लालू-तेजस्वी का दिया जख्म भूल गए ओवैसी? RJD का ये नया चाल-चलन हैरान करने वाला!
अरे भई, बिहार की राजनीति में तो मानो नया सीरियल शुरू हो गया है! असदुद्दीन ओवैसी, जो कभी RJD के सबसे बड़े आलोचकों में से एक थे, अब महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने की बात कर रहे हैं। और हैरानी की बात ये कि RJD ने भी तुरंत एक दूत भेजकर बातचीत शुरू कर दी है। सच कहूँ तो, ये वाकई चौंकाने वाला मोड़ है। क्योंकि जिस तरह से लालू-तेजस्वी और ओवैसी एक-दूसरे पर नोकझोंक करते रहे हैं, उसे देखते हुए ये सब किसी राजनीतिक ड्रामे से कम नहीं लगता।
याद है वो 2015 का धमाल?
असल में बात ये है कि 2015 के चुनावों में ओवैसी ने RJD के लिए काफी मुसीबत खड़ी कर दी थी। मुस्लिम वोटों को बाँटने की उनकी रणनीति ने महागठबंधन को खासा नुकसान पहुँचाया था। और तो और, ओवैसी ने तो लालू जी पर सीधे आरोप लगा दिया था कि वो मुस्लिम वोटों का “भावनात्मक शोषण” कर रहे हैं! जवाब में तेजस्वी यादव ने भी कम नहीं किया – उन्होंने ओवैसी को “NDA का एजेंट” तक कह डाला। इतने तीखे तेवरों के बाद किसने सोचा था कि ये दोनों फिर से एक मंच पर आ सकते हैं? लेकिन राजनीति में कुछ भी तो असंभव नहीं, है न?
अचानक ये बदलाव क्यों?
अब ओवैसी साहब ने अपना रुख बदल लिया है। कह रहे हैं कि NDA को रोकने के लिए महागठबंधन के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। और RJD ने भी मौके को हाथ से जाने नहीं दिया – तुरंत एक वरिष्ठ नेता को दूत बनाकर भेज दिया। सच बताऊँ तो, BJP और JDU के लिए ये चिंता की बात है। क्योंकि अगर ये गठजोड़ हो गया तो बिहार में मुस्लिम वोटों का पूरा गणित ही बदल सकता है। और हम सब जानते हैं कि बिहार की राजनीति में ये वोट कितने अहम हैं।
क्या कह रहे हैं दलों के नेता?
RJD के एक बड़े नेता ने तो बड़ी साफगोई दिखाई – “हमें तो सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लाना है। ओवैसी से बातचीत जारी है, और हमें अच्छे नतीजे की उम्मीद है।” वहीं BJP वाले तो जैसे आग बबूला हो गए। उनका कहना है कि “ये तो सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है।” सबसे मजेदार बात? तेजस्वी यादव अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के अंदर इस मुद्दे पर जमकर बहस हो रही है। कुछ लोग इस गठजोड़ के पक्ष में हैं, तो कुछ अभी भी ओवैसी पर भरोसा करने को तैयार नहीं।
आगे क्या होगा? कुछ अंदाजा?
देखिए, अगर ये गठबंधन हो जाता है तो NDA के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। मुस्लिम वोटों का एकजुट होना महागठबंधन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। लेकिन यहाँ एक ‘पर’ भी है – अगर किसी कारण से ये डील फेल हो गई तो? फिर तो ओवैसी फिर से वही पुरानी भूमिका में आ सकते हैं – ‘वोट कटर’ की। और तब महागठबंधन के लिए मुसीबत और बढ़ सकती है।
तो दोस्तों, बिहार की राजनीति में एक बार फिर मजा आने वाला है! ओवैसी अचानक से सेंटर स्टेज पर आ गए हैं। RJD की ये नई चाल चुनावी समीकरण को पलट सकती है। पर सवाल ये है कि क्या ये गठजोड़ टिक पाएगा? क्या पुराने दुश्मन सच में नए दोस्त बन पाएंगे? या फिर ये सब सिर्फ दिखावा है? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो हम सबके पास पॉपकॉर्न लेकर बैठने के अलावा और कोई चारा नहीं!
यह भी पढ़ें:
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com