लखनऊ का चारबाग स्टेशन: 100 साल की वो धाकड़ कहानी जिसे हर उत्तर भारतीय जानता है!
अरे भाई, लखनऊ का चारबाग स्टेशन अब बूढ़ा हो गया है… मतलब 100 साल का! सच कहूं तो ये सिर्फ एक स्टेशन नहीं, बल्कि शहर की शान है। जैसे दिल्ली में इंडिया गेट होता है, वैसे ही लखनऊ में चारबाग। और सुनो, इसकी खूबसूरती तो देखते ही बनती है – ब्रिटिश काल का वो जमाना जब इसे बनाया गया था, आज भी इसकी झलक मिल जाती है।
क्या आप जानते हैं? 1923 में बना ये स्टेशन उस जमाने में 70 लाख रुपये में बना था! आज के हिसाब से सोचो तो… छोड़ो, गणित में पड़ने का मन नहीं करता। पर ये सच में Palace on Wheels जैसा लगता है – गुंबद, मेहराब और हरियाली का ऐसा कॉम्बिनेशन कि लगता है कोई राजा-महाराजा का महल हो।
अब इसके 100 साल पूरे होने पर रेलवे वालों ने क्या-क्या ठाना है? पहले तो एक शानदार प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जहां पुरानी तस्वीरें और कहानियां देखने को मिलेंगी। फिर स्टेशन को और साफ-सुथरा बनाने का काम चल रहा है। सबसे मजेदार बात? अब पुराने दस्तावेजों को डिजिटल कर रहे हैं – मतलब हमारे बच्चे भी इन्हें ऑनलाइन देख पाएंगे। कूल है न?
सच बताऊं? लखनऊ वालों को तो इस स्टेशन पर नाज है। आप किसी से भी पूछ लो, चारबाग के बारे में उनकी आंखें चमकने लगेंगी। इतिहासकार तो कहते हैं कि ये सिर्फ ईंट-गारे की इमारत नहीं, बल्कि जिंदा इतिहास है। और हां, अब तो UNESCO की World Heritage लिस्ट में शामिल होने की भी बात चल रही है!
अगले कुछ सालों में क्या होगा? शायद Heritage Walk शुरू हों, जहां पर्यटकों को इसकी कहानी सुनाई जाएगी। रेलवे वाले भी कह रहे हैं कि मॉडर्न बनाने के साथ-साथ इसकी पुरानी शान को भी बरकरार रखेंगे। सच कहूं तो, चारबाग तो वैसे ही अमर हो चुका है – अब बस ये देखना है कि आने वाली पीढ़ियां इसे कितना संभाल पाती हैं। वैसे मेरा तो यकीन है, ये स्टेशन अगले 100 साल भी ऐसे ही टिका रहेगा!
लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन: 100 साल का सफर और वो सवाल जो हर कोई पूछता है
1. चारबाग स्टेशन बनाने में कितना पैसा लगा होगा?
सुनकर हैरान रह जाओगे – उस ज़माने में 70 लाख रुपये! अब तो ये रकम कुछ बड़े बिल्डरों के फ्लैट्स के down payment जितनी होगी। है न मज़ेदार बात? वो भी ब्रिटिश राज के दौरान बना ये स्टेशन, और सच कहूँ तो इसकी architecture आज भी लोगों को हैरान कर देती है।
2. ‘चारबाग’ नाम पड़ा कैसे? कोई खास वजह?
असल में ये नाम तो मुगलों की देन है भई! स्टेशन के पास ही थे चारबाग गार्डन्स… यानी चार बाग़ वाली जगह। मुगलों ने बनवाए थे ये बाग, और आज भी ये लखनऊ की शान हैं। सोचो, कितना पुराना कनेक्शन है?
3. क्या सच में UNESCO ने इसे World Heritage Site माना है?
हाँ जी, बिल्कुल सच! हालांकि अभी tentative list में है, लेकिन ये अपने आप में बड़ी बात है न? इसकी ऐतिहासिक अहमियत और खूबसूरती को देखते हुए UNESCO ने ये सम्मान दिया है। अब बस फाइनल लिस्ट में आने का इंतज़ार है!
4. क्या खास है इस स्टेशन की बनावट में?
अरे, यहाँ तो दो कल्चर्स की झलक मिलती है – एक तरफ मुगलों की नफासत, दूसरी तरफ अंग्रेजों का स्टाइल। गुंबद, मेहराब, बारीक नक्काशी… सब कुछ इतना खूबसूरत कि लोग इसे ‘रेलवे स्टेशन्स का ताजमहल’ कहने लगे। और सच कहूँ? ये नाम बिल्कुल सही बैठता है!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com