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** “किशनगंज: मुस्लिम राजनीति का नया केंद्र या सत्ता की चाबी? जानें पूरी वजह!”

किशनगंज: मुस्लिम राजनीति का नया गढ़ या फिर सत्ता का चाबीखाना? असली सच जानने का वक्त आ गया!

देखिए न, बिहार की सियासत में इन दिनों एक नया ही माजरा चल रहा है। AAP के बड़े नेता संजय सिंह का किशनगंज चक्कर तो अब सुर्खियों से उतर ही नहीं रहा। और सच कहूं तो, मजा आ गया जब बिहार का यह इकलौता मुस्लिम बहुल जिला अचानक 2025 के चुनावों से पहले हर पार्टी की नजर में ‘हॉट प्रॉपर्टी’ बन गया। सवाल तो यह है कि क्या यह AAP की तरफ से बिहार में जमीनी लड़ाई की शुरुआत है या फिर सिर्फ मीडिया हलचल पैदा करने की चाल?

किशनगंज इतना खास क्यों? समझिए असली गणित

असल बात तो यह है कि किशनगंज की राजनीति समझनी हो तो यहां के लोगों को समझना होगा। यहां तकरीबन 68% मुस्लिम आबादी है – और यही तो वह मसाला है जिसकी खुशबू से हर पार्टी का दिमाग चकरा जाता है। अब तक तो यहां कांग्रेस, RJD, BJP और AIMIM का ही बोलबाला रहा है। 2019 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी, पर 2020 में राजद-कांग्रेस की जोड़ी ने बाजी मार ली। लेकिन अब AAP का यहां दखल… यह तो गेम चेंजर हो सकता है! क्योंकि पहली बार कोई पार्टी सीधे बिहार के मुस्लिम वोट बैंक को टारगेट कर रही है।

AAP की चाल या फिर चालाकी? सियासी दाव-पेंच

संजय सिंह ने हाल ही में किशनगंज में स्थानीय नेताओं और मुस्लिम समुदाय के साथ बैठक की। और हां, AAP ने education, employment और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। पर सच तो यह है कि दूसरी पार्टियों को यह बिल्कुल रास नहीं आया। RJD और कांग्रेस तो इसे ‘वोट बैंक तोड़ने की साजिश’ बता रहे हैं, वहीं BJP ने AAP को ‘दिल्ली की पार्टी’ कहकर नकार दिया है। और तो और, AIMIM तो सीधे-सीधे AAP को चुनौती दे बैठी है!

जमीनी हकीकत: क्या सोच रहे हैं आम लोग?

किशनगंज के कुछ स्थानीय नेताओं की मानें तो अगर AAP सच में development के मुद्दे लेकर आई है, तो लोग उसे मौका जरूर देंगे। पर एक कड़वा सच यह भी है कि यहां के बड़े वर्ग को अभी भी पुरानी पार्टियों पर भरोसा है। RJD और कांग्रेस तो यहां तक कह रहे हैं कि AAP का बिहार में कोई ground reality ही नहीं है – बस मीडिया में हलचल मचाने का खेल है।

आगे क्या? राजनीति का नया समीकरण

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या AAP किशनगंज में अपनी पकड़ बना पाएगी? या फिर यह सब सिर्फ दिखावा है? 2025 के चुनावों में मुस्लिम वोट किसके पक्ष में जाएंगे – यह तो वक्त ही बताएगा। पर एक बात तो तय है – किशनगंज अब बस एक जिला भर नहीं रहा, बल्कि बिहार की सियासत का नया युद्धक्षेत्र बन चुका है।

अंत में इतना ही कहूंगा – AAP का यह कदम बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। पर यह तभी होगा जब वह जमीन पर लोगों का भरोसा जीत पाए। वरना तो… यह सब भी उन्हीं सियासी कोशिशों की एक कड़ी भर होगी जिनका अंत पहले से ही साफ दिख रहा होता है।

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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