Site icon surkhiya.com

झुंझुनूं का किठाना गांव हैरान: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से सन्नाटा, जानें उनके संघर्ष की कहानी

झुंझुनूं का किठाना गांव हैरान: धनखड़ साहब का इस्तीफा और एक अनसुलझी पहेली

अरे भई, राजनीति के इस मैदान में तो रोज कुछ न कुछ होता रहता है… लेकिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा? सच कहूं तो मैं भी चौंक गया जब यह खबर सुनी। और सोचिए उनके पैतृक गांव किठाना के लोगों पर क्या गुजरी होगी! गांव वालों की हालत तो वैसी ही है जैसे अचानक बिजली गिर जाए। सचमुच, यह फैसला किसी सदमे से कम नहीं।

किठाना से रायसीना तक: एक किसान के बेटे की कहानी

देखिए न, जगदीप धनखड़ की कहानी तो फिल्मी सीन लगती है। राजस्थान के इस छोटे से गांव में जन्मे, साधारण परिवार के लड़के ने वकालत की, फिर शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाया। और फिर? राज्यपाल से उपराष्ट्रपति तक का सफर! क्या बात है न? गांव वालों के लिए तो वे हमेशा से हीरो रहे हैं। पर अब यह इस्तीफा… समझ से परे है।

इस्तीफे का रहस्य: क्या छिपा है पर्दे के पीछे?

अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो धनखड़ साहब ने इस्तीफा दे दिया? राजनीति के अंदरूनी हलकों में तो इसकी चर्चा जोरों पर है। कोई कह रहा है स्वास्थ्य कारण, कोई राजनीतिक दबाव की बात कर रहा है। लेकिन असलियत? अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं। किठाना के लोग तो और भी परेशान हैं – उनके लिए तो यह ऐसा है जैसे अचानक दीवार गिर पड़ी हो।

गांव से दिल्ली तक: सबके मन में एक ही सवाल

गांव के बुजुर्गों की आवाज़ सुनिए: “हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि वो ऐसा करेंगे।” वहीं राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। कुछ विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि शायद यह कोई बड़ा खेल हो। पर सच्चाई? वह तो शायद धनखड़ साहब ही जानते होंगे।

आगे का रास्ता: क्या होगा अब?

तो अब क्या? उपराष्ट्रपति पद के लिए नए चुनाव की बात चल रही है। लेकिन असली सवाल यह है कि धनखड़ साहब आगे क्या करेंगे? क्या वे फिर से सार्वजनिक जीवन में लौटेंगे? गांव वाले तो बस इतना जानते हैं कि उनका लाल हमेशा सही फैसला लेता आया है। और इस बार भी… शायद वक्त ही बताएगा।

एक बात पक्की है – चाहे जो हो जाए, किठाना वाले अपने इस सपूत के साथ खड़े हैं। आज भी गांव की हर गली में उनके लिए दुआएं हो रही हैं। क्योंकि यहां तो हर बच्चा जगदीप धनखड़ बनने का सपना देखता है। और क्यों न देखे? उनकी कहानी तो साबित करती है कि मेहनत और ईमानदारी से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें:

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version