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गर्मी में भी ठंडे पड़े नौकरी चाहने वाले! लंबे समय से खोज रहे हैं तो यह जान लें

गर्मी में भी ठंडे पड़े नौकरी चाहने वाले? ये आंकड़े तो चौंका देंगे!

अरे भाई, हाल के आंकड़ों ने तो एक झटके में नींद उड़ा दी! क्या आप जानते हैं कि भारत में 18 लाख से ज़्यादा लोग 6 महीने से बेरोजगार बैठे हैं? सुनकर ही पसीने छूट गए न? असल में, ये सिर्फ नंबर्स नहीं हैं – हर आंकड़े के पीछे कोई न कोई राहुल या प्रिया की कहानी छिपी है जो रोज़ सुबह नौकरी की तलाश में निकलते हैं और शाम को हारकर लौट आते हैं। और तो और, कुछ तो इतने थक चुके हैं कि खुद को “semiretired” घोषित कर बैठे हैं। है न मज़ेदार बात? पर हंसी तो दूर की बात है, सच तो ये है कि ये हालात किसी भयानक सपने जैसे हैं।

अब सवाल यह है कि आखिर ये हालात क्यों बने? देखा जाए तो कोविड ने तो बस शुरुआत की थी, उसके बाद तो जैसे दुर्गति ही हो गई। एक तरफ तो पुराने उद्योग सिमट रहे हैं, दूसरी तरफ नए सेक्टर्स में भी वैसी नौकरियां नहीं आ रहीं जैसी उम्मीद थी। और IT sector? अरे भई, वहां तो mass layoffs ने मानो तूफान ही ला दिया। सरकारी नौकरियों की बात करें तो वो तो हमेशा से स्लो चलती हैं, लेकिन private sector भी अब उसी राह पर चल पड़ा है। सच कहूं तो skilled हो या unskilled, हर किसी की छाती पर मानो पहाड़ सा टूट पड़ा है।

सबसे ज़्यादा मार तो 25 से 40 साल के युवाओं पर पड़ रही है। सोचिए, इस उम्र में तो आदमी पर पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी होती है – घर का किराया, बच्चों की फीस, बीमार माँ-बाप का इलाज। और अगर 6 महीने तक नौकरी न मिले तो? मानसिक तनाव तो होगा ही न! डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जहां लोग depression का शिकार हो रहे हैं। और कुछ तो इतने हताश हो चुके हैं कि नौकरी ढूंढना ही छोड़ दिया है। “Semiretired” का ये नया ट्रेंड देखकर लगता है मानो लोगों ने हार मान ली हो।

अब सुनिए एक रियल लाइफ स्टोरी – 32 साल के राहुल (नाम बदला हुआ) पिछले दो साल से जॉब हंट कर रहे हैं। उनके शब्दों में: “यार, शुरू में तो 50-60 applications रोज़ भेजता था। अब तो 5-6 भेज दूं तो बहुत है। Freelance projects से जैसे-तैसे गुज़ारा चल रहा है।” और राहुल अकेले नहीं हैं। अर्थशास्त्री डॉ. प्रीति शर्मा सही कहती हैं कि “ये स्थिति देश के लिए खतरनाक है। सरकार को अभी कुछ करना होगा।” सरकार की तरफ से skill development programs की बात हो रही है, पर क्या ये काफी है? शायद नहीं।

तो भविष्य क्या है? सच बताऊं तो अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ेंगे। Startups को बढ़ावा देना होगा, education system को बदलना होगा। वैसे social security schemes तो हैं, पर क्या वो काफी हैं? मेरे ख्याल से नहीं। जब तक नौकरियां नहीं बढ़ेंगी, तब तक ये समस्या बनी रहेगी।

आखिर में बस इतना कहूंगा – ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है। ये हमारे युवाओं के सपनों, परिवारों के भविष्य की बात है। अगर अभी नहीं संभले तो ये समस्या आर्थिक ही नहीं, सामाजिक संकट भी बन सकती है। और ये बात सिर्फ economists ही नहीं, हर उस इंसान को समझनी चाहिए जो रोज़ सुबह नौकरी की तलाश में निकलता है। क्या आप मेरी बात से सहमत हैं?

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गर्मी में नौकरी की तलाश? ये सवाल आपके मन में भी आते होंगे!

भई, गर्मी तो खैर पसीना निकाल देती है, लेकिन नौकरी की तलाश? उसकी टेंशन तो अलग ही होती है! चलिए, आज कुछ जरूरी सवालों पर बात करते हैं जो हर Job Seeker के दिमाग में चलते हैं।

1. “कितने महीने हो गए, अब तक कुछ नहीं मिला… क्या करूं?”

ईमानदारी से कहूं तो यह स्थिति किसी के लिए भी निराशाजनक हो सकती है। लेकिन घबराइए मत! पहला काम तो ये कि अपना Resume फिर से देखें – क्या वाकई यह आपकी सारी Skills को अच्छे से दिखा पा रहा है? दूसरा, Networking… ये उतना ही जरूरी है जितना रोटी में दाल। और हां, Online Portals पर सिर्फ Profile बनाने से काम नहीं चलता, Active रहना पड़ता है। Skills Upgrade? अरे भाई, ये तो आजकल Oxygen जितना Important हो गया है!

2. “क्या सच में गर्मियों में नौकरियां कम हो जाती हैं?”

सुनने में तो यही लगता है, लेकिन पूरी कहानी थोड़ी अलग है। देखा जाए तो कुछ Companies Hiring Slow Down कर देती हैं – शायद HR वाले भी छुट्टियों का मजा ले रहे होते हैं! पर यहां एक Twist है। Hospitality, Tourism या Retail जैसे Sectors में तो इस मौसम में Jobs बढ़ ही जाते हैं। और एक चीज… Internship और Freelance Opportunities को हल्के में न लें। कई बार यहीं से Permanent Roles का रास्ता खुलता है।

3. “Interview में वो जाने क्या गलती हो जाती है…”

असल में बात ये है कि Interview एक तरह का Performance ही तो है! Company Research? बिल्कुल जरूरी – यह उतना ही Basic है जितना परीक्षा से पहले Syllabus देखना। Common Questions की Practice करें, लेकिन रट्टा न मारें। Confidence… हां, यही वो चीज है जो आधी लड़ाई जिता देती है। और हां, गर्मियों में Professional Dress Code का मतलब ये नहीं कि आप Sweater पहनकर जाएं! हल्के-फुल्के, पर Formal कपड़े ही सही रहते हैं।

4. “Online Job Search के नाम पर सिर्फ Naukri.com ही तो नहीं?”

अरे नहीं यार! LinkedIn तो आजकल Digital Resume बन चुका है – वहां Activity दिखाए बिना कैसे चलेगा? Indeed और Glassdoor भी कमाल के Platforms हैं। पर सबसे Important बात? Profile Optimize करो भाई! Job Alerts Set Up करो! नहीं तो अच्छे Opportunities हाथ से निकल जाते हैं। और एक छोटी सी Tip – छोटे-मोटे Local Job Portals को भी नजरअंदाज मत करना। कई बार वहां Hidden Gems मिल जाते हैं।

तो कैसा लगा आज का ये छोटा सा Guide? कोई सवाल हो तो Comments में जरूर पूछना। और हां, हार मत मानना – सही मौका आने ही वाला है!

Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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