कांवड़ यात्रा 2025: 395 ड्रोन, 60 हजार पुलिसकर्मी… और एक सवाल – क्या यह सब काफी होगा?
अरे भाई, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने इस बार कांवड़ यात्रा को लेकर जो तैयारियां की हैं, वो सच में कमाल की हैं! पर सच कहूं तो, मेरे मन में एक डर भी है – क्या technology और tradition का ये मेल सच में काम करेगा? देखिए न, एक तरफ तो 395 ड्रोन होंगे आसमान में घूमते हुए, वहीं दूसरी तरफ 60 हजार पुलिसकर्मी सड़कों पर। Food safety से लेकर traffic control तक, यहां तक कि DJ की आवाज़ तक पर नजर! लेकिन असल सवाल ये है कि क्या ये सब लाखों भक्तों के उत्साह को manage कर पाएगा?
पृष्ठभूमि: जब भक्ति और भीड़ एक साथ आ जाएं
देखा जाए तो कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक चुनौती भी है। हर साल लाखों लोग गंगाजल लेकर निकलते हैं – कुछ पैदल, कुछ बाइक पर, कुछ ट्रकों में। मतलब साफ है – भक्ति का सैलाब। पर 2023 में जो हादसे हुए, उन्होंने सबको झकझोर दिया। शायद इसीलिए 2025 की तैयारियां इतनी जबरदस्त हैं। एक तरह से, ये सरकार की ‘सॉरी’ है पिछली गलतियों के लिए।
सुरक्षा या सर्कस? ड्रोन से लेकर डीजे तक!
अब बात करते हैं इन ‘ग्राउंडब्रेकिंग’ (माफ कीजिए, हिंदी में ठीक शब्द नहीं सूझ रहा) उपायों की। सबसे पहले तो ये 395 ड्रोन – भई ये कोई मामूली बात नहीं! ये सिर्फ निगरानी नहीं करेंगे, बल्कि crowd को manage करने में भी मदद करेंगे। पर सच पूछो तो, क्या आप कल्पना कर सकते हैं? आसमान में ड्रोन की भिनभिनाहट और नीचे “बम बम भोले” के नारे! एक अजीब सा contrast है न?
वहीं दूसरी तरफ 60 हजार पुलिसवाले… यानी हर 50 यात्रियों पर एक पुलिसकर्मी! और हां, इसमें specially trained महिला टीमें भी हैं – जो बहुत जरूरी था।
लेकिन मजे की बात ये है कि इस बार alcohol पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है। अच्छा हुआ! पर साथ ही DJ और loudspeakers पर भी लगाम… ये थोड़ा controversial है। मेरे एक दोस्त जो wedding DJ का काम करता है, उसका तो business ही चौपट हो गया है इससे। उसका कहना है – “भक्ति ठीक है, पर थोड़ा मनोरंजन भी तो चाहिए!”
लोग क्या कह रहे हैं? मिश्रित प्रतिक्रियाएं!
एक तरफ तो भक्तों का कहना है कि “इस बार सब कुछ systematic है, पहले जैसी अराजकता नहीं होगी।” वहीं दूसरी तरफ कुछ local business owners खासकर होटल वाले, थोड़े परेशान नजर आ रहे हैं। मैंने एक dhabe के मालिक से बात की – उसका सीधा सा कहना था: “जब लोग शराब नहीं पीएंगे, तो खाने पर ही ज्यादा पैसे खर्च करेंगे। पर DJ बंद होगा तो रात को कौन आएगा?”
प्रशासन वालों का तो बस एक ही राग है – “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं।” पर ईमानदारी से कहूं तो, कोशिशें तो हमेशा ही पूरी होती हैं न? असली test तो तब होगा जब लाखों की भीड़ उमड़ेगी।
भविष्य के लिए एक नजीर?
अगर ये सिस्टम काम कर गया तो… बस फिर तो! कुंभ मेला हो या अमरनाथ यात्रा, सबके लिए एक template तैयार हो जाएगा। Technology और tradition का ये नया equation आने वाले समय में और refine होगा, ये तो तय है।
पर एक बात याद रखिए – कोई भी system perfect नहीं होता। आखिरकार, ये भारत है यार! यहां कुछ भी हो सकता है। फिलहाल तो बस इतना ही – बम बम भोले!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com