मिडिल ईस्ट में हंगामा बरकरार, फिर भी अमेरिकी फ्रैकर्स तेल उत्पादन क्यों नहीं बढ़ा रहे?
शुरुआत
इन दिनों पूरी दुनिया की नज़रें मिडिल ईस्ट पर टिकी हैं। वहाँ के हालात और तेल सप्लाई पर उसके असर को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर अमेरिकी तेल कंपनियाँ (फ्रैकर्स) अपना प्रोडक्शन बढ़ाने से क्यों कतरा रही हैं? चलिए, आज बात करते हैं इसके पीछे छुपे असली कारणों की – जो सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, बल्कि इकोनॉमिक्स और टेक्नोलॉजी से भी जुड़े हैं।
1. ग्लोबल ऑयल मार्केट का हाल
1.1 सप्लाई-डिमांड का खेल
कोविड के बाद से तेल की डिमांड लगातार गिर रही है। हैरानी की बात ये कि रूस-यूक्रेन वॉर और मिडिल ईस्ट के टेंशन के बावजूद मार्केट में तेल की कोई कमी नहीं दिख रही। Experts की मानें तो इसकी दो वजहें हैं – एक तो अल्टरनेटिव सोर्सेज से सप्लाई बढ़ी है, दूसरा डिमांड अभी पहले जैसी नहीं हुई।
1.2 क्रूड ऑयल प्राइस का रोलरकोस्टर
इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम लगातार डगमगा रहे हैं। ये अनसर्टेन्टी अमेरिकी ड्रिलर्स के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है, क्योंकि प्रॉफिट मार्जिन पर सीधा असर पड़ रहा है। नतीजा? वो प्रोडक्शन बढ़ाने से बच रहे हैं।
2. अमेरिकी फ्रैकर्स का प्रोडक्शन न बढ़ाने के पीछे की असल वजहें
2.1 पैसे का खेल और इन्वेस्टर्स का प्रेशर
यहाँ सबसे बड़ा फैक्टर है इन्वेस्टर्स का रवैया। अमेरिकन ऑयल कंपनियों पर शेयरहोल्डर्स का दबाव बढ़ा है जो डिविडेंड और शेयर बायबैक में ज़्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। साथ ही, कंपनियाँ अपने लोन कम करने और फाइनेंशियली स्टेबल रहने की फिलॉसफी पर चल रही हैं।
2.2 वर्कर्स और इक्विपमेंट की किल्लत
फ्रैकिंग इंडस्ट्री में स्किल्ड लेबर की भारी कमी है। वहीं, सप्लाई चेन इश्यूज और इक्विपमेंट की उपलब्धता भी बड़ी प्रॉब्लम बनी हुई है। सीधे शब्दों में कहें तो – मशीनें और मिस्त्री दोनों ही कम पड़ रहे हैं!
2.3 ग्रीन पॉलिसीज का बढ़ता असर
क्लाइमेट चेंज को लेकर बढ़ती जागरूकता और सरकारी रेगुलेशन्स ने फ्रैकर्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कार्बन एमिशन पर रोक और एनवायरनमेंटल नॉर्म्स को फॉलो करना अब उनके लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।
3. मिडिल ईस्ट क्राइसिस का अमेरिकन ऑयल इंडस्ट्री पर असर
3.1 पुराने रिएक्शन से अलग रुख
1973 के ऑयल क्राइसिस के दौरान अमेरिका ने तुरंत रिएक्ट किया था, लेकिन इस बार उनका अप्रोच काफी अलग है। कंपनियाँ जल्दबाज़ी से बच रही हैं, क्योंकि मार्केट अनप्रिडिक्टेबल है और उनकी फोकस लॉन्ग-टर्म प्लानिंग पर है।
3.2 एनर्जी इंडिपेंडेंस का फायदा
अमेरिका ने पिछले कुछ सालों में खुद को ऑयल इम्पोर्ट पर कम डिपेंडेंट बना लिया है। साथ ही, उनके पास स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) का बैकअप है जो मार्केट को स्टेबल रखने में मदद करता है।
4. आगे की राह और फाइनल थॉट्स
4.1 ऑयल इंडस्ट्री का फ्यूचर
दुनिया भर में रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ रुझान तेज़ हो रहा है। फ्रैकिंग इंडस्ट्री को भी अब सस्टेनेबल ऑप्शन्स की तलाश करनी होगी, वरना भविष्य में पीछे रह जाएँगे।
4.2 निष्कर्ष
मिडिल ईस्ट में चल रही उठापटक के बावजूद अमेरिकी फ्रैकर्स का प्रोडक्शन न बढ़ाने के पीछे कई वजहें हैं – फाइनेंशियल केयूशन, वर्कफोर्स शॉर्टेज और एनवायरनमेंटल प्रेशर सबसे प्रमुख हैं। आने वाले समय में ग्लोबल ऑयल मार्केट नई चुनौतियाँ और मौके लेकर आएगा, जिसके लिए इंडस्ट्री को तैयार रहना होगा।
Source: WSJ – US Business | Secondary News Source: Pulsivic.com