जयशंकर का जवाब: ‘ट्रंप के सीजफायर दावे बेबुनियाद, भारत-पाक मामले में अमेरिका का कोई रोल नहीं’
अरे भाई, सुनो! डॉ. एस जयशंकर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत की विदेश नीति में कोई कमी नहीं। सोमवार को उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन दावों को खारिज कर दिया जहां उन्होंने 2021 के भारत-पाक सीजफायर में अपनी भूमिका बताई थी। और सच कहूं तो जयशंकर का जवाब एकदम सटीक था – “बेबुनियाद”। असल में, यह पूरा मामला हमारे और पाकिस्तान के बीच की सैन्य वार्ता का नतीजा था। अमेरिका का इसमें क्या काम?
पूरा माजरा क्या है?
याद है ना वो 2021 का वक्त? फरवरी में भारत और पाकिस्तान के DGMOs (यानी सैन्य संचालन प्रमुखों) के बीच बातचीत हुई थी। और उसी के बाद LoC पर सीजफायर लागू हुआ। अब इसे कहते हैं असली द्विपक्षीय समझौता! लेकिन अचानक ट्रंप साहब ने कह दिया कि यह सब उनकी वजह से हुआ। है न मजेदार? ऐसा लगता है जैसे कोई फिल्म देखकर उसमें अपना नाम जोड़ दिया हो!
और देखिए न, भारत का तो यही स्टैंड रहा है – कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े मामले पूरी तरह हमारे अपने हैं। तीसरे पक्ष का इसमें क्या काम? यह नीति तो हमारे देश की विदेश नीति की रीढ़ रही है। सच कहूं तो अगर हर मामले में बाहरी लोग टांग अड़ाने लगें तो फिर क्या बचेगा हमारी संप्रभुता में?
जयशंकर ने क्या कहा?
विदेश मंत्री जी ने तो एकदम साफ-साफ कह दिया: “यह पूरी तरह गलत है। सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य वार्ता का नतीजा था।” और फिर उन्होंने जोर देकर कहा “भारत-पाक मामलों में अमेरिका या किसी और का कोई रोल नहीं था।” सुनकर अच्छा लगा ना? ऐसा लगता है जैसे कोई बच्चा गलत बात मानने से इनकार कर रहा हो!
वैसे यह कोई नई बात भी नहीं। मोदी सरकार तो शुरू से ही यही कहती आई है कि कश्मीर मुद्दे पर कोई बाहरी दखल हमें मंजूर नहीं। और सच कहूं तो यही तो सही रवैया है। जैसे आपके घर के मामले में पड़ोसी क्यों टांग अड़ाए?
किसने क्या कहा?
दिलचस्प बात यह है कि जयशंकर के बयान को लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने सपोर्ट किया। कई नेताओं ने तो ट्रंप के दावे को “राजनीतिक ड्रामा” तक कह डाला। और पाकिस्तान? वो तो अभी तक चुप्पी साधे बैठा है। शायद उन्हें भी पता है कि यहां कुछ बोलने से स्थिति और खराब हो सकती है।
कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ट्रंप शायद अमेरिकी राजनीति में अपनी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर जब 2024 की राष्ट्रपति चुनावी रेस की तैयारी चल रही हो। पर यह तो हम भी जानते हैं ना कि अमेरिकी नेता अक्सर ऐसे दावे करते रहते हैं। असल मकसद होता है घरेलू राजनीति में पॉइंट्स स्कोर करना।
आगे क्या होगा?
अच्छी खबर यह है कि LoC पर सीजफायर अभी भी कायम है। लेकिन सच तो यह है कि कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर तनाव बरकरार है। हालांकि, अमेरिका और भारत के बीच इसको लेकर कोई बड़ा झगड़ा होने वाला नहीं। क्योंकि बाइडेन प्रशासन ने अभी तक इस पर मुंह ही नहीं खोला है।
एक बात तो तय है – भारत अपनी “द्विपक्षीय वार्ता” वाली नीति पर कायम रहेगा। बिना किसी बाहरी दखल के हम पाकिस्तान के साथ अपने मुद्दे सुलझाएंगे। और यही तो सही रास्ता है ना? अपने मामले खुद सुलझाना। वैसे भी, यह नीति न सिर्फ हमारी संप्रभुता दिखाती है, बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति के लिए भी अच्छी है। सोचिए, अगर हर छोटे-बड़े मामले में बाहरी लोग टांग अड़ाने लगें तो फिर क्या होगा?
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com