18 साल से पहले संबंध बनाना कानूनी है? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब चौंकाने वाला!
अरे भाई, ये मामला तो हंगामा खड़ा कर देने वाला है! सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने एकदम साफ़ शब्दों में कह दिया – “18 साल से कम उम्र में सहमति से भी संबंध बनाना गैरकानूनी ही रहेगा।” और जानते हैं क्यों? क्योंकि असल मुद्दा यहाँ सिर्फ़ सहमति का नहीं, बल्कि नाबालिगों को शोषण से बचाने का है। सच कहूँ तो, ये बहस सिर्फ़ कानूनी नहीं, सामाजिक भी है। जब कोर्ट में याचिका दाखिल हुई कि सहमति की उम्र 16 साल कर दी जाए, तो सरकार ने तुरंत अपना पक्ष रख दिया। और अब तो पूरे देश में इस पर बहस छिड़ गई है – क्या सही है, क्या गलत?
पूरा मामला समझिए: कानून अभी क्या कहता है?
देखिए, हमारे देश में POCSO Act एकदम सख़्त कानून है। इसके मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के साथी के साथ शारीरिक संबंध? बिल्कुल नहीं! चाहे वो सहमति से ही क्यों न हो। अब हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका आई जिसमें कहा गया कि 16-17 साल के किशोर तो इतने समझदार होते हैं कि अपने फैसले खुद ले सकते हैं। लेकिन सरकार का जवाब? “नहीं, बिल्कुल नहीं।” उनका कहना है कि अगर ये सीमा कम की गई तो शोषण के मामले बढ़ जाएंगे। और सच्चाई ये है कि भारत जैसे देश में, जहाँ बाल विवाह अभी भी एक बड़ी समस्या है, ये चिंता वाजिब भी लगती है।
सरकार क्यों नहीं मान रही झुकने को?
असल में बात ये है कि सरकार का पूरा फोकस बच्चों की सुरक्षा पर है। उनका तर्क समझिए – क्या 16 साल का लड़का या लड़की वाकई में इतना परिपक्व होता है कि ऐसे फैसले ले सके? और फिर, हमारे समाज की हकीकत तो आप जानते ही हैं – कितने केस आते हैं जहाँ बच्चों को लालच देकर या डराकर गलत काम करवाया जाता है। सरकार का डर यही है कि अगर उम्र सीमा कम हुई तो ये समस्या और बढ़ जाएगी। कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है, और अगली सुनवाई का इंतज़ार सबको है।
दोनों पक्षों की बात: सुरक्षा vs आज़ादी
अब यहाँ दोनों तरफ के लोग अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। एक तरफ तो child protection organizations और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये कानून बिल्कुल सही है। उनका सवाल है – “क्या आप मानेंगे कि 16 साल का बच्चा शादी के लिए तो नाकाफी समझदार है, लेकिन शारीरिक संबंधों के लिए परिपक्व है?” दूसरी ओर, कुछ युवा संगठन और activists का मानना है कि आजकल के बच्चे जल्दी समझदार हो जाते हैं। उनकी दलील – “अगर वो vote नहीं दे सकते तो क्या उन्हें अपने शरीर पर अधिकार भी नहीं होना चाहिए?” सच तो ये है कि ये कोई आसान मुद्दा नहीं है। Legal experts भी कह रहे हैं कि इसमें एक बैलेंस बनाना होगा – सुरक्षा और अधिकारों के बीच।
अब क्या होगा? कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में जाएगा?
अब सबकी नज़रें कोर्ट पर टिकी हैं। अगर कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया तो POCSO Act जैसे कानूनों में कोई बदलाव नहीं आएगा। लेकिन अगर कुछ छूट मिल गई तो? फिर तो भारत के कानूनी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा! सच पूछो तो ये सिर्फ़ कानूनी मामला नहीं रह गया है। ये हमारे समाज के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है – हम अपने युवाओं को कितनी आज़ादी देना चाहते हैं, और कितनी सुरक्षा? जो भी फैसला आए, उसका असर लंबे समय तक दिखेगा। तो आपकी राय क्या है? क्या 18 साल की सीमा ज़रूरी है, या इसमें बदलाव होना चाहिए?
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18 साल से पहले संबंध बनाना – कानून क्या कहता है? जानिए पूरी बात
1. क्या 18 साल से कम उम्र में संबंध बनाना भारत में चलता है?
सीधा जवाब – बिल्कुल नहीं! देखिए, हमारे देश में POCSO Act एकदम सख्त है। अगर कोई 18 साल से कम उम्र के साथ physical relationship बनाता है, तो चाहे लड़का-लड़की दोनों राजी ही क्यों न हों, कानून की नज़र में यह अपराध है। सच कहूं तो यह rule थोड़ा सख्त जरूर लगता है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
2. अरे, लेकिन अगर दोनों ही तो किशोर हैं? कोई छूट?
यही तो बड़ी दिक्कत है दोस्त! कानून में कोई ‘टीन लव’ वाला exception नहीं है। मान लीजिए दोनों 17 साल के हैं और प्यार में हैं – तब भी technically यह criminal offense ही माना जाएगा। हां, कुछ केसों में कोर्ट circumstances देखकर राहत दे देता है, पर कानून तो कानून ही रहता है। थोड़ा अजीब लगता है न?
3. सरकार इस बारे में क्या सोचती है? क्या बदलाव आएगा?
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। उनका कहना है – “भाई, 18 साल से कम उम्र वालों के लिए कोई छूट नहीं मिलेगी।” POCSO Act को और भी सख्ती से लागू करने पर जोर दिया गया है। सरकार की मंशा साफ है – बच्चों को सेक्शुअल एक्सप्लॉइटेशन से बचाना।
4. 16-17 साल के बच्चे अगर अपनी मर्जी से रिलेशनशिप में हों तो?
समझने वाली बात यह है कि भारत में अभी तक ‘रोमियो-जूलियट क्लॉज’ जैसा कुछ नहीं है। मतलब, consent हो या न हो, 18 साल से कम उम्र = पूरी तरह illegal। कुछ लोग कहते हैं कि इसमें बदलाव होना चाहिए, लेकिन अभी के हालात में तो POCSO एकदम स्ट्रिक्ट है। सच बात तो यह है कि इस उम्र में इमोशंस हावी होते हैं, इसलिए कानून ने सीधा ‘ना’ कह दिया है।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com