कोलकाता गैंगरेप केस: मनोजीत के शरीर पर नाखून के निशान मिले – क्या यही है वो टर्निंग पॉइंट?
सुनकर हैरानी होगी, लेकिन कोलकाता के उसी चर्चित लॉ कॉलेज केस में अब एक नया ट्विस्ट आया है। SIT की जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा की बॉडी पर ताज़ा खरोंच और नाखून के निशान हैं। और यहीं से केस ने एक नई दिशा पकड़ ली है। क्योंकि ये वही निशान हैं जो पीड़ित लड़की ने अपने बयान में बताए थे। सच कहूं तो, ये खुलासा पूरे केस को ही उलट सकता है।
पूरा मामला क्या है?
याद दिला दूं, ये वही केस है जो कोलकाता के एक बड़े लॉ कॉलेज में हुआ था। जहां एक छात्रा ने कई स्टूडेंट्स पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। असल में, पीड़िता ने तो साफ-साफ कहा था कि उसने जमकर मुकाबला किया था। नाखूनों से खरोंचा था। और अब ये निशान मिलना… सोचिए, क्या ये महज संयोग हो सकता है? बंगाल सरकार ने तो मामले को गंभीरता से लेते हुए SIT बना दी थी, जो अब इन्हीं नए सबूतों पर काम कर रही है।
जांच में क्या नया हुआ?
देखिए ना, SIT की रिपोर्ट क्या कहती है – मनोजीत की पीठ और बाजुओं पर ताज़े खरोंच के निशान! और यही नहीं, फोरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक ये निशान उसी वक्त के हैं जब ये घटना हुई थी। अब आप ही बताइए, क्या ये पीड़िता के बयान को सच साबित नहीं करता?
एक तरफ तो ये सबूत केस को और मजबूत करते हैं, वहीं SIT अब DNA टेस्ट कर रही है। मतलब साफ है – ये पक्का करना कि ये निशान सच में उसी लड़की के नाखूनों से बने हैं या नहीं। थोड़ा टेक्निकल लगता है, लेकिन यही तो सच्चाई सामने लाएगा।
किसकी चली बाजी?
इस खबर के बाद तो मानो हर तरफ से रिएक्शन आने लगे। पीड़िता के परिवार का कहना है – “हमें बस न्याय चाहिए। ये सबूत बताते हैं कि हमारी बेटी ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी।” वहीं आरोपियों के वकील… हमेशा की तरह अपनी ही रट लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि ये निशान किसी और वजह से भी हो सकते हैं। सच कहूं तो, ये तो कोर्ट ही तय करेगा।
राजनीति की बात करें तो… अरे भई, ये तो होनी ही थी! विपक्ष सरकार पर जांच में देरी का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकारी नेता SIT की निष्पक्षता की दुहाई दे रहे हैं। क्या आपको भी लगता है कि ये मामला अब राजनीति का शिकार बन रहा है?
अब आगे क्या?
अब SIT इन सबूतों को कोर्ट में पेश करेगी। फोरेंसिक टीम निशानों की गहराई, दिशा – सब कुछ चेक करेगी। एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर ये साबित हो जाता है कि निशान पीड़िता के ही हैं, तो ये केस का गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
पर सवाल ये भी है कि क्या सिर्फ निशान मिल जाने से न्याय मिल जाएगा? क्योंकि इस पूरे मामले ने तो कैंपस सेफ्टी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। लड़कियों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की मांग तेज हो रही है। शायद यही सही वक्त है सिस्टम को सुधारने का।
तो क्या कहें इस केस के बारे में?
सच तो ये है कि ये नए सबूत पीड़िता के पक्ष में जरूर मजबूत दलील हैं। लेकिन अभी तो जंग का ये सिर्फ एक पड़ाव है। आगे क्या होता है, ये तो वक्त ही बताएगा। एक तरफ जहां परिवार को न्याय की उम्मीद है, वहीं ये केस हमारी पूरी न्याय व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रहा है।
आखिर में एक सवाल – क्या आपको लगता है कि इस केस में सच्चाई सामने आ पाएगी? या फिर ये भी उन हज़ारों केसों की तरह फाइलों में दब जाएगा? सोचिएगा जरूर…
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Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com