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कर्नाटक CM की रेस: सिद्धारमैया vs डीके शिवकुमार – कौन बनेगा मुख्यमंत्री? पूरा विवाद समझें

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कर्नाटक CM की रेस: सिद्धारमैया vs डीके शिवकुमार – अब क्या होगा?

अरे भाई, कर्नाटक की राजनीति तो इन दिनों मसाला फिल्म की तरह चल रही है! सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की यह टकराहट सिर्फ दो नेताओं की लड़ाई नहीं रह गई है – अब तो यह कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन चुकी है। असल में बात यह है कि शिवकुमार के वोट बैंक ने खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। पर सवाल यह है कि यह सब शुरू कैसे हुआ? और अब आगे क्या? चलिए, बात करते हैं।

जड़ तो 2023 की जीत में थी – पर कहानी उससे भी पुरानी

देखिए न, 2023 में कांग्रेस जीती तो अच्छा लगा। लेकिन उसी वक्त से यह CM पद की लड़ाई शुरू हो गई थी। सिद्धारमैया को तो मुख्यमंत्री बना दिया, पर शिवकुमार के लोगों का कहना है कि पहले वादा कुछ और हुआ था। और सच कहूं तो, यह कोई नई बात भी नहीं है। राजनीति में ऐसे वादे तो हर पार्टी में होते हैं – पर अमल कितनों पर होता है? पिछले कुछ महीनों से यह तनाव धीरे-धीरे बढ़ रहा था, और अब तो बात खुलकर सामने आ गई है।

अब क्या चल रहा है? बेंगलुरु से दिल्ली तक हलचल!

अब स्थिति यह है कि शिवकुमार के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं। और दिल्ली वालों ने? उन्होंने तुरंत मीटिंग बुला ली। सिद्धारमैया कह रहे हैं कि वे पार्टी के फैसले को मानेंगे – पर आप जानते ही हैं न, यह सब राजनीति की भाषा है। मीडिया वालों की मानें तो शायद कार्यकाल बांटने की भी बात चल रही है। पर क्या यह वाकई समाधान होगा? मुझे तो लगता है, यह सिर्फ समय खरीदने की चाल है।

राजनीति की चालें: एक तरफ गांधी, दूसरी तरफ धमकियां

राहुल गांधी जी कह रहे हैं “पार्टी एकजुट है” – भला कौन नेता ऐसा नहीं कहता? लेकिन दूसरी ओर शिवकुमार के लोग साफ़-साफ़ धमकी दे रहे हैं। और BJP? वो तो मौके की ताक में बैठी है। सच तो यह है कि यह झगड़ा अगर ज्यादा बढ़ा तो कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। क्योंकि राजनीति में आंतरिक कलह का फायदा विपक्ष हमेशा उठाता है।

अब क्या? तीन संभावनाएं…

तो अब सवाल यह है कि आगे क्या? मेरे हिसाब से तीन ही रास्ते हैं:
1. या तो सिद्धारमैया हटेंगे और शिवकुमार को मौका मिलेगा
2. या फिर कोई समझौता होगा (शायद कार्यकाल बंटवारा)
3. या सबसे खराब – पार्टी में फूट पड़ जाएगी

और BJP? वो तो जैसे बाघ बनी इस मौके का इंतज़ार कर रही है। अगले कुछ दिन बहुत महत्वपूर्ण होंगे – या तो सब शांत होगा, या फिर और तूफान आएगा।

आखिरी बात: यह सिर्फ दो नेताओं की लड़ाई नहीं है दोस्तों। इसका असर पूरे कर्नाटक की राजनीति पर पड़ेगा। और हां, एक बात और – कांग्रेस को यह जल्दी सुलझाना होगा, वरना… आप समझ ही गए होंगे!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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