जयपुर: स्कूल के पास पानी भरने से करंट फैला, बेबस छात्र की दर्दनाक मौत

जयपुर: स्कूल के पास पानी में करंट लगने से बच्चे की मौत – प्रशासन की नींद अब भी नहीं खुली?

जयपुर में आज एक ऐसी घटना हुई जिसे सुनकर दिल दहल जाता है। भारी बारिश के चलते स्कूल के आसपास जमा पानी में बिजली का करंट फैला और एक मासूम बच्चे की जान चली गई। सच कहूं तो, ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी व्यवस्था की विफलता की कहानी है। मृतक बच्चा जालोर का रहने वाला था, और अब उसका परिवार सिसकियों के सिवा कुछ नहीं बचा।

असल में देखा जाए तो, ये घटना अचानक नहीं हुई। जयपुर में तो जलभराव की समस्या पुरानी है ना? खासकर उस इलाके में जहां ये स्कूल है – वहां तो नालियां हमेशा से ही ठीक से साफ नहीं होतीं। और बिजली के तार? उनकी हालत तो और भी बदतर। स्थानीय लोग महीनों से शिकायत कर रहे थे, लेकिन किसी ने कान नहीं धरे। अब नतीजा सबके सामने है।

घटना की बात करें तो सुबह का वक्त था, बच्चा स्कूल जा रहा था। पानी से भरे रास्ते से गुजरते हुए अचानक करंट लगा। पुलिस और एम्बुलेंस तो पहुंच गई, मगर क्या फायदा? बच्चे को बचाया नहीं जा सका। जांच में पता चला कि बिजली के खुले तार पानी के संपर्क में आ गए थे। प्रशासन ने जांच का आदेश दिया है, मगर यार… कितनी बार ऐसे आदेश देकर फाइलों में डाल दिया गया है?

इस घटना ने पूरे इलाके में आग लगा दी है। मृतक के परिजनों का दर्द देखकर कोई भी बेचैन हो जाए। उनका सीधा सवाल है – अगर थोड़ी सी भी जिम्मेदारी निभाई होती, तो क्या आज उनका बच्चा जिंदा होता? लोग सड़कों पर उतर आए हैं, बिजली विभाग और नगर निगम के कर्मचारियों को घेर रहे हैं। जिला अधिकारी ने मुआवजे और न्याय का वादा किया है, पर सच पूछो तो… क्या पैसा किसी के बच्चे की जान वापस ला सकता है?

अब सवाल ये है कि आगे क्या? प्रशासन ने तो हमेशा की तरह ‘जांच’ और ‘सर्वे’ का ढोंग शुरू कर दिया है। स्कूलों के आसपास के तारों की जांच होगी, नालियां साफ की जाएंगी… बस यही सब। लेकिन असली सवाल तो ये है कि क्या इस बार कोई सबक सीखा जाएगा? या फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ भूल जाएंगे, जब तक कि अगला हादसा नहीं हो जाता?

ईमानदारी से कहूं तो, ये घटना हमारी व्यवस्था की पोल खोल देती है। एक बच्चा मर जाता है, प्रशासन जाग जाता है… फिर सो जाता है। क्या हमारे देश में जिंदगियां इतनी सस्ती हो गई हैं? या फिर हम इतने संवेदनशील ही नहीं रहे कि ऐसे मामलों से सीख लें? अभी तो बस इतना पता है कि एक परिवार का चिराग बुझ चुका है, और हमारी व्यवस्था की आंखें अब भी नम नहीं हुईं।

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ये जयपुर की घटना सिर्फ एक शहर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए आँख खोल देने वाली है। सोचिए, हम अपने बच्चों को School भेजते हैं – वो भरोसे के साथ, ये सोचकर कि वहाँ सब सुरक्षित होगा। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? सड़कें, फुटपाथ, सुरक्षा व्यवस्था – ये सब तो अक्सर लापरवाही का शिकार नज़र आते हैं।

और Authorities? उनकी तो बात ही अलग है। जब तक कोई बड़ी दुर्घटना न हो, तब तक किसी को याद ही नहीं आता कि इन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए। मगर सच तो ये है कि Public awareness और सिस्टम में accountability, दोनों मिलकर ही कोई बदलाव ला सकते हैं। वरना… हर बार ऐसी खबरें सुनकर सिर्फ दुखी होते रह जाएंगे।

एक बात तो तय है – अब ‘बाद में देखेंगे’ वाला रवैया बंद होना चाहिए। वरना हर बार किसी न किसी के आँसू ही बहते रहेंगे। कड़वा सच है, लेकिन सच तो सच ही होता है न?

जयपुर स्कूल ट्रैजेडी: वो सवाल जो हर किसी के मन में हैं

1. ये हादसा कब और कैसे हुआ?

देखिए, ये पूरी घटना बेहद दुखद है। हाल ही में भारी बारिश के चलते स्कूल के आसपास पानी जमा हो गया था – और फिर क्या? पानी में करंट फैल गया। सच कहूं तो ये वो मंज़र था जिसकी कल्पना करके भी रूह कांप जाती है।

2. कितने बच्चों को खोना पड़ा?

ईमानदारी से कहूं तो एक भी जान जाना बहुत है। इस घटना में एक मासूम बच्चे की जान चली गई – वो भी अपनी क्लास में बैठे-बैठे। कई अन्य बच्चे भी घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर थी। सच में, दिल दहल जाता है ऐसी खबर सुनकर।

3. अब स्कूल और अधिकारियों ने क्या कदम उठाए?

तो अब सवाल यह है कि क्या सुधार हो रहे हैं? जानकारी के मुताबिक, स्कूल प्रशासन और local authorities ने मिलकर पूरे area का inspection किया है। Electrical faults को ठीक करने के साथ-साथ future के लिए better safety measures का वादा किया गया है। पर सच पूछो तो – क्या ये काफी है?

4. आगे ऐसा न हो, इसके लिए क्या कर सकते हैं?

असल में बात ये है कि prevention ही best solution है। मानसून में water logging वाली जगहों से तो बच्चों को दूर रखना ही चाहिए। साथ ही, electrical wiring की regular checking – ये उतनी ही ज़रूरी है जितना कि खुद स्कूल का syllabus। और हां, बच्चों को basic safety rules सिखाना तो parents और teachers दोनों की ज़िम्मेदारी है। थोड़ी सी सावधानी कितनी बड़ी त्रासदी को टाल सकती है, है न?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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