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केंटकी सीनेट रेस में मिच मैककोनेल की विरासत पर उठे सवाल, ट्रंप समर्थक नेट मॉरिस की चुनौती

केंटकी सीनेट रेस: मिच मैककोनेल की विरासत अब दांव पर? ट्रंपिस्ट नेट मॉरिस ने खोला मोर्चा!

अमेरिकी राजनीति का एक और मज़ेदार ड्रामा! केंटकी की सीनेट रेस अचानक गर्मा गई है, और इस बार आंखें टिकी हैं वहां के दिग्गज रिपब्लिकन नेता मिच मैककोनेल पर। सच कहूं तो, उनके लिए यह कोई नई बात नहीं – पर इस बार चुनौती देने आया है ट्रंप के असली ‘भक्त’ नेट मॉरिस। और देखिए न, यह सिर्फ एक सीट की लड़ाई नहीं रह गई है। असल में, यह तो जैसे ट्रंप के बाद रिपब्लिकन पार्टी का भविष्य तय करने वाली जंग बन चुकी है।

मैककोनेल: किंगमेकर या फिर अब ‘ओल्ड गार्ड’?

सोचिए, एक आदमी जिसने केंटकी में 40 साल तक राज किया! मैककोनेल ने तो वाकई में जादू किया था – एक डेमोक्रेटिक गढ़ को रिपब्लिकन बेस में बदल दिया। उन्हें ‘मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट’ कहने वाले तो हमेशा से रहे हैं। लेकिन… हमेशा की तरह एक ‘लेकिन’ तो होता ही है न? ट्रंप के आने के बाद से उनकी छवि थोड़ी धुंधली हुई है। और अब नेट मॉरिस जैसे नए खिलाड़ी उन्हें ‘पुरानी सोच’ का नेता बता रहे हैं। मज़ेदार बात यह है कि मॉरिस खुद को ‘अमेरिका फर्स्ट’ का असली चैंपियन बता रहे हैं। क्या यह सच में नई लहर बन पाएगी?

चुनावी रिंग में ग्लव्स ऑफ!

मॉरिस ने तो सीधे मैककोनेल पर निशाना साधा है – कह रहे हैं कि वो “रिपब्लिकन वैल्यूज से भटक गए हैं”। और सुनिए, मैककोनेल की टीम भी मूड में है! अब केंटकी की GOP में साफ दो खेमे दिखने लगे हैं – एक तरफ मैककोनेल के वफादार, तो दूसरी तरफ ट्रंप के ‘असली सिपाही’। यह दिलचस्प होने वाला है…

गली-मोहल्ले और एक्सपर्ट्स क्या कह रहे?

मैककोनेल के फैंस का तर्क है – “भई, इतने साल के अनुभव के आगे नए लोग क्या कर लेंगे?” एक सपोर्टर तो यहां तक कहता है, “मैककोनेल ने केंटकी को वॉशिंगटन में जो रिप्रेजेंट किया है, वो…”। पर वहीं मॉरिस वालों का कहना है कि अब “नए खून” की जरूरत है। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि यह चुनाव तो जैसे ट्रंप के प्रभाव का थर्मामीटर बन जाएगा।

अब क्या? आगे का गेम प्लान

अगले कुछ महीनों में केंटकी में तो जैसे मस्ती होने वाली है! रैलियां, डिबेट्स, और ढेर सारा ड्रामा। अगर मॉरिस जीत गए तो? तब तो ट्रंपिस्ट्स का दबाव और बढ़ जाएगा। सच तो यह है कि यह लड़ाई अब केंटकी से निकलकर पूरे अमेरिका की GOP की दिशा तय कर सकती है। एक तरफ पुराने स्कूल के रिपब्लिकन, तो दूसरी तरफ ट्रंप का नया ‘अमेरिका फर्स्ट’ मंत्र। किसकी चलेगी? वक्त बताएगा!

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अरे भाई, केंटकी की सीनेट रेस में तो जैसे आग लगी हुई है! मिच मैककोनेल, जिन्हें हम सब सालों से जानते हैं, उनकी विरासत पर अचानक इतने सवाल क्यों उठने लगे? असल में बात ये है कि ट्रंप समर्थक नेट मॉरिस ने जो चुनौती पेश की है, वो सिर्फ एक चुनावी मुकाबला नहीं है। ये तो रिपब्लिकन पार्टी के भीतर की उस आग को और हवा दे रहा है जो पहले से ही धधक रही थी।

पार्टी में क्यों बढ़ रही है दरार?

सच कहूं तो, ये सिर्फ मैककोनेल बनाम मॉरिस की लड़ाई नहीं है। इसे ऐसे समझिए – एक तरफ तो पार्टी का पुराना गार्ड है जो पारंपरिक राजनीति में यकीन रखता है, वहीं दूसरी तरफ ट्रंप का वो नया तूफान है जो ‘बिज़नेस ऐज़ यूजुअल’ से ऊब चुका है। और यही तो 2024 के चुनावों से पहले सबसे बड़ा सवाल है – क्या ये टकराव पार्टी को तोड़ देगा?

मैककोनेल का सफर: अब क्या?

देखा जाए तो मैककोनेल ने सालों तक पार्टी को संभाला है। लेकिन अब वक्त बदल रहा है। क्या वो अपनी विरासत बचा पाएंगे? या फिर मॉरिस जैसे नए खिलाड़ी… [वाक्य जानबूझकर अधूरा छोड़ा गया]

एक बात तो तय है – ये रेस सिर्फ केंटकी तक सीमित नहीं रहने वाली। पूरे अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य पर इसकी गूंज सुनाई देगी। और हां, हम सबकी नज़रें अब इसी पर टिकी हैं!

Source: PBS Newshour | Secondary News Source: Pulsivic.com

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