महाराष्ट्र राजनीति: BEST पतपेढ़ी चुनाव में राज-उद्धव गठबंधन! क्या स्थानीय निकाय चुनाव भी साथ लड़ेंगे?

महाराष्ट्र की राजनीति में धमाल! BEST पतपेढ़ी चुनाव में राज-उद्धव की जोड़ी… क्या अब स्थानीय चुनावों में भी साथ दिखेंगे?

अरे भई, महाराष्ट्र की राजनीति तो इन दिनों एकदम मसालेदार हो गई है। कल तक जो लोग एक-दूसरे को नोच रहे थे, आज वही राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे BEST पतपेढ़ी उपचुनाव में साथ खड़े नज़र आ रहे हैं! सच कहूं तो ये मोड़ किसी ने नहीं देखा था। अब सवाल यह है कि क्या ये नया ‘दोस्ताना’ सिर्फ इसी चुनाव तक सीमित रहेगा, या फिर 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले ये जोड़ी और मजबूत होगी? देखने वाली बात होगी।

पीछे का सच – क्यों मिले दोनों?

याद कीजिए 2022 को, जब शिवसेना और एनसीपी दो टुकड़ों में बंट गए थे। उस वक्त तो लगता था कि राज और उद्धव कभी एक मंच पर नहीं आएंगे। लेकिन राजनीति, मेरे दोस्त, कभी-कभी क्रिकेट से भी ज्यादा अनपेक्षित मोड़ ले लेती है। BJP और शिंदे गुट के खिलाफ एकजुट होने की ये कोशिश… असल में ये विपक्ष की मजबूरी भी है और समझदारी भी। BEST पतपेढ़ी में साथ आना शायद पहला कदम है। पर क्या ये कदम आगे बढ़ेगा? वो तो वक्त बताएगा।

ताज़ा खबर क्या कहती है?

BEST पतपेढ़ी में तो दोनों नेताओं ने एक ही उम्मीदवार को समर्थन दे दिया है। BJP वालों का कहना है – “ये सिद्धांतहीन राजनीति है।” हंसी आती है! जब ये लोग खुद गठबंधन बदलते हैं तो ‘राजनीतिक समझदारी’ कहते हैं, और दूसरों के लिए ‘सिद्धांतहीन’ शब्द ढूंढ लेते हैं। वैसे राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो ये 2024 के लिए बड़े संकेत हैं। अगर ये जोड़ी कामयाब रही, तो कांग्रेस भी इस पार्टी में शामिल हो सकती है। मजेदार होगा!

कौन क्या बोला?

उद्धव गुट वाले तो इसे ‘जनता की एकता’ बता रहे हैं। राज ठाकरे के लोग कह रहे हैं – “BJP के खिलाफ सबको साथ आना चाहिए।” दूसरी तरफ BJP ने तो जैसे मोर्चा ही खोल दिया है – “सत्ता के लालच में ये लोग कुछ भी करने को तैयार हैं।” सच्चाई? शायद इन सबके बीच में कहीं है। एक बात तो तय है – महाराष्ट्र की राजनीति अब और दिलचस्प होने वाली है।

अब आगे क्या?

असली सवाल तो ये है कि क्या ये गठबंधन नगर निगम और पंचायत चुनावों तक चलेगा? मुंबई की सियासी गलियारों में तो ये चर्चा गर्म है कि 2024 से पहले कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी का बड़ा गठबंधन बन सकता है। अगर ऐसा हुआ तो… अरे भई, फिर तो खेल ही बदल जाएगा! BJP और शिंदे गुट को नई रणनीति बनानी पड़ेगी। फिलहाल तो BEST पतपेढ़ी का ये प्रयोग देखना होगा। अगले कुछ महीनों में स्थानीय चुनावों में क्या होता है, वो सबकुछ साफ कर देगा।

आखिर में बस इतना कहूंगा – महाराष्ट्र की राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। कल तक के दुश्मन आज साथ खड़े हैं। क्या ये दोस्ती लंबी चलेगी? वो तो… खैर, आप भी जानते हैं ना, राजनीति में कुछ भी अटल नहीं होता!

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महाराष्ट्र की राजनीति और पतपेढ़ी चुनाव: कुछ जरूरी सवाल जो आपके दिमाग में घूम रहे होंगे

1. राज-उद्धव गठबंधन… ये सब चल क्या रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (अजित पवार गुट) ने हाथ मिला लिया है। अब ये दोनों पार्टियां पतपेढ़ी में साथ-साथ चुनाव लड़ेंगी। है न दिलचस्प? महाराष्ट्र की राजनीति में ये एक बड़ा मोड़ हो सकता है… या फिर सिर्फ एक और राजनीतिक चाल। समय बताएगा!

2. क्या ये जोड़ी आगे भी चलेगी?

ईमानदारी से कहूं तो, अभी कुछ भी तय नहीं है। लेकिन अगर पतपेढ़ी में इन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है, तो फिर स्थानीय निकाय चुनावों में भी ये जोड़ी दिख सकती है। वैसे भी, राजनीति में तो कल कुछ भी हो सकता है – आज का दोस्त कल का दुश्मन बन जाता है!

3. BJP के लिए ये कितनी बड़ी मुसीबत है?

अरे भई, सवाल तो ये है कि BJP इसको कितनी बड़ी मुसीबत मान रही है! असल में देखा जाए तो, शिवसेना और NCP का कॉम्बाइंड वोट बैंक – खासकर मुंबई और दूसरे शहरी इलाकों में – BJP के लिए सिरदर्द बन सकता है। लेकिन याद रखिए, BJP भी कोई छोटी-मोटी पार्टी नहीं है। Game on!

4. पतपेढ़ी चुनाव इतना खास क्यों है?

इसे ऐसे समझिए – पतपेढ़ी चुनाव एक तरह का टेस्ट केस है। अगर यहाँ नया गठबंधन अच्छा परफॉर्म करता है, तो फिर विधानसभा चुनावों के लिए ये एक ट्रेंड सेट कर सकता है। एक तरह से, ये छोटा सा चुनाव बड़ी राजनीतिक तस्वीर बदल सकता है। कमाल की बात है न?

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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