मनसा देवी मंदिर भगदड़: 6 श्रद्धालुओं की जान गई, जानिए क्यों फेल होता है भारत में crowd management?
रविवार की वो सुबह… जो हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में आस्था लेकर आए श्रद्धालुओं के लिए काल बनकर आई। अचानक मची भगदड़ में 6 लोगों की मौत – और कितने ही घायल। सच कहूं तो, ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी system की बार-बार की गई लापरवाही का नतीजा है। असल में देखा जाए तो, ये तो होना ही था। क्यों? क्योंकि हर बार ऐसी घटनाओं के बाद हम ‘never again’ कहते हैं, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात…
क्या हुआ था असल में?
मनसा देवी मंदिर… जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने बड़े आयोजनों के लिए हमारी तैयारी सिर्फ ‘चलता है’ लेवल की होनी चाहिए? अभी तक तो साफ नहीं हुआ कि भगदड़ की असली वजह क्या थी, लेकिन ground reports पढ़कर लगता है कि crowd management पूरी तरह फेल रही। और ये कोई पहली बार नहीं – बल्कि एक दुखद tradition सा बन गया है हमारे यहाँ।
कौन है जिम्मेदार?
ज्यादातर मृतक महिलाएं और बुजुर्ग… जो शायद सिर्फ दर्शन करने आए थे। कुछ घायलों की हालत critical है – hospital में जगह-जगह चीखें गूंज रही हैं। सरकार ने जांच का ऐलान कर दिया है, मुआवजे का वादा भी। लेकिन सच पूछो तो, क्या ये सब पर्याप्त है? स्थानीय लोग सीधे मंदिर प्रबंधन पर उंगली उठा रहे हैं। और हम? हम अगली खबर की तरफ बढ़ जाएंगे…
विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएं
CM साहब ने ‘दुख जताया’ – जैसा कि हर त्रासदी के बाद होता है। administration ने नए guidelines जारी किए हैं। लेकिन याद रखिए, 2013 के इलाहाबाद कुंभ मेले के बाद भी ऐसे ही guidelines आए थे। फिर? फिर 2018 में… फिर 2021 में… और आज 2024 में फिर वही। एक तरफ तो हम दुनिया को digital India दिखाते हैं, लेकिन crowd management में हम 19वीं सदी में अटके हुए हैं।
क्या सीख मिलती है?
इतिहास गवाह है – जांच होगी, रिपोर्ट आएगी, कुछ लोग suspend होंगे… और फिर सब भूल जाएंगे। जब तक हम real accountability की culture नहीं बनाते, ये सिलसिला चलता रहेगा। क्या हमें अगली बार फिर ऐसी खबर पढ़नी चाहिए? शायद नहीं। लेकिन क्या हम कुछ करेंगे? शायद नहीं…
भारत की वो 5 भगदड़ें जिन्हें भूलना मुश्किल है
1. 2013 इलाहाबाद कुंभ मेला: 36 मौतें… सिर्फ इसलिए कि railway station के पास crowd control नहीं था। एकदम बेवकूफी भरी गलती।
2. 2011 सबरिमाला: 106 लोग… जिनकी जिंदगी एक अफवाह की भेंट चढ़ गई। केरल की ये त्रासदी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है।
3. 2008 जोधपुर: 250+ लोग… मंदिर में अफवाह फैली और भगदड़ मच गई। क्या हमने कभी सोचा कि अफवाहों को कैसे कंट्रोल करें?
4. 2005 महाराष्ट्र: 300 से ज्यादा लोग… नासिक के पास। ये आंकड़े नहीं, इंसान थे। पर हमने सिर्फ आंकड़े देखे।
5. 1954 इलाहाबाद: 800 मौतें… इतिहास की सबसे बड़ी भगदड़। लेकिन क्या हमने इतिहास से सीखा? जवाब आपके सामने है।
अब सवाल यह है – क्या हमारी system इन मौतों से कुछ सीखेगी? या फिर अगली बार फिर कोई नया आंकड़ा जुड़ेगा इस खूनी लिस्ट में? सच तो ये है कि जब तक हम ‘chalta hai’ attitude से बाहर नहीं निकलते, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। और हम? हम सिर्फ टीवी पर breaking news देखते रह जाएंगे…
मनसा देवी मंदिर भगदड़: एक दुखद घटना और हमारी सामूहिक लापरवाही
1. मनसा देवी मंदिर में भगदड़ कब और कैसे हुई?
ये वाकया 2023 के नवरात्रि के दिनों की बात है। मंदिर में भक्तों का जमावड़ा तो हमेशा से ही रहता है, लेकिन उस दिन अचानक क्या हुआ कि भीड़ इतनी बढ़ गई कि कंट्रोल से बाहर हो गई। एक छोटी सी अफवाह या धक्का-मुक्की… और फिर क्या? दहशत का माहौल। सच कहूं तो ऐसी घटनाओं में सबसे डरावना यही होता है – भीड़ का वो अचानक ‘पैनिक मोड’ में आ जाना। दुर्भाग्य से 6 लोगों की जान चली गई, और सैकड़ों घायल हुए। क्या ये सच में अपरिहार्य था? शायद नहीं…
2. भारत में अब तक की सबसे बड़ी भीड़भाड़ वाली घटनाएं कौन-सी हैं?
अरे भई, हमारे देश में तो ये दुखद रिकॉर्ड्स का लंबा इतिहास रहा है। 1954 का प्रयाग कुंभ मेला हादसा तो जैसे इतिहास के काले अध्यायों में दर्ज है – 800 से ज्यादा लोगों की जान गई थी! 2013 में इलाहाबाद स्टेशन पर जो हुआ, वो भी कम भयावह नहीं था। फिर 2008 में जोधपुर के मंदिर में वो कुचलने की घटना… सच में, हर बार यही लगता है कि ‘सबक लिया जाएगा’, लेकिन फिर कुछ सालों बाद कोई न कोई नई त्रासदी। 2022 की इंदौर वाली घटना तो अभी ताजा ही है। क्या हम कभी सीखेंगे?
3. ऐसी भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
देखिए, मूल बात तो ये है कि हमें crowd management को गंभीरता से लेना होगा। बस इतना ही नहीं कि कुछ सुरक्षाकर्मी खड़े कर दिए जाएं। असल में जरूरत है एक पूरी सिस्टम की –
• स्मार्ट entry-exit points जो real-time crowd analysis के हिसाब से adjust हो सकें
• CCTV नेटवर्क जो actually monitor किया जाए, सिर्फ लगाने के लिए नहीं
• और सबसे जरूरी – आम जनता को aware करना। क्योंकि अक्सर तो हम खुद ही जल्दबाजी में सुरक्षा नियम तोड़ देते हैं, है न?
4. मनसा देवी मंदिर भगदड़ के बाद सरकार ने क्या एक्शन लिया?
घटना के बाद तो हमेशा की तरह ‘छापा-मार कार्रवाई’ हुई। मंदिर प्रशासन पर कार्रवाई, मुआवजे की घोषणा… ये सब तो होता ही है। लेकिन असल सवाल ये है कि क्या नए safety protocols वाकई implement हुए हैं? क्योंकि हम सब जानते हैं – हमारे यहां नियम बनाने और उन्हें फाइलों में दफन कर देने का चलन कितना पुराना है। सच्चाई तो ये है कि अगली बार फिर कहीं कुछ होगा, तब हम फिर वही ‘शोक’ और ‘कार्रवाई’ के चक्रव्यूह में फंस जाएंगे। कड़वा सच, लेकिन सच तो सच है!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com