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“महाराष्ट्र लाडकी बहन योजना से 26 लाख महिलाएं बाहर! ECI ने SIR पर उठाए 3 गंभीर सवाल”

महाराष्ट्र की लाडकी बहन योजना में धांधली? 26 लाख महिलाओं का नाम कटा, ECI ने पूछे ये 3 सख्त सवाल

अरे भई, महाराष्ट्र सरकार की मशहूर “लाडकी बहन योजना” में तो बड़ा हंगामा मच गया है! सच कहूँ तो, ये मामला सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर देता है। चुनाव आयोग (ECI) ने तो सीधे-सीधे कह दिया है कि 26 लाख महिलाएँ जो इस योजना का फायदा उठा रही थीं, वो असल में पात्र ही नहीं थीं। है न हैरान कर देने वाली बात? अब सवाल ये है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग सिस्टम में घुस कैसे गए? और तो और, जब इन्हें योजना से हटाया गया तो पता चला कि State Identification Register (SIR) का डेटा ही गड़बड़ है। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब बहुत संदेहास्पद है?

योजना का मकसद क्या था?

देखिए, असल में ये योजना तो बहुत अच्छे इरादे से शुरू की गई थी। मकसद था गरीब परिवारों की बेटियों को पढ़ाई और शादी के लिए आर्थिक मदद देना। लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है जैसे ये नेक इरादे भी कहीं दफन हो गए। ECI की जाँच में पता चला कि SIR में जिन्हें लाभार्थी बना दिया गया, वो तो पात्रता के मानदंडों पर खरे ही नहीं उतरते। सच बताऊँ? ऐसा लगता है जैसे किसी ने जान-बूझकर आँखें मूंद ली हों।

क्या-क्या सामने आया?

अब ये जो सच सामने आया है, वो तो किसी सदमे से कम नहीं। 26 लाख महिलाएँ! यानी हर दस में से तीन-चार फर्जीवाड़ा कर रही थीं। कुछ के पास जरूरी दस्तावेज ही नहीं थे, तो कुछ आर्थिक रूप से संपन्न थीं। ECI ने तो सरकार से सीधे तीन सवाल पूछ डाले – लाभार्थियों की जाँच कैसे हुई? डेटा में गलतियाँ क्यों हैं? और निगरानी व्यवस्था इतनी लचर कैसे हो गई? और तो और, विपक्ष तो इसे सीधे-सीधे घोटाला बता रहा है। CBI जाँच की माँग भी उठने लगी है।

राजनीति गरमाई

अब तो मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। सरकार का कहना है कि उन्होंने डिजिटल वेरिफिकेशन से फर्जी लाभार्थियों को पकड़ा है। लेकिन विपक्ष का तो ये कहना है कि “अरे भई, पहले खुद ही गलत लोगों को पैसा बाँट दिया, अब हमें बेवकूफ बना रहे हो?” सच तो ये है कि जिन गरीब परिवारों को असल में मदद चाहिए थी, वो तो हाथ मलते रह गए।

आगे क्या होगा?

अब देखना ये है कि ये मामला कहाँ तक जाता है। अगर ECI को धोखाधड़ी के सबूत मिले, तो कानूनी कार्रवाई तो होगी ही। सरकार अब बायोमेट्रिक सिस्टम लाने की बात कर रही है। पर सवाल ये है कि जब पहले ही इतनी बड़ी गड़बड़ी हो गई, तो अब कौन भरोसा करे? और तो और, महाराष्ट्र के आने वाले चुनावों में ये मुद्दा गरमा सकता है।

आखिरी बात: ये पूरा मामला दिखाता है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की कितनी कमी है। अब ये देखना होगा कि सरकार इस विवाद से कैसे निकलती है। वैसे मेरी निजी राय? जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसे मामले होते रहेंगे। क्या आपको नहीं लगता?

महाराष्ट्र लाडकी बहन योजना – वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते थे!

1. ये लाडकी बहन योजना आखिर है क्या चीज़?

देखिए, हर माँ-बाप की चाहत होती है कि बेटी पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो। पर क्या हर कोई इसे पूरा कर पाता है? शायद नहीं। तो इसी सोच के साथ महाराष्ट्र सरकार ने ये scheme शुरू की है। असल में, यह लड़कियों की पढ़ाई और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली एक financial सहायता योजना है। सीधे शब्दों में कहें तो – पात्र लड़कियों को पैसा मिलता है ताकि उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।

2. ECI ने SIR रिपोर्ट पर उठाए ये 3 सवाल… क्या है पूरा माजरा?

अब यहाँ थोड़ा controversy भी है। Election Commission (ECI) ने State Implementation Report (SIR) पर कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं। पहला तो ये कि 26 लाख महिलाओं को scheme से बाहर क्यों किया गया? दूसरा – क्या beneficiary चुनने की प्रक्रिया पारदर्शी थी? और तीसरा सबसे मज़ेदार… क्या ये फैसला किसी political मंशा से प्रभावित था? सच कहूँ तो ये सवाल scheme की विश्वसनीयता पर सीधा प्रहार करते हैं।

3. क्या बाहर हुई महिलाएं दोबारा apply कर सकती हैं? जानिए पूरी डिटेल

अच्छी खबर ये है कि हाँ, apply किया जा सकता है। लेकिन… हमेशा की तरह यहाँ भी एक ‘लेकिन’ है। अगर कोई महिला नए eligibility criteria पूरा करती है तो वह दोबारा आवेदन कर सकती है। पर ध्यान रहे – नए guidelines के साथ-साथ सारे documents भी फिर से जमा करने होंगे। थोड़ा कागज़ी काम तो करना ही पड़ेगा!

4. लाडकी बहन योजना में कौन apply कर सकता है? Eligibility की पूरी कहानी

अब सबसे ज़रूरी बात – किसे मिलेगा इसका फायदा? पहली शर्त तो यही कि आप महाराष्ट्र की मूल निवासी हों। दूसरा – आपका परिवार Below Poverty Line (BPL) कैटेगरी में आता हो। तीसरा – लड़की का स्कूल या कॉलेज में दाखिला होना चाहिए। और हाँ, कुछ मामलों में caste-based criteria भी लागू होते हैं। सच कहूँ तो criteria थोड़े strict हैं, पर जिन्हें मौका मिल रहा है, उनके लिए ये वाकई life-changing scheme साबित हो सकती है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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