jaishankar china visit india china relations after galwan 20250714032904837158

जयशंकर का 5 साल बाद चीन दौरा: गलवान के बाद कैसे रहे हैं भारत-चीन संबंध?

जयशंकर का 5 साल बाद चीन दौरा: गलवान के बाद क्या बदला है भारत-चीन के रिश्तों में?

अरे भाई, एक बड़ी खबर सुनो! हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर रविवार को बीजिंग पहुंचे – और ये कोई सामान्य यात्रा नहीं है। पूरे पांच साल बाद चीन की आधिकारिक यात्रा, वो भी ऐसे वक्त में जब गलवान घाटी की यादें अभी ताजा हैं। सच कहूं तो, ये मामला वैसा ही है जैसे दो पड़ोसी जिनके बीच झगड़ा हुआ हो, लेकिन फिर भी उन्हें एक-दूसरे के यहां जाना पड़े। है न मजेदार बात?

और देखो न, सिंगापुर से होते हुए बीजिंग तक का ये सफर बताता है कि भारत पूर्वी एशिया में अपनी दावेदारी मजबूत करने से पीछे नहीं हट रहा। लेकिन सवाल यह है कि क्या चीन वाकई में बातचीत के लिए तैयार है?

गलवान के बाद: क्या सच में कुछ बदला है?

याद है न वो 2020 का वो दर्दनाक वाकया? गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए थे। उस दिन के बाद से भारत-चीन के रिश्तों में जो दरार पैदा हुई, वो अभी तक पूरी तरह भरी नहीं है। हालांकि, दोनों तरफ से कई round of talks हुए हैं – military level पर, diplomatic level पर। पर असल मुद्दा तो वहीं का वहीं है – LAC पर तनाव।

और भई, सिर्फ सीमा ही नहीं, economy के मोर्चे पर भी हालात अजीब हैं। एक तरफ तो हम चीन से खूब सामान मंगवाते हैं (और trade deficit बढ़ता जाता है), दूसरी तरफ TikTok जैसे apps पर ban लगाकर साफ संदेश देते हैं। थोड़ा उलझन वाली स्थिति है, है न?

इस यात्रा में क्या-क्या हो सकता है?

अब जयशंकर जी क्या-क्या discuss करेंगे? पहली बात तो LAC पर शांति की बात होगी ही – क्योंकि यही तो वो मुद्दा है जिसने पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा सिरदर्द दिया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात तो fixed है ही।

और हां, business को लेकर भी बातचीत होगी। देखा जाए तो चाहे राजनीति में कितना भी तनाव हो, economy के चक्कर में दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ काम करना ही पड़ता है। Technology partnership, investment – इन सब पर नए deals की संभावना तो बन ही रही है।

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

भारत सरकार तो इसे “रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम” बता रही है। चीन की state media भी “विश्वास बहाली” की बात कर रही है। लेकिन कुछ defense experts का मानना है कि जब तक border dispute जैसे बुनियादी मुद्दे सुलझ नहीं जाते, तब तक सच्चे दोस्ती की उम्मीद करना… वैसा ही है जैसे बिना नींव के मकान बनाना!

आगे की राह: क्या उम्मीद करें?

अगले कुछ महीनों में और military talks होने वाले हैं। LAC पर soldiers की संख्या कम करने पर बात हो सकती है। Economy के मामले में नई policies आ सकती हैं – खासकर चीन के investment को लेकर। और international forums जैसे G20 और SCO में दोनों देशों की भूमिका पर भी चर्चा तेज होगी।

अंत में बस इतना – जयशंकर की ये यात्रा एक नई शुरुआत तो हो सकती है, पर असली परीक्षा तो तब होगी जब concrete results दिखेंगे। अगर ये दोनों देश वाकई में मतभेदों को पाट लें, तो ये सिर्फ एशिया के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक game-changer होगा। पर इंतज़ार तो करना पड़ेगा, है न?

यह भी पढ़ें:

जयशंकर का चीन दौरा: क्या बदलेगा भारत-चीन के रिश्तों का गणित?

अरे भाई, इन दिनों तो हर कोई जयशंकर के चीन दौरे की बात कर रहा है। पर सच पूछो तो, क्या हमें वाकई इससे कोई बड़ा बदलाव उम्मीद करनी चाहिए? चलो, बात करते हैं कुछ सवालों की जो आपके दिमाग में भी आ रहे होंगे…

1. यार, ये चीन ट्रिप इतनी खास क्यों है?

सुनो, असल बात ये है कि 2020 के उस दर्दनाक गलवान हादसे के बाद ये पहला मौका है जब कोई हमारा बड़ा मंत्री चीन गया है। मतलब साफ है – दोनों तरफ से रिश्तों को सुधारने की कोशिश। पर सवाल ये कि क्या सिर्फ एक visit से सब ठीक हो जाएगा? शायद नहीं, लेकिन शुरुआत तो हो रही है!

2. गलवान के बाद से कैसा चल रहा है ये तनातनी का खेल?

देखिए ना… एक तरफ तो सैनिकों को थोड़ा पीछे भी हटाया गया है, दूसरी तरफ अभी भी LAC पर वो पुरानी आसानी नहीं दिखती। सच कहूं तो, ये रिश्ते अभी वैसे ही हैं जैसे किसी के घर में झगड़ा हो जाए – बाहर से तो सब normal लगता है, पर अंदर की टेंशन कम होने में वक्त लगता है।

3. क्या इससे हमारे चीन के साथ trade पर कोई असर पड़ेगा?

अच्छा सवाल पूछा! पिछले कुछ सालों में हमने चीनी सामान पर जो रोक लगाई थी, उसका असर तो दिख ही रहा है। पर अब शायद नए deals की गुंजाइश बने। मगर याद रखिए – चीन के साथ business हमेशा दो धारी तलवार जैसा होता है। फायदा भी, खतरा भी!

4. LAC पर अभी भी टेंशन है क्या?

सीधा जवाब – हां। हालांकि कुछ इलाकों में सैनिकों की संख्या कम हुई है (इसे कहते हैं disengagement), पर कुछ जगहों पर अभी भी हालात नॉर्मल नहीं हुए। ऐसा लगता है जैसे बर्फ पिघल तो रही है, पर पूरी तरह नहीं। एकदम स्पष्ट।

तो दोस्तों, ये थी हमारी समझ की बात। आपको क्या लगता है? क्या ये visit वाकई कुछ बदल पाएगी, या फिर ये सब दिखावा है? कमेंट में जरूर बताइएगा!

Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

travel food services ipo listing date gmp experts prediction 20250714030416213795

ट्रैवल फूड सर्विसेज IPO लिस्टिंग आज: GMP और एक्सपर्ट्स की राय, शेयर डेब्यू पर क्या संकेत?

father gave 1000 rupees son built crore business 20250714035311332832

“पिता ने 1000 रुपये देकर निकाला घर से, बेटे ने खड़ा किया 100 करोड़ का साम्राज्य – जानें पूरी कहानी”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments