ब्रिटेन के साथ डील हुई पक्की, पर क्या ये मोदी का ट्रंप को दिया गया सीधा जवाब है?
अब तो बात पक्की हो गई है – भारत और ब्रिटेन के बीच बड़ी FTA डील पर मुहर लग चुकी है। ये सिर्फ़ आर्थिक समझौता नहीं, बल्कि एक तरह से अमेरिका को दिया गया साफ़ संदेश भी है। सोचिए, एक तरफ हमारे textiles और pharma क्षेत्र को ब्रिटेन में टैरिफ़ छूट मिलेगी, तो दूसरी ओर हमें स्कॉच व्हिस्की और luxury cars थोड़े सस्ते दामों पर मिलेंगे। मजे की बात ये है कि ये डील हमारी अर्थव्यवस्था को तो बढ़ावा देगी ही, साथ ही दुनिया को ये भी बताएगी कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा।
पर ये डील आई कैसे? पीछे की कहानी जानिए
देखिए, भारत और ब्रिटेन का रिश्ता तो पुराना है, लेकिन ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन को नए बाजारों की तलाश थी। और हम? हम तो पिछले कुछ सालों से UAE और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ FTA करके अपनी आर्थिक ताकत दिखा ही रहे थे। अब सवाल ये उठता है कि अमेरिका के साथ तनाव के बीच हमने ब्रिटेन को प्राथमिकता क्यों दी? शायद ये कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी चाल है। अमेरिका को ये संदेश जाने-अनजाने में ही सही, मिल ही गया कि भारत के पास options कम नहीं हैं!
डील की खास बातें – आपके लिए क्या है?
असल में इस डील में कई चीज़ें हैं जो सीधे आपको और मुझे फायदा पहुंचाएंगी। पहली बात तो ये कि हमारे छोटे exporters को बड़ी राहत मिलेगी – खासकर textiles और medicines बनाने वालों को। वहीं ब्रिटेन को हमारे बाजार में अपनी महंगी व्हिस्की और luxury cars बेचने का मौका मिलेगा। सबसे दिलचस्प? दोनों देशों ने 2030 तक trade को 120 billion dollars तक पहुंचाने का टारगेट रखा है। अगर ये हुआ तो नौकरियों के नए अवसर भी पैदा होंगे। पर सवाल ये है कि क्या ये फायदा ground level तक पहुंच पाएगा?
राजनीति और अर्थव्यवस्था – क्या कह रहे हैं लोग?
प्रतिक्रियाएं तो काफी मिली-जुली आ रही हैं। मोदी जी इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं। ब्रिटिश PM तो इसे “golden chapter” तक कह डाले! लेकिन विपक्ष के कुछ नेताओं को लगता है कि छोटे उद्योगों और किसानों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। हालांकि, FICCI और CII जैसे बड़े संगठनों ने इसे पूरे जोश के साथ स्वागत किया है। सच कहूं तो, हर बड़े फैसले के साथ ऐसे विवाद तो होते ही हैं।
आगे क्या? इस डील का बड़ा असर
ये सिर्फ भारत-ब्रिटेन तक सीमित मामला नहीं है। अमेरिका समेत पूरी दुनिया की नजर इस पर है। असल में ये डील एक तरह से clear signal है कि भारत अब trade के मामले में किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता। EU और Canada के साथ भी हम बातचीत कर रहे हैं। अगर ये सब सफल रहा तो? फिर तो हमारी GDP growth को नया बढ़ावा मिल सकता है। एक तरह से देखें तो ये डील भारत के बढ़ते आर्थिक दबदबे का प्रतीक है। पर सवाल ये है कि क्या हम इस मौके का पूरा फायदा उठा पाएंगे? वक्त ही बताएगा!
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भारत-ब्रिटेन डील को सिर्फ एक व्यापारिक समझौता समझना गलती होगी, दोस्तों। असल में, यह मोदी सरकार का अमेरिका को दिया गया एक साफ़-साफ़ इशारा है – “अब हम किसी के दबाव में नहीं झुकेंगे।” सच कहूँ तो, यह समझौता भारत की बढ़ती ताकत की कहानी बयाँ करता है। Global Politics में हमारी आवाज़ अब और मजबूत होगी, यह तो तय है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या दुनिया इस बदलाव को समझ पा रही है? देखा जाए तो यह डील सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का प्रतीक है। एक तरफ तो हम अमेरिका के साथ हैं, पर दूसरी ओर अपने हितों पर कोई समझौता नहीं। बिल्कुल सही फैसला।
और सच बात तो यह है कि अब हमारी ताकत का लोहा सबको मानना ही पड़ेगा। इस डील के बाद Global Politics में भारत की भूमिका? एक शब्द में कहूँ तो – game changer!
(Note: Preserved the original `
` tags as instructed, maintained English words in Latin script, and added conversational elements, rhetorical questions, and sentence variations to make it sound human-written.)
मोदी-ट्रंप डील: असली सच क्या है? Britain डील नहीं, पर भारत ने जीता गेम!
अरे भाई, ये मोदी-ट्रंप वाला मामला तो बड़ा दिलचस्प हो गया है ना? सोशल मीडिया पर तो हर कोई expert बना घूम रहा है। लेकिन असलियत क्या है? चलिए, बिना किसी झूठे दिखावे के बात करते हैं।
1. Britain के साथ डील नहीं हुई – पर ये बुरी बात है क्या?
देखिए, सीधी सी बात है – जब आप बाज़ार से सब्ज़ी खरीदने जाते हैं, तो सस्ते भाव में अच्छी quality चाहते हैं ना? ठीक वैसे ही, मोदी सरकार ने Britain को ‘नहीं’ इसलिए कहा क्योंकि हमें हमारे हितों (interests) के लिए बेहतर terms चाहिए थे। और यार, यही तो एक मजबूत देश की निशानी है। सच कहूं तो, पहले के समय में ऐसा होता नहीं था!
2. ट्रंप को मोदी का ‘संदेश’ – ये सख़्त है या स्मार्ट?
अब यहां समझने वाली बात ये है कि मोदी जी ने कोई धमकी नहीं दी। बल्कि एक साफ़-साफ़ message दिया है – “भारत अब वो भारत नहीं रहा जो बिना सोचे समझे किसी भी deal पर साइन कर दे।” और भई, अमेरिका हो या कोई और, सभी को ये बात समझ लेनी चाहिए। थोड़ा सा तो ego हर्ट होगा ही, लेकिन ये reality है।
3. असल फायदा क्या मिला भारत को? सिर्फ़ image नहीं!
लोग कह रहे हैं कि सिर्फ़ image बनी है। पर यार, सच तो ये है कि दो बड़े फायदे हुए:
- पहला तो ये कि अब global market में भारत को एक serious player माना जाएगा। जैसे कि आप किसी को लगातार ‘ना’ कहते रहें, तो वो आपकी value समझने लगता है।
- और दूसरा सबसे बड़ा point – हमने ये साबित कर दिया कि हम किसी के आगे झुकने वाले नहीं। बातचीत (negotiate) करनी है तो equal terms पर होगी। बस!
4. क्या अमेरिका नाराज़ होगा? सच्चाई ये है…
ईमानदारी से? शायद थोड़ा बहुत तो होगा ही। पर याद रखिए, international relations में कोई permanent friends या enemies नहीं होते, permanent interests होते हैं। और long-term में देखें तो यही सही फैसला था। अब अमेरिका को भारत के साथ deals करते समय दो बार सोचना (rethink) पड़ेगा। और ये हमारे लिए अच्छी बात है, है ना?
तो क्या सोच रहे हैं आप? क्या ये सही move था या फिर…? कमेंट में बताइएगा ज़रूर!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com