“मालेगांव ब्लास्ट: सीएम योगी को फंसाने का दबाव! गवाह ने किया बड़ा खुलासा”

मालेगांव ब्लास्ट: क्या सच में CM योगी को फंसाने की कोशिश हुई? गवाह का झटकेदार बयान!

अरे भई, मालेगांव केस में तो एक के बाद एक नए मोड़ आ रहे हैं। अभी तक जो हुआ, उस पर NIA की विशेष अदालत ने सीधे-सीधे महाराष्ट्र ATS की जांच पर सवालिया निशान लगा दिया है। पर सबसे बड़ा धमाका तो तब हुआ जब 39 गवाहों ने अपने पुराने बयान पलट दिए! और इनमें से एक गवाह तो ये कह रहा है कि उसे जबरन CM योगी का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया। सच क्या है? ये तो आगे पता चलेगा, लेकिन अभी तो ये खुलासा राजनीति और कानून, दोनों की दुनिया में भूचाल ला दिया है।

2008 का वो धमाका जिसकी गूंज आज तक सुनाई दे रही

याद है न 2008 का वो हादसा? जब मालेगांव में धमाके में 6 लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। मामला तब भी विवादों में था, क्योंकि इसमें साध्वी प्रज्ञा समेत कई हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों को आरोपी बनाया गया था। पहले ATS जांच कर रही थी, फिर NIA को केस मिला। और अब तक तो इतने गवाह अपने बयान बदल चुके हैं कि पूरा मामला गुत्थी बन चुका है। सच में, क्या कभी इस केस का सच सामने आ पाएगा?

अदालत का ऐसा सवाल जिसने ATS की नींद उड़ा दी

NIA कोर्ट ने तो जैसे ATS की पोल खोलकर रख दी है! साफ-साफ कहा है कि जांच एजेंसी ने केस को संभाला ही नहीं। और तो और, गवाहों के बयानों पर भी सवाल उठाए हैं। लेकिन असली बम तो तब फटा जब एक गवाह ने दावा किया कि उसे योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया। भई ये तो बड़ा गंभीर आरोप है न? अब देखिए, इससे राजनीति कितनी गरमा जाती है।

राजनीति में मचा हड़कंप!

इस पर तो राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आने में देर नहीं लगी। BJP वाले तो बोले, “देखा आपने? कांग्रेस सरकारें एजेंसियों को राजनीति के लिए इस्तेमाल करती हैं।” वहीं कांग्रेस वालों ने जवाब दिया, “पूरी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।” NIA का कहना है कि वो कोर्ट के आदेशों का पालन करेंगे। पर सच कहूं तो, ये सब सुनकर लगता है जैसे ये केस अब कानून से ज्यादा राजनीति की चीज बन चुका है।

अब आगे क्या?

अब कोर्ट गवाहों के बयानों की बारीकी से जांच करेगी। अगर ATS पर लगे आरोप सही साबित हुए तो? तब तो बड़ी कार्रवाई हो सकती है। और हां, ये मामला UP और महाराष्ट्र की राजनीति में नया तनाव ला सकता है। शायद भविष्य में जांच प्रक्रियाओं को लेकर नए नियम भी बनें। पर फिलहाल तो ये केस एक रहस्य बना हुआ है – जिसमें हर दिन नया ट्विस्ट आ रहा है।

एक बात तो तय है – मालेगांव केस सिर्फ कानूनी मामला नहीं रहा। ये अब राजनीतिक बवाल बन चुका है, जिसका असर पूरे देश पर पड़ सकता है। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे संवेदनशील मामलों में जांच एजेंसियों को पूरी तरह निष्पक्ष रहना चाहिए? वैसे भी, सच तो सच ही होता है – चाहे देर से ही सही!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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