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कारगिल विजय की अमर गाथा: 527 शहीद, 1363 घायल और 10,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ी गई वीरता की लड़ाई

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कारगिल की वो जंग: जब 10,000 फीट की ऊंचाई पर लिखी गई वीरता की दास्तान

26 जुलाई 1999… वो तारीख जिसने भारतीय इतिहास में खुद को अमर कर दिया। सच कहूँ तो, ये कोई सामान्य जीत नहीं थी – बल्कि उन असंभव हालातों में मिली एक ऐसी जीत थी जिस पर हर भारतीय को गर्व है। कश्मीर की उन बर्फीली चोटियों पर लड़ी गई इस लड़ाई को हम “ऑपरेशन विजय” के नाम से जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं? इस जीत की कीमत 527 वीर जवानों ने अपने खून से चुकाई थी। और हाँ, 1363 से ज्यादा घायल हुए थे। आज भी हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है – एक ऐसा दिन जो हमें याद दिलाता है कि आज़ादी की कीमत क्या होती है।

वो धोखा जिसने जंग को जन्म दिया

1999 की शुरुआत… पूरा देश शांति की उम्मीद कर रहा था। लेकिन पाकिस्तान? उसने तो एक ऐसी चाल चली जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मई महीने में, उनके घुसपैठियों और असल में तो नियमित सैनिकों ने ही – हमारी सीमा में घुसकर कारगिल की अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया। असल में ये इलाका ऐसा था कि सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते हमारी सेना वहाँ से हट जाती थी। और पाकिस्तान ने इसी का फायदा उठाया। जब भारत को पता चला, तो क्या हुआ? 10,000 फीट से भी ऊपर एक ऐसी लड़ाई शुरू हुई जिसने इतिहास बना दिया – ऑपरेशन विजय

बर्फ में लिखी गई वीरता की कहानी

ये कोई मामूली लड़ाई नहीं थी। तोलोलिंग और टाइगर हिल जैसी चौकियों को वापस लेना? बिल्कुल आसान नहीं था। सोचिए – इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, माइनस के तापमान… लेकिन हमारे जवानों ने क्या किया? दुश्मन को खदेड़ दिया! और हमारी वायुसेना? उन्होंने तो ऑपरेशन सफेद सागर के तहत पाकिस्तानी ठिकानों पर ऐसे हमले किए कि दुश्मन की हालत खराब हो गई। क्या आपको याद है कैप्टन विक्रम बत्रा का वो मशहूर नारा? “यह दिल माँगे मोर”… या फिर मेजर सौरभ कालिया का बलिदान? और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की वो बहादुरी? ये कहानियाँ आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं।

दुनिया ने क्या कहा?

तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सही कहा था – “कारगिल की विजय भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है।” मजे की बात ये रही कि पाकिस्तान ने शुरू में तो अपने सैनिकों के होने से ही इनकार कर दिया था! लेकिन बाद में उन्हें अपने ही शहीदों के परिवारों को सम्मानित करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? भारत को भरपूर समर्थन मिला। America से लेकर यूरोप तक – सबने पाकिस्तान की आलोचना की।

वो जंग जिसने सब कुछ बदल दिया

कारगिल ने सिर्फ एक जंग नहीं जीती – उसने हमारी पूरी सैन्य रणनीति बदल दी। इसके बाद सीमा सुरक्षा और मॉडर्न टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया। आज हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया जाता है। सच तो ये है कि ये युद्ध भारत-पाकिस्तान रिश्तों में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। और आज तक… तनाव बरकरार है। पर एक बात तो तय है – कारगिल की ये जीत सिर्फ एक सैन्य सफलता नहीं थी। ये तो हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की आग जलाने वाली एक अमर गाथा है। सच में।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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