discussions करेंगी। political observers की मानें तो इस बार consensus candidate की भी संभावना है। पर राजनीति है न, कुछ भी हो सकता है।

नया उपराष्ट्रपति आने के बाद parliament का पूरा डायनामिक्स बदल सकता है। यह भारतीय लोकतंत्र की एक और परीक्षा होगी। पर हमारा संविधान तो हर स्थिति के लिए तैयार है न? बस देखना यह है कि इस बार का अध्याय कैसा लिखा जाता है।

क्या आपको लगता है इस बार कोई सरप्राइज हो सकता है? कमेंट में बताइएगा!

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जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा और उपराष्ट्रपति चुनाव: जानिए वो सब कुछ जो आप पूछना चाहते हैं!

सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकान तक, हर जगह एक ही बहस है – धनखड़ साहब ने अचानक इस्तीफ़ा क्यों दे दिया? और अब आगे क्या? चलिए, बिना गोलमाल के सीधे बात करते हैं।

1. इस्तीफ़े के पीछे असली वजह क्या है?

सच कहूँ तो, कोई ऑफिशियल बयान तो आया नहीं। लेकिन दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में दो बातें चर्चा में हैं – या तो ये सरकार के नए political equation का नतीजा है, या फिर धनखड़ जी ने personal reasons से ये फैसला लिया। पर सवाल ये उठता है कि क्या हमें कभी सचमुच का कारण पता चलेगा? राजनीति में तो अक्सर ऐसा ही होता है न!

2. नए उपराष्ट्रपति का चुनाव? जल्दबाजी में नहीं, पर देर भी नहीं

संविधान की बात करें तो नियम साफ है – खाली पद होने के 6 महीने के अंदर चुनाव होना ही होना है। अब इलेक्शन कमीशन वालों को ही तय करना है कि ये प्रक्रिया कब शुरू होगी। मेरा अनुमान? अगले दो-तीन महीने में कुछ हलचल शुरू हो जाएगी।

3. चुनाव प्रक्रिया: जानिए कैसे चुना जाता है उपराष्ट्रपति

देखिए, ये कोई आम चुनाव तो है नहीं। यहाँ वोटिंग का अधिकार सिर्फ़ संसद के चुने हुए सदस्यों को होता है – यानी राज्यसभा और लोकसभा के माननीयों को। और खास बात? गुप्त मतदान होता है। क्या आप जानते हैं कि इस प्रक्रिया में विधानसभा के सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं होता? है न दिलचस्प बात!

4. क्या आप या मैं बन सकते हैं उपराष्ट्रपति? शर्तें जान लीजिए

अरे भई, ऐसा तो नहीं कि कोई भी आकर फॉर्म भर दे! कुछ बेसिक क्वालिफिकेशन तो चाहिए ही –

  • भारतीय नागरिक होना ज़रूरी (ये तो बनता ही है!)
  • उम्र 35 साल से ऊपर (अब ये तो आसान सा है)
  • राज्यसभा का मेंबर बनने लायक योग्यता (यहाँ थोड़ा पेंच है)
  • और हाँ, अगर आप पहले से किसी सरकारी पद पर हैं तो भूल जाइए!

सोच रहे हैं अपना नामांकन भरने का? मज़ाक कर रहा हूँ भाई!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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