ममता बनर्जी का बड़ा फैसला: अभिषेक बनर्जी अब TMC के लोकसभा नेता, पर क्या यह सिर्फ एक नियुक्ति है?
अरे भाई, पश्चिम बंगाल की राजनीति में तो बवाल मच गया है! ममता दीदी ने आखिरकार अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को TMC का लोकसभा नेता बना ही दिया। सच कहूं तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं – आखिर वो तो पिछले कुछ सालों से पार्टी में अपनी जगह बना ही रहे थे। लेकिन असल सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ सुदीप बंदोपाध्याय के स्वास्थ्य कारणों से हुआ है, या फिर कोई बड़ा गेम प्लान चल रहा है?
देखिए न, सुदीप दा का तो लंबा राजनीतिक सफर रहा है। TMC के बड़े नेताओं में से एक, लोकसभा में पार्टी की अगुवाई करते थे। पर हाल के दिनों में उनकी तबीयत… खैर, आप समझ ही रहे होंगे। तो जगह खाली हुई तो अभिषेक को मौका मिल गया। मजे की बात ये कि ये कोई रैंडम चॉइस नहीं लगती। कुछ एक्सपर्ट्स तो कह रहे हैं कि ये TMC में नेतृत्व बदलाव की बड़ी चाल का हिस्सा हो सकता है।
अब अभिषेक की जिम्मेदारी बढ़ गई है – लोकसभा में पूरी TMC टीम को संभालना होगा। ममता दीदी ने इसे “संगठनात्मक जरूरत” बताया है। सच बताऊं? ये तो बस शुरुआत है। याद कीजिए, कुछ समय पहले ही उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था। साफ है न कि पार्टी उन्हें बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही है!
रिएक्शन? वो तो मिले-जुले ही हैं। TMC के भीतर कुछ लोग खुश हैं, अभिषेक के सपोर्ट में बयान दे रहे हैं। वहीं विपक्ष… अरे भई, वो तो मौका मिलते ही बोल पड़े – “ये तो परिवारवाद है!” भाजपा-कांग्रेस वालों को शिकायत करने का बहाना मिल गया। पर सच्चाई ये है कि राजनीति में ये नया तो कुछ नहीं। दिलचस्प बात ये है कि कुछ विश्लेषक इसे ममता दीदी की लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी मान रहे हैं।
तो अब क्या? सीधी सी बात है – अभिषेक की ये नई पोजीशन 2024 के चुनावों में अहम भूमिका निभाएगी। पर साथ ही साथ… थोड़ा रिस्क भी तो है। कहीं पार्टी के भीतर ही गुटबाजी न शुरू हो जाए! आने वाले दिनों में TMC की हर चाल पर नजर रहेगी।
अंत में बस इतना कि ये फैसला सिर्फ TMC ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी कहां जाती है – ये देखना तो बाकी है। एकदम धमाल होने वाला है, ये तय है!
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ममता बनर्जी का ये फैसला: युवा खून या राजनीतिक चाल?
सच कहूं तो, ये सवाल हर किसी के मन में घूम रहा है। अभिषेक बनर्जी को TMC का लोकसभा नेता बनाने के पीछे सिर्फ उनकी leadership skills ही नहीं हैं। देखा जाए तो ये ममता दीदी की एक सोची-समझी चाल है। वो जानती हैं कि आज की राजनीति में युवाओं का क्या महत्व है। और अभिषेक? उनमें वो सारे गुण हैं जो एक dynamic नेता में होने चाहिए। लेकिन क्या ये सिर्फ योग्यता का खेल है? शायद नहीं।
TMC के लिए अभिषेक: सिर्फ एक नेता या भविष्य का चेहरा?
असल में बात ये है कि अभिषेक सिर्फ एक नियुक्ति नहीं हैं। वो TMC के लिए एक statement हैं। सोचिए, जब एक युवा नेता आगे आता है तो पार्टी को क्या मिलता है? नए voters का trust, fresh energy और वो connect जो पुराने नेताओं के साथ शायद ही possible हो। मजे की बात ये कि अभिषेक सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं – और आजकल तो ये उतना ही जरूरी है जितना रैलियों में भाषण देना।
क्या ये नियुक्ति बताती है TMC के अंदर क्या चल रहा है?
एक तरफ तो ये लगता है कि ममता दीदी युवाओं को आगे लाना चाहती हैं। लेकिन दूसरी तरफ… क्या आपने कभी सोचा कि इससे पार्टी के अंदर मौजूद senior leaders क्या सोच रहे होंगे? सच तो ये है कि हर बड़ा फैसला कई छोटे-छोटे calculations का नतीजा होता है। और ये नियुक्ति भी उसी का हिस्सा लगती है।
अभिषेक के नेतृत्व में क्या बदलेगा TMC का राजनीतिक गेम?
अब यहां मजेदार बात ये है कि अभिषेक सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं हैं। उनकी image एक national leader की है। तो सोचिए, opposition में TMC की आवाज़ अब और तेज सुनाई देगी। और हां, national media में भी पार्टी को ज्यादा coverage मिलेगा – ये तो तय है। पर सवाल ये है कि क्या ये सब TMC को 2024 में फायदा पहुंचाएगा? वक्त ही बताएगा।
एक बात और – अभिषेक का ये नया रोल सिर्फ उनकी परीक्षा नहीं है, बल्कि ममता बनर्जी की राजनीतिक समझ की भी परख है। दिलचस्प होगा देखना!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com