जापान के निर्यात में फिर गिरावट, अमेरिकी टैरिफ का बढ़ता दबाव

जापान का निर्यात फिर गिरा – क्या अमेरिकी टैरिफ ने मारी चोट?

बात यूं है कि जापान को लेकर एक बार फिर चिंता की खबरें आ रही हैं। जून में भी उसके निर्यात आंकड़े लुढ़के हैं – लगातार दूसरे महीने! अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक अस्थायी गिरावट है या फिर अमेरिका के उन टैरिफ ने असली मुसीबत खड़ी कर दी है? सच तो यह है कि यह स्थिति जापान के आर्थिक सुधार के लिए बिल्कुल अच्छी नहीं है। और तो और, इसने तो बैंक ऑफ जापान के गणित को भी गड़बड़ा दिया है। कई एक्सपर्ट्स तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो… अरे भई, मंदी का खतरा मंडराने लगा है!

जापान की दिक्कत: एक्सपोर्ट पर ज्यादा भरोसा

देखिए, जापान की इकोनॉमी का तो हमेशा से यही फंडा रहा है – निर्यात पर ज्यादा निर्भरता। खासकर कारों, electronics और मशीनरी के मामले में तो वो दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन यहां दिक्कत यह है कि अमेरिका-चीन के बीच चल रही trade war ने पहले ही गड़बड़ कर रखी थी। और अब तो अमेरिका ने जापानी सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर स्थिति और पेचीदा बना दी है। सच कहूं तो, येन के मजबूत होने से पहले ही जापानी कंपनियों को दिक्कत थी, अब तो मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

आंकड़े बोल रहे हैं – गिरावट साफ दिख रही है

जून के नंबर्स देखकर तो हैरानी होती है। कुल मिलाकर 2.5% की गिरावट! लेकिन असली झटका तो अमेरिका को होने वाले निर्यात में 5.5% की गिरावट है – ये तो बिल्कुल बुरी खबर है। चीन और European Union को भी जापानी सामान कम चाहिए, जो वैश्विक मांग के कमजोर होने का संकेत है। और भई, जब येन लगातार मजबूत हो रहा हो तो जापानी प्रोडक्ट्स की कीमतें तो बढ़ेंगी ही न? इंटरनेशनल मार्केट में तो फिर कौन खरीदेगा!

सरकार और बिजनेस लीडर्स की रिएक्शन

इस मुसीबत से निपटने के लिए जापानी सरकार क्या कर रही है? वो अमेरिका के साथ बातचीत को तेज करने में जुटी है। पर इंडस्ट्री लीडर्स का कहना है कि सिर्फ बातें करने से काम नहीं चलेगा। उनका सीधा सा मैसेज है: “टैरिफ और येन के उतार-चढ़ाव से हमारा बिजनेस चौपट हो रहा है!” इकोनॉमिस्ट्स भी चेतावनी दे रहे हैं – अगर ऐसा ही चला तो GDP ग्रोथ और भी नीचे जा सकती है। और वैसे भी, जापान की ग्रोथ पहले से ही काफी सुस्त है न?

आगे का रास्ता: क्या कर सकता है जापान?

अब जापान के पास क्या विकल्प बचे हैं? एक तो, उन्हें अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव करना पड़ सकता है। दूसरा, अमेरिका के साथ नए trade deals पर जल्दी से जल्दी समझौता करना होगा। और हां, Southeast Asia जैसे नए मार्केट्स में भी अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। सच तो यह है कि अगर निर्यात इसी तरह गिरता रहा तो… अरे भई, मंदी तो आनी ही है! ऐसे में सरकार और इंडस्ट्री को मिलकर कुछ स्मार्ट स्ट्रैटेजी बनानी होगी। वरना… खैर, आप समझ ही गए होंगे।

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जापान का निर्यात क्यों डूब रहा है? असली वजह क्या है?

सीधी बात करें तो अमेरिका ने जो नए टैरिफ लगाए हैं, वो मुख्य वजह है। पर सिर्फ यही नहीं… देखिए न, global demand भी तो कम हुई है। और हां, supply chain की दिक्कतें और production costs का बढ़ना भी इसमें जोड़ लीजिए। एक तरह से पूरा पैकेज ही खराब है!

अमेरिकी टैरिफ से जापान की अर्थव्यवस्था पर क्या बोझ पड़ रहा है?

ईमानदारी से कहूं तो जापानी exporters की कमर टूट रही है। टैरिफ की वजह से उनका सामान महंगा हो गया, जिससे international market में compete करना मुश्किल हो रहा है। असर ये हुआ कि GDP growth rate भी झटका खा सकती है। बुरी खबर, है न?

तो क्या जापान कोई नया रास्ता अपना रहा है? या बस हाथ पर हाथ धरे बैठा है?

अरे नहीं भई! जापान तो पूरा game plan बदल रहा है। अब उसकी नजर Southeast Asia और Europe जैसे नए markets पर है। साथ ही technology और innovation में पैसा लगाकर products की value बढ़ाने की पूरी कोशिश चल रही है। समझदारी की बात है, क्योंकि अमेरिका पर depend करना अब risky हो गया है।

इस पूरे मामले में भारत-जापान के trade relations का क्या होगा?

यहां तो जापान के लिए भारत golden opportunity बन सकता है! सोचिए न, अमेरिका से दूरी बनाने के बाद जापान को किसी बड़े market की तलाश है… और भारत perfect fit है। मेरे ख्याल से automobiles और electronics sectors में तो जमकर deal होने वाली हैं। एक तरह से win-win situation है दोनों देशों के लिए। क्या आपको नहीं लगता?

Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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