कर्नाटक कांग्रेस का सियासी ड्रामा: सिद्धारमैया vs शिवकुमार… और अब कोई तीसरा खिलाड़ी?
अरे भई, कर्नाटक की राजनीति तो इन दिनों मचल रही है! कांग्रेस के अंदर चल रही यह सियासी खींचतान अब खुलेआम सुर्खियों में है। सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार – दोनों ही अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं। लेकिन असली मज़ा तो तब आया जब पार्टी के अंदर से ही किसी “तीसरे नेता” की बात उठने लगी। अब सवाल यह है कि यह तीसरा नाम कौन हो सकता है? और सच कहूं तो, 2024 के elections को देखते हुए यह विवाद कांग्रेस के लिए बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है।
पीछे का सच: यह प्रतिद्वंद्विता नई नहीं
देखिए, सिद्धारमैया और शिवकुमार की यह टकराहट कोई आज की बात नहीं। 2018 से चली आ रही है यह कहानी – जब कांग्रेस और JD(S) ने मिलकर सरकार बनाई थी। हैरानी की बात यह कि 2023 में assembly elections जीतने के बाद भी यह तनाव कम नहीं हुआ। और सबसे बड़ी बात? पार्टी की high command ने जानबूझकर इस आग में घी डाला है। कैसे? किसी एक नेता को स्पष्ट समर्थन न देकर। अब तो कुछ विधायकों ने तीसरे विकल्प की बात शुरू कर दी है – जैसे कोई नया सीरियल शुरू हो गया हो!
ताज़ा अपडेट: क्या चल रहा है पर्दे के पीछे?
अभी-अभी कुछ दिलचस्प हुआ है। कांग्रेस की high command ने दिल्ली में एक crucial meeting बुलाई है। मेरे sources के मुताबिक, पार्टी किसी “compromise candidate” पर विचार कर रही है। मतलब साफ है – न सिद्धारमैया, न शिवकुमार… कोई तीसरा रास्ता! इस बीच दोनों नेताओं ने MLAs को अपने पक्ष में करने की जी-तोड़ कोशिश शुरू कर दी है। लेकिन असली मसाला तो यह है कि कुछ युवा नेताओं ने खुलकर नया नाम सुझाना शुरू कर दिया है। सत्यजीत गायकवाड़ जैसे नाम सुनाई दे रहे हैं। क्या यह सच में कोई समाधान होगा? या फिर नया विवाद?
कौन क्या कह रहा है? सुनिए जनाब!
इस मामले पर reactions तो एकदम फिल्मी हैं! सिद्धारमैया वालों का कहना है – “भई, experience तो देखो उनका! सबसे senior leader हैं हमारे।” शिवकुमार गैंग तुरंत जवाब देता है – “2023 की जीत किसकी मेहनत से मिली? हमारे नेता के बिना तो पार्टी कुछ नहीं!” बीच-बचाव वाले कह रहे हैं – “भाई लोगो, compromise कर लो, नहीं तो BJP को फायदा होगा।” और हां, BJP तो मौके की ताक में ही बैठी है। उनका तो सीधा-साधा मैसेज है – “कांग्रेस डूब रही है!”
अब आगे क्या? कुछ predictions…
तो अब सवाल यह है कि यह सब कहाँ जाकर रुकेगा? पहली बात – अगली दिल्ली meeting में कुछ न कुछ फैसला तो होगा ही। अगर तीसरा नेता आता है तो… समझिए न, या तो पार्टी और बिखरेगी, या फिर सच में नई unity मिलेगी (हालांकि पहला विकल्प ज़्यादा संभव लगता है)। और हां, इसका असर सिर्फ कर्नाटक सरकार पर ही नहीं, 2024 के general elections पर भी पड़ेगा। सबसे बड़ी चिंता? अगर जल्दी solution नहीं निकला, तो BJP इसका पूरा-का-पूरा फायदा उठाएगी।
आखिर में बस इतना कहूंगा – कर्नाटक कांग्रेस अभी अपने सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रही है। यह leadership crisis सुलझी तो पार्टी के लिए नई राह खुलेगी, नहीं तो… खैर, अब यह देखना बाकी है कि high command इस political puzzle को कैसे सुलझाती है। एक तरह से, यह कांग्रेस के लिए checkmate का वक्त है। सच कहूं तो, मैं तो बस popcorns लेकर बैठ गया हूँ!
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कर्नाटक कांग्रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की लंबी खींचतान के बाद अब शायद थोड़ी शांति दिख रही है। क्या आपको भी लगता था कि यह तनाव और बढ़ेगा? लेकिन देखा जाए तो दोनों दिग्गजों के बीच समझौता हो गया है, और पार्टी एक बार फिर एकजुट दिखाई दे रही है।
असल में, यह पूरा प्रकरण राजनीति की एक बड़ी सच्चाई बताता है – चाहे कितनी भी बड़ी टकराहट क्यों न हो, बैठकर बात करने से रास्ता निकल ही आता है। मैं इसे ऐसे समझता हूँ – जैसे घर के दो भाई झगड़ते हैं, लेकिन आखिरकार परिवार ही तो सबसे बड़ा होता है।
अब सवाल यह है कि क्या यह एकता लंबे समय तक टिक पाएगी? कर्नाटक कांग्रेस की अगली चाल सभी को हैरान कर सकती है। फिलहाल तो सबकी नजरें उनकी अगली रणनीति पर हैं। देखते हैं क्या होता है!
PS: राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता, है न? एक दिन में सब बदल सकता है!
कर्नाटक कांग्रेस में सिद्धारमैया vs शिवकुमार: वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते हैं!
1. भईया, ये सिद्धारमैया और शिवकुमार का झगड़ा है किस बात का?
सीधी बात – सत्ता की भूख! दोनों ही CM चेयर पर कब्जा चाहते हैं। सिद्धारमैया तो पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन शिवकुमार भी कहां पीछे हटने वाले? उनके समर्थकों की जंग तो देखने लायक है। सच कहूं तो ये टकराव नया नहीं, बस अब ज़्यादा पब्लिक हो गया है।
2. क्या कोई तीसरा खिलाड़ी भी मैदान में उतर सकता है?
दिलचस्प सवाल! देखिए, कांग्रेस हाईकमान दिल्ली में बैठे-बैठे यही सोच रहे हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक, दो नाम चर्चा में हैं – एक तो प्रियंका खड़गे (हां हां, शिवकुमार के भतीजे वाली), और दूसरा G Parameshwara। पर ये सिर्फ अटकलें हैं या सच… वक्त बताएगा।
3. यार, कहीं ये लड़ाई पार्टी को तो नहीं डुबो देगी?
अरे भई, आपने तो सीधे नर्वस प्वाइंट पकड़ लिया! सच तो ये है कि BJP तो बस यही चाहती है। लेकिन मेरा मानना है कांग्रेस के बड़े नेता इतने बेवकूफ नहीं कि चुनाव से पहले ही बिस्तर गंवा बैठें। हालांकि… अगर ये झगड़ा लंबा खिंचा तो फिर कहना मुश्किल।
4. सच-सच बताइए, क्या ये दोनों एक साथ काम कर पाएंगे?
ऊपर से तो सब ‘एकता-एकता’ का नारा लगाते हैं। पर असलियत? वो तभी पता चलेगी जब सत्ता की बंदरबांट होगी। मेरा गट फीलिंग कहता है – अगर दिल्ली वालों ने साफ़ निर्देश दे दिए तो चल जाएगा। नहीं तो… खैर, आप समझदार हैं!
एक बात और – इन सबके बीच कर्नाटक की जनता का क्या होगा? सोचने वाली बात है ना?
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com