“मैं उस कमरे में था..”: जयशंकर ने ट्रंप के सीजफायर दावे की पोल खोलकर अमेरिका को दिया सबक!

“मैं उस कमरे में था..”: जब जयशंकर ने ट्रंप के दावों की धज्जियां उड़ाते हुए अमेरिका को सबक सिखाया!

अरे भई, क्या आपको याद है वो 2019 का वाकया जब ट्रंप साहब ने अचानक ये दावा कर दिया कि उन्होंने भारत-पाक के बीच सीजफायर करवाया था? सुनकर हैरानी हुई न? अब हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक recent interview में इस पर जो जवाब दिया है, वो तो एकदम स्टील के फ्रेम वाला जवाब है! साफ-साफ कह दिया कि “मैं उस कमरे में था” और हमने अपने दम पर फैसला लिया था। बस, पूरे मामले पर फुलस्टॉप।

पूरा माजरा क्या था?

देखिए न, बात 2019 की है – पुलवामा हमले के बाद का वो तनाव भरा माहौल। उसी बीच ट्रंप ने अचानक ये बयान दे डाला कि उन्होंने तो दोनों देशों को शांत करवाया। है न मजेदार? उस वक्त भी भारत सरकार ने इसे खारिज कर दिया था, लेकिन अब जयशंकर ने जिस तरह से इस मामले को फिर से उठाया है, वो काबिले-तारीफ है। सच कहूं तो, ये वाकया हमारी foreign policy की मजबूती को दिखाता है।

जयशंकर का वो जबरदस्त जवाब

विदेश मंत्री ने बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा – “मैं उस कमरे में था”। यानी सीधा संदेश कि आप क्या बात कर रहे हैं मिस्टर ट्रंप? असल में, ये बयान इतना सटीक है कि इसने दो बातें एक साथ साबित कर दीं – एक तो ये कि हमारे फैसले किसी बाहरी दबाव में नहीं होते, और दूसरा कि हमारे नेता सच बोलने से नहीं डरते। थोड़ा सख्त लगेगा, लेकिन सच तो सच है न?

राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है?

दिलचस्प बात ये है कि इस मामले पर सभी दल एक सुर में बोल रहे हैं। सरकार वालों का कहना है कि हमारी foreign policy में कोई दखल नहीं चलेगा। विपक्ष वाले थोड़ा मौका नहीं छोड़ना चाहते – पूछ रहे हैं कि क्या अमेरिका से इस बारे में official communication हुई थी? वैसे global experts की राय साफ है – भारत अब वो देश नहीं जो किसी के दबाव में आए। और यही तो हमें गर्व से भर देता है!

आगे की चाल क्या होगी?

अब सवाल यह है कि इसके बाद भारत-अमेरिका के relations पर क्या असर पड़ेगा? खासकर trade और strategic partnership के मामले में। शायद विदेश मंत्रालय और स्पष्टीकरण मांगे। पर एक बात तय है – अब हमें अपनी foreign policy को और स्पष्ट तरीके से global platforms पर रखना होगा। थोड़ा सा तो खेल यह भी है न?

अंत में बस इतना कि जयशंकर के इस बयान ने एक बार फिर साबित कर दिया – हम अपने फैसले खुद लेते हैं। कोई दबाव नहीं, कोई डील नहीं। और यही तो असली आजादी है, है न? जैसे हमारे दादा-परदादा कहते थे – “सिर झुकाएंगे नहीं, सलाम करेंगे!”

यह भी पढ़ें:

“मैं उस कमरे में था…” – जयशंकर के बयान पर चर्चा और कुछ जरूरी सवाल

अरे भाई, क्या आपने भी जयशंकर का वो बयान सुना जहां उन्होंने ट्रंप के दावों को ही खारिज कर दिया? बात तो बड़ी दिलचस्प है, क्योंकि इसमें भारत की विदेश नीति का असली चरित्र झलकता है। चलिए, बात करते हैं…

1. ट्रंप का कौन सा दावा धरा का धरा रह गया?

देखिए, ट्रंप साहब ने कहा था कि अमेरिका ने भारत-चीन सीमा विवाद में ‘सीजफायर करवाया’। लेकिन जयशंकर जी ने साफ कह दिया – “मैं उस कमरे में था, ऐसा कुछ नहीं हुआ।” सीधा फैक्ट चेक! असल में, यह भारत के लिए सिर्फ एक सच्चाई बताने की बात नहीं, बल्कि अपनी आजादी का एलान है। समझ रहे हैं न?

2. यह बयान कहाँ और कैसे सामने आया?

एक इंटरव्यू में, बिल्कुल कैजुअल तरीके से। पर असरदार! जयशंकर जी ने ट्रंप के दावों को गलत ठहराते हुए भारत का पक्ष रखा। और सच कहूँ तो, यही तो होना चाहिए न? अपनी बात साफ-साफ रखना।

3. अमेरिका-भारत रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर?

अब यहाँ दो बातें हैं। एक तरफ तो यह बयान भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दिखाता है – जैसे कह रहे हों “हमारे मामले हम संभाल लेंगे”। लेकिन दूसरी तरफ, रिश्तों पर कोई बड़ा असर? नहीं यार। अमेरिका समझदार देश है, उसे पता है कि भारत से कैसे डील करना है।

4. क्या यह भारत की विदेश नीति में बदलाव है?

बिल्कुल नहीं! बल्कि यह तो वही पुरानी नीति है, बस थोड़ा और कॉन्फिडेंट तरीके से पेश की गई। सोचिए, अगर आप अपने घर का फैसला खुद लें, तो क्या यह नई बात है? नहीं न! बस इतना ही कहा जा रहा है – हम अपने मुद्दे खुद सुलझा सकते हैं। एकदम सिंपल।

तो क्या सीख मिली? भारत अब वह देश नहीं जो दूसरों के दावों को चुपचाप सुनता रहे। और यह अच्छी बात है, है न? आपकी क्या राय है?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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