महाराष्ट्र का यह स्कूल क्यों है खास? गांव के बच्चे जापानी-जर्मन बोलते हैं, और हमें हैरान कर देते हैं!
सुनकर थोड़ा अजीब लगता है न? महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के एक छोटे से गांव पत्तनकोडोली में एक ऐसा स्कूल है जो सच में कमाल कर रहा है। अनंत विद्यामंदिर नाम का यह स्कूल ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल रहा है – और कैसे! जहां आजकल भाषा को लेकर राजनीति चल रही है, वहीं इस स्कूल के बच्चे मराठी और English के साथ-साथ Japanese, German और Russian भी बोल लेते हैं। सच कहूं तो पहले तो मुझे भी यकीन नहीं हुआ था!
कैसे शुरू हुई यह कहानी?
2015 की बात है। कोल्हापुर के इस छोटे से गांव में कुछ लोगों ने सोचा – क्यों न हमारे बच्चे भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें? बस फिर क्या था, अनंत विद्यामंदिर की नींव पड़ गई। देखा जाए तो यह स्कूल शुरू से ही अलग था। जहां आमतौर पर गांव के स्कूलों में बस basics पढ़ाई जाती हैं, यहां तो बच्चों को global citizen बनाने की पूरी तैयारी है। और सच कहूं तो भाषा सीखना सिर्फ शब्द नहीं, पूरी एक नई सोच सीखना है।
पढ़ाई का यह तरीका तो है ही जबरदस्त!
अब सवाल यह कि आखिर यहां के बच्चे इतनी भाषाएं कैसे सीख लेते हैं? राज़ है उनकी पढ़ाई का तरीका। यहां बच्चों को रट्टा नहीं माराया जाता। बल्कि cultural exchange programs होते हैं, online language partners के साथ बातचीत होती है, और cartoons और songs के जरिए भी भाषा सिखाई जाती है। मजे की बात यह कि कई students ने तो JLPT और Goethe-Institut जैसी international exams भी पास कर ली हैं। क्या बात है न?
लोग क्या कहते हैं इसके बारे में?
इस स्कूल ने सचमुच सबका ध्यान खींचा है। गांव के parents कहते हैं – “हमारे बच्चे अब दुनिया में कहीं भी जा सकते हैं!” एक teacher ने मुझे बताया – “हमारा मकसद है बच्चों को दुनिया से जोड़ना, न कि सिर्फ किताबी कीड़ा बनाना।” और तो और, education ministry भी अब ऐसे ही models को दूसरे गांवों में लागू करने पर विचार कर रही है।
आगे क्या है प्लान?
यह स्कूल तो बस शुरुआत है! अब French और Mandarin Chinese भी curriculum में शामिल करने की तैयारी है। Maharashtra government तो इस model को और जगहों पर ले जाने के लिए funding भी देने को तैयार है। सबसे बड़ी बात – अब Japan और Germany के schools के साथ direct tie-ups की बातचीत चल रही है। कल्पना कीजिए, एक छोटे से गांव का स्कूल international collaborations कर रहा है!
सच कहूं तो पत्तनकोडोली का यह स्कूल हमें एक बड़ा सबक दे रहा है। भाषाएं सीखना और global exposure सिर्फ big cities तक ही क्यों सीमित रहे? जब इरादे मजबूत हों तो भारत के गांवों से भी वो talent निकल सकता है जो दुनिया को चकित कर दे। और हां, उन लोगों के लिए भी यह एक जवाब है जो ग्रामीण भारत की क्षमताओं पर शक करते हैं। है न यह सोचने वाली बात?
महाराष्ट्र का ये अनोखा स्कूल: जहाँ गाँव के बच्चे बोलते हैं जापानी-जर्मन! (FAQs)
सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न? पर ये सच है! महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में एक ऐसा स्कूल जहाँ बच्चे आपसे जर्मन में बात कर सकते हैं। है न कमाल की बात? चलिए, इसके बारे में और जानते हैं…
1. ये स्कूल कहाँ है और इतना खास क्यों है?
असल में बात ये है कि ये स्कूल महाराष्ट्र के एक साधारण से गाँव में है। लेकिन यहाँ की खासियत? बच्चे यहाँ जापानी और जर्मन ऐसे बोलते हैं जैसे हम हिंदी बोलते हैं! देखा जाए तो ये ग्लोबल एजुकेशन का एक नया तरीका है – जहाँ गाँव के बच्चों को वर्ल्ड-क्लास पढ़ाई मिल रही है। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसा हर जगह होना चाहिए?
2. भईया, इतनी अच्छी foreign languages सिखाते कैसे हैं?
तो सुनिए… यहाँ immersive learning का जबरदस्त कॉम्बिनेशन है। मतलब? बच्चे सिर्फ किताबें नहीं पढ़ते – language experts के साथ बातचीत करते हैं, cultural exchange programs में हिस्सा लेते हैं, और interactive tools से सीखते हैं। सबसे मजेदार बात? यहाँ रोजमर्रा की जिंदगी में इन भाषाओं का इस्तेमाल होता है। जैसे हम ‘Good Morning’ बोलते हैं, वैसे ही ये ‘Guten Morgen’ बोलते हैं!
3. Admission के लिए क्या कोई खास योग्यता चाहिए?
अरे नहीं भई! यहाँ तो बस एक ही qualification चाहिए – सीखने की चाह। Admission process बेहद simple है, कोई language barrier नहीं। गाँव का कोई भी बच्चा आ सकता है। हालांकि… पढ़ाई में दिलचस्पी तो होनी ही चाहिए न? वरना क्या फायदा!
4. क्या पूरे India में ऐसे स्कूल खुल सकते हैं?
सच कहूँ तो… क्यों नहीं! ये पूरी तरह scalable model है। बस थोड़ी सी मेहनत और सही संसाधन चाहिए। अगर government और local communities साथ आएँ, trained teachers मिल जाएँ… तो ऐसे innovative schools पूरे देश में खुल सकते हैं। सोचिए, कल को हर गाँव के बच्चे foreign languages बोल रहे होंगे! कितनी बड़ी बात होगी न?
आखिर में एक बात – ये स्कूल साबित करता है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं। है न? 😊
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com