मोदी सरकार का पाकिस्तान पर नया रुख – क्या यह सिर्फ खेल है या कोई बड़ा खेल?
अरे भाई, केंद्र सरकार ने तो हाल ही में एक ऐसा फैसला किया है जिस पर चाय की दुकान से लेकर TV डिबेट्स तक सब बहस कर रहे हैं। सोचिए – पहलगाम हमले के बाद जब भारत-पाक रिश्तों में तनाव चरम पर था, तब अचानक पाकिस्तानी हॉकी टीमों को भारत आने की इजाज़त? है न मज़ेदार? लेकिन असल में ये IOC (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) के उस धमकी भरे बयान का नतीजा है जिसमें उन्होंने भारत पर खेलों को राजनीति से जोड़ने का आरोप लगाया था। बस, सरकार ने चाल चल दी!
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। पहलगाम हमले के बाद तो हालात ऐसे थे जैसे बैरक में बारूद रखा हो। और हमारी सरकार ने तो पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा देना ही बंद कर दिया था – खासकर क्रिकेट और कबड्डी जैसे खेलों में। पर अब? हॉकी की बात अलग है क्या? दरअसल, IOC ने साफ़-साफ़ कह दिया था – “या तो खेल को राजनीति से अलग रखो, या फिर प्रतिबंध झेलो।” और सरकार ने पहला विकल्प चुन लिया। समझदारी भरी चाल, है न?
असल में ये फैसला इतना आसान नहीं था। खेल मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की कई बैठकों के बाद ये कदम उठाया गया। सबसे दिलचस्प बात? जिस मोदी सरकार ने आतंकवाद के मामले में कभी समझौता नहीं किया, वही अब खेल और राजनीति को अलग-अलग रखने की बात कर रही है। क्या ये सच में सिर्फ IOC के दबाव में लिया गया फैसला है, या फिर कोई बड़ी रणनीति का हिस्सा? समय बताएगा।
अब सवाल यह है कि लोग इस पर क्या सोच रहे हैं? भारतीय हॉकी फेडरेशन तो खुश है – उनका कहना है “खेल को राजनीति से ऊपर रखना चाहिए।” वहीं विपक्ष के कुछ नेताओं का तर्क है – “ये आतंकवाद के खिलाफ हमारे रुख को कमज़ोर करता है।” और पाकिस्तानी टीम? वो तो मानो जैसे खुशी से उछल पड़ी! उनका कहना है कि ये द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की शुरुआत हो सकती है। सच कहूँ तो, हर कोई अपने-अपने तरीके से सही है।
लेकिन यार, एक बड़ा सवाल तो अभी भी बाकी है – सुरक्षा का। अगर पाकिस्तानी टीम भारत आती है, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना कोई मज़ाक तो नहीं। और फिर, क्या ये फैसला भविष्य में अन्य खेलों के लिए भी दरवाज़ा खोल देगा? मतलब, अगली बार क्रिकेट में भी पाकिस्तानी टीम को आमंत्रित करेंगे क्या?
अंत में बस इतना कहूँगा – सरकार ने इस बार एक संतुलित रुख अपनाया है। एक तरफ अंतरराष्ट्रीय दबावों को माना, तो दूसरी तरफ सुरक्षा चिंताओं को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया। पर असली सवाल तो ये है कि क्या ये हॉकी मैच सच में भारत-पाक रिश्तों में कोई बदलाव लाएगा? या फिर ये सिर्फ एक चाल है जिसका असर मैदान से आगे नहीं जाएगा? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो बस इतना – गेम ऑन!
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मोदी सरकार का पाकिस्तान वाला नया स्टैंड… देखिए, यह कोई आम कूटनीतिक चाल नहीं है। असल में, यह हमारी सुरक्षा और हितों को लेकर एक साफ़-सुथरी सोच दिखाता है। अब सवाल यह है कि यह फैसला हमारे लिए क्यों मायने रखता है? ईमानदारी से कहूं तो, यह सिर्फ आज की बात नहीं, बल्कि आने वाले कई सालों तक हमारे रिश्तों की दिशा तय करेगा।
और हां, यहां सिर्फ सरकारी बयानबाजी नहीं है। थोड़ा गहराई से सोचिए – क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे मौकों पर हम सबकी राय भी मायने रखती है? तो ज़रा सोचिए और नीचे Comments में बताइए… क्योंकि यह बात सच में सिर्फ दिल्ली की सरकार की नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की है जिसे अपने देश की चिंता है। सच कहूं तो? एकदम ज़रूरी मुद्दा!
मोदी सरकार का पाकिस्तान पर नया रुख – क्या है पूरा मामला?
1. सरकार ने अचानक पाकिस्तान के साथ तेवर क्यों बदले?
देखिए, बात सिर्फ आज की नहीं है। सालों से पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को चुपचाप समर्थन मिलता रहा है। कश्मीर में घुसपैठ? सीमा पर गोलीबारी? ये सब नई बातें तो नहीं। लेकिन अब सरकार ने ‘enough is enough’ वाला अप्रोच अपनाया है। सच कहूं तो, जब तक आप सख्त नहीं होते, दूसरा पक्ष समझता ही नहीं।
2. ये नई पॉलिसी हमारे पड़ोसी से रिश्तों को कैसे बदलेगी?
असल में, रिश्ते पहले से ही बहुत अच्छे तो थे नहीं! ट्रेड पहले ही कम हो चुका था, डिप्लोमैटिक टॉक भी ठंडे बस्ते में। अब स्थिति और टेंशन वाली हो सकती है। पर सवाल ये है कि क्या विकल्प था? कभी-कभी साफ़ स्टैंड लेना ही पड़ता है। हालांकि, दिल्ली का फोकस साफ है – पहले अपने लोग, बाकी बाद में।
3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या हमें इसकी वजह से बदनामी झेलनी पड़ेगी?
ये तो थोड़ा tricky सवाल है। वैसे देखा जाए तो 9/11 के बाद से पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ है। हमारा केस भी कुछ ऐसा ही है। कुछ देश शुरू में नाराज़गी जताएंगे, पर ज्यादातर समझ जाएंगे। आखिरकार, हर देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार तो है न? और हमने तो बहुत सब्र किया, ये तो मानना ही पड़ेगा।
4. आप-हम जैसे आम लोगों को इससे क्या फायदा मिलेगा?
सीधी बात? सुरक्षा। जब सीमा पर तनाव कम होगा, तो हमारे जवानों को कम जोखिम होगा। कश्मीर घाटी में शांति बढ़ेगी। पर एक और बड़ा प्वाइंट – अब हमारी बातें सुनने वालों को पता चल जाएगा कि भारत सिर्फ बातें नहीं, एक्शन भी ले सकता है। और ये मैसेज लॉन्ग टर्म में बहुत मायने रखता है। सच कहूं तो, कभी-कभी थोड़ा कड़ा रुख ही दिखाना पड़ता है।
एक बात और – ये कोई emotional reaction नहीं है। सोच-समझकर लिया गया फैसला है। देखते हैं आगे क्या होता है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com