कोरिया का वेल्थ फंड US ट्रेजरी पर दांव लगा रहा है – पर क्यों?
अरे भाई, दक्षिण कोरिया का मशहूर $206.5 बिलियन वाला सॉवरेन वेल्थ फंड (KIC) हाल ही में एक बड़ा मूव करने वाला है। उसने US ट्रेजरी बॉन्ड्स में अपना पैसा लगाने का फैसला किया है। अब सवाल यह है कि जब पूरी दुनिया के निवेशक आर्थिक अनिश्चितता से घबराए हुए हैं, तो KIC ने यह कदम क्यों उठाया? असल में, यह फैसला सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भरोसे का साफ़ संकेत है। और हां, यह वैश्विक बाजारों के लिए एक राहत भरी खबर ज़रूर है।
US ट्रेजरी – सुरक्षित घर या जोखिम भरा दांव?
देखिए, US ट्रेजरी बॉन्ड्स को लंबे समय से ‘सबसे सुरक्षित’ निवेश माना जाता रहा है। कारण साफ़ है – अमेरिकी सरकार की गारंटी। लेकिन पिछले कुछ महीनों का नज़ारा कुछ और ही बयान कर रहा था। ब्याज दरें डगमगा रही थीं, मुद्रास्फीति का डर सता रहा था… ऐसे में कई बड़े निवेशक पीछे हट गए थे। तो फिर KIC ने अचानक यह उल्टा कदम क्यों उठाया? शायद इसलिए कि यह दुनिया के टॉप वेल्थ फंड्स में से एक है, और इसके एक फैसले से पूरे बाजार का रुख बदल सकता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे क्लास में टॉपर का जवाब देखकर बाकी स्टूडेंट्स भी कॉन्फिडेंट हो जाते हैं!
KIC का गेम प्लान क्या है?
KIC ने साफ़ कहा है – US ट्रेजरी उनके कोर होल्डिंग्स में रहेगी। फंड के हेड का तर्क दिलचस्प है: “अमेरिकी अर्थव्यवस्था लंबे समय तक स्थिर रहेगी।” थोड़ा अटपटा लगता है न? जब सब डर रहे हैं, तो यह आशावाद कहां से आ रहा है? पर शायद इनके पास कुछ ऐसा डेटा है जो हमें नहीं दिख रहा। और सच कहूं तो, इस फैसले ने बाजारों में एक नई हवा भर दी है। अब देखना यह है कि क्या अन्य एशियाई निवेशक भी इसी राह पर चलेंगे।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिकी डॉलर की ताकत का संकेत है। वहीं कुछ आलोचकों की नज़र में यह एक जोखिम भरा दांव है – खासकर जब अमेरिकी कर्ज़ आसमान छू रहा हो। एक तरफ तो यह फैसला सराहना पा रहा है, दूसरी तरफ सवाल भी उठ रहे हैं। पर एक बात तय है – KIC ने बाजारों में एक बहस छेड़ दी है। और कभी-कभी, सिर्फ बहस छेड़ देना भी एक बड़ी बात होती है!
आगे क्या होगा?
अब सबकी नज़र दूसरे बड़े वेल्थ फंड्स पर है। क्या वे भी KIC का अनुसरण करेंगे? अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था सच में मजबूत होती है, तो ट्रेजरी बॉन्ड्स की डिमांड बढ़ सकती है। लेकिन यहां एक ‘पर’ ज़रूर है – ब्याज दरों और मुद्रास्फीति पर नज़र बनाए रखनी होगी। क्योंकि अर्थशास्त्र में, आज का हीरो कल का जीरो भी हो सकता है!
तो कुल मिलाकर? KIC ने एक दिलचस्प चाल चली है। यह फैसला न सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भरोसे को दिखाता है, बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए एक संदेश भी है। अब बस इंतज़ार है – देखना यह है कि यह चाल काम करती है या नहीं। और हमारे जैसे आम निवेशकों के लिए? शायद यह समय बैठकर पॉपकॉर्न खाने और मार्केट को देखने का है!
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Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com