“खालिद का शिवाजी” फिल्म वाला मामला: क्यों भड़क रहा है महाराष्ट्र?
अरे भाई, महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से तूफान आ गया है। और इस बार का विषय? एक मराठी फिल्म जिसका नाम सुनकर ही कुछ लोगों को बुखार चढ़ गया – “खालिद का शिवाजी”। सच कहूं तो ये विवाद कोई नया नहीं है। इतिहास और फिल्मों का ये टकराव तो जैसे अब रोज़ का हो गया है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा गर्मा गया है। दक्षिणपंथी गुट फिल्म में शिवाजी महाराज के चित्रण से नाराज़ हैं और बैन की मांग कर रहे हैं। इतना कि सरकार को CBFC से फिल्म की सेंसर सर्टिफिकेट पर फिर से विचार करने को कहना पड़ा।
आखिर है क्या पूरा गोरखधंधा?
देखिए, फिल्म की कहानी तो कुछ ऐसी है – एक काल्पनिक मुस्लिम युवक खालिद और शिवाजी महाराज की दोस्ती। फिल्मकारों का कहना है कि ये तो सिर्फ एक सुंदर कहानी है जो सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देती है। लेकिन…हमेशा की तरह एक लेकिन ज़रूर आता है न? कुछ लोगों को लग रहा है कि शिवाजी महाराज के चरित्र के साथ छेड़छाड़ की गई है।
अब ट्रेलर आया तो विवाद और बढ़ गया। कुछ दृश्यों को लेकर लोगों को ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ नज़र आई। सवाल यह है कि क्या वाकई में ऐसा है? या फिर ये सिर्फ राजनीति का एक नया मैदान बन गया है? ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है दोनों ही पक्षों में कुछ न कुछ सच्चाई है।
अभी क्या चल रहा है?
महाराष्ट्र के कई हिस्सों में तो जैसे आग लगी हुई है। विरोध प्रदर्शन, धरने…पूरा पैकेज। CBFC ने एक नई कमेटी बना दी है फिल्म को फिर से चेक करने के लिए। और सरकार? वो तो बैकफुट पर है – कह रही है कि अगर CBFC को लगा तो बैन पर विचार करेंगे।
फिल्म वालों की तरफ से क्या कहना है? वो कह रहे हैं, “अरे भई, हम तो बस एक अच्छी कहानी सुनाना चाहते थे।” लेकिन विरोध करने वालों को ये बात पच नहीं रही। सच कहूं तो ये तो वही पुरानी कहानी है – कलाकार की आज़ादी बनाम सांस्कृतिक संवेदनशीलता।
राजनीति में क्या हो रहा है?
अब जहां विवाद होगा, वहां राजनीति तो आएगी ही न! कुछ पार्टियां तो जैसे इस मौके का इंतज़ार ही कर रही थीं। कोई बैन की मांग कर रहा है, तो कोई फ्री स्पीच की बात कर रहा है। और हां…चुनाव नज़दीक हैं न? तो ये मामला तो बिल्कुल तैयार है राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए।
अब आगे क्या?
अगले कुछ दिनों में CBFC की रिपोर्ट आएगी। अगर बैन हुआ तो फिल्म वाले कोर्ट चले जाएंगे – ये तो तय है। कानूनी लड़ाई लंबी खिंच सकती है। और theater वालों की हालत? वो तो बिल्कुल उस बच्चे जैसे हो गए हैं जिसे दोनों तरफ से डांट पड़ रही हो।
एक बात तो तय है – ये मामला अभी और सुर्खियां बटोरेगा। फिल्म रिलीज़ हो या न हो, राजनीतिक बहस तो गर्म रहने वाली है। और हम? हम तो बस पॉपकॉर्न लेकर बैठे हैं इस ड्रामे को देखने के लिए!
“खालिद का शिवाजी” फिल्म विवाद: जानिए क्या है पूरा मामला और क्यों हो रहा है हंगामा?
1. आखिर क्यों भड़क रहा है “खालिद का शिवाजी” का विवाद?
देखिए, मामला कुछ यूं है – कुछ लोगों को लग रहा है कि यह फिल्म शिवाजी महाराज के इतिहास के साथ खिलवाड़ कर रही है। और सच कहूं तो, महाराष्ट्र में तो मानो आग लग गई है! राजनीतिक दलों से लेकर कट्टरपंथी संगठनों तक सभी इस पर बवाल मचा रहे हैं। बैन की मांग? वो तो बस शुरुआत है।
2. CBFC ने क्या किया? सर्टिफिकेट दे दिया या नहीं?
हां, CBFC ने सर्टिफिकेट तो दे दिया है… लेकिन यहां एक पेंच है! कुछ सीन्स में कैंची चल गई है। CBFC का कहना है कि फिल्म में ऐसा कुछ नहीं जो किसी की भावनाएं आहत करे। पर सवाल यह है – क्या सिर्फ cuts लगा देने से विवाद खत्म हो जाएगा? शक है मुझे तो!
3. महाराष्ट्र सरकार ने बैन लगाया या नहीं? असल स्थिति क्या है?
अभी तक तो नहीं… लेकिन दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार review कर रही है – यानी ‘हम देखते हैं’ वाली फिल्मी स्टाइल में टालमटोल। मजे की बात यह कि विपक्षी दल तो मानो सड़कों पर उतर आए हैं। कल तक जो सरकार चुप थी, आज उसके कान खड़े हो गए हैं।
4. फिल्मकारों की क्या कहना है? कोई जवाब दिया या नहीं?
फिल्म टीम का कहना है – “अरे भई, यह तो बस एक creative interpretation है!” उनका दावा है कि शिवाजी के जीवन के एक अनछुए पहलू को दिखाया गया है। पर सच्चाई? जनता इसे कितना स्वीकार करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा। एक तरफ creative freedom, दूसरी तरफ historical accuracy का सवाल। मुश्किल स्थिति है, है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com