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जगदीप धनखड़ को टाइप 8 बंगला क्यों मिला? जानिए VIP आवंटन के नियम और आधार!

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जगदीप धनखड़ को टाइप 8 बंगला मिला… पर क्यों? VIP आवंटन के पीछे की असली कहानी!

दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग वाला पता – 7 – अब चर्चा में है। क्यों? क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को यहां का टाइप 8 बंगला मिला है। अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक रूटीन आवंटन है या फिर कोई खास वजह? राजनीतिक गलियारों से लेकर ट्विटर तक, हर जगह इस पर बहस जारी है।

VIP आवास: नियम हैं या सिर्फ कागजी खानापूर्ति?

देखिए, दिल्ली में सरकारी बंगलों का खेल तो 2017 के आवास नियमावली से चलता है। पर असलियत क्या है? टाइप 8 बंगले वैसे तो पीएम, राष्ट्रपति जैसे बड़े लोगों के लिए होते हैं। लेकिन यहां एक दिलचस्प बात – हर बड़े पद पर बैठा व्यक्ति जीवनभर का मकान नहीं पाता। है न मजेदार?

सीधी बात करें तो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष को ही जीवनभर का घर मिलता है। बाकी मंत्रियों-नेताओं को तो कुछ सालों बाद बाहर का रास्ता दिख जाता है। पर यहां धनखड़ जी का केस थोड़ा अलग है। कैसे? चलिए समझते हैं…

धनखड़ का केस: नियम या ‘स्पेशल केस’?

यहां मजा आ गया! नियम कहता है कि पूर्व उपराष्ट्रपति को ऑटोमैटिक जीवनभर का घर नहीं मिलता। फिर? सरकार के पास ‘विशेष परिस्थितियों’ वाला कार्ड है। और लगता है यही कार्ड खेला गया है। सूत्रों की मानें तो यह अस्थायी व्यवस्था है। पर सवाल यह कि ‘अस्थायी’ का मतलब? एक साल? पांच साल? जब तक…? यही तो पहेली है!

राजनीति गरमाई: एक तरफ सम्मान, दूसरी तरफ सवाल

इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं दो कटोरों में बंटी हैं। सरकार वालों का कहना है – “यह तो पूर्व उपराष्ट्रपति का सम्मान है।” विपक्ष? वो चिल्ला रहा है – “यह सरकारी संसाधनों की बर्बादी है!” और सोशल मीडिया? वहां तो मचा ही हड़कंप है।

कुछ लोग कह रहे हैं – “अरे भई, इतने बड़े पद पर रहे हैं, मिलना चाहिए!” तो कुछ का स्टैंड है – “यह VIP कल्चर को बढ़ावा देने जैसा है।” सच क्या है? शायद इस बहस से बड़ा सवाल यह है कि क्या हमें अपने VIP कल्चर पर फिर से सोचने की जरूरत है?

आगे क्या? बंगला रहेगा या जाएगा?

अब सबकी नजर इस पर है कि यह बंगला धनखड़ जी को स्थायी तौर पर मिलेगा या नहीं। दो ही रास्ते हैं – या तो सरकार नए नियम बनाएगी, या फिर कुछ समय बाद उन्हें छोटे घर में शिफ्ट होना पड़ेगा।

ईमानदारी से कहूं तो यह मामला सिर्फ एक बंगले से बड़ा है। एक तरफ पूर्व नेताओं के सम्मान का सवाल है, तो दूसरी तरफ जनता के पैसे की जिम्मेदारी भी। क्या हमें इस मामले में और पारदर्शिता चाहिए? बिल्कुल! पर क्या मिलेगा? वक्त बताएगा। फिलहाल तो यह बहस गरमाई हुई है। आपका क्या ख्याल है?

जगदीप धनखड़ और VIP आवंटन के नियम – जानिए पूरी कहानी!

अरे भाई, ये VIP आवंटन का मामला तो हमेशा से ही चर्चा में रहता है। और अब जब जगदीप धनखड़ को टाइप 8 बंगला मिला है, तो सवालों की बाढ़ आ गई है। तो चलिए, एक कप चाय की चुस्की के साथ समझते हैं ये पूरा माजरा।

1. जगदीप धनखड़ को टाइप 8 बंगला मिला – पर क्यों?

देखिए, ये कोई मनमानी तो नहीं है। भारत के उपराष्ट्रपति (Vice President) को ये सुविधा सरकारी नियमों के तहत मिलती है। असल में, ये उनके पद का हक है। पर सच कहूं तो, आम जनता को ये सब देखकर थोड़ा अजीब लगता है। है न?

2. VIP आवंटन के नियम – क्या है ये पूरा खेल?

अब यहां बात दिलचस्प हो जाती है। ये सिस्टम पूरी तरह hierarchy पर चलता है। जैसे स्कूल में मॉनिटर को अलग कुर्सी मिलती है, वैसे ही यहां राष्ट्रपति, PM, उपराष्ट्रपति को उनके रैंक के हिसाब से बंगले मिलते हैं। पर क्या ये सिस्टम फेयर है? ये तो आप ही बताइए!

3. टाइप 8 बंगला – क्या ये सबसे ऊपर है?

नहीं यार, ये तो बस शुरुआत है! टाइप 8 तो मिड-लेवल है इनके स्टैंडर्ड में। असली महारथी तो टाइप 14 और 7 हैं – जो राष्ट्रपति और PM के लिए रिजर्व होते हैं। एक तरह से देखें तो ये होटलों के room categories जैसा ही है। पर सरकारी खर्चे पर!

4. क्या ये बंगले मिलते हैं जीवनभर के लिए?

अरे नहीं भई! ये तो टेंपरेरी सुविधा है। जैसे ही कुर्सी जाती है, बंगला भी बाय-बाय। हालांकि…कुछ खास केसेस में रिटायरमेंट के बाद भी सुविधा मिल जाती है। पर वो तो लॉटरी जीतने जैसा है। है न?

तो ये थी VIP आवंटन की पूरी कहानी। अब आप ही बताइए – ये सिस्टम सही है या…? खैर, ये तो एक और बहस का विषय है। चलते-चलते एक बात और – अगली बार जब कोई बड़ा आवंटन हो, तो आपको पता चल जाएगा कि पीछे क्या लॉजिक काम कर रहा है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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