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“PM मोदी और ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून तक कोई बातचीत नहीं! जयशंकर ने सीजफायर दावे को खारिज किया”

PM मोदी और ट्रंप के बीच 3 महीने तक कोई बातचीत नहीं? जयशंकर ने क्यों कहा – “ये दावे बेबुनियाद हैं”

अरे भाई, कभी-कभी अमेरिकी नेताओं के बयान सुनकर हैरानी होती है। आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रेस conference में जो कहा, उसने तो साफ कर दिया कि हमारी सरकार किसी के दबाव में नहीं आती। सुनिए न, पूर्व अमेरिकी राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के एक interview में क्या दावा किया था? उन्होंने कहा कि 2019 में उन्होंने भारत-पाकिस्तान को सीजफायर कराने के लिए trade प्रतिबंधों की धमकी दी थी। सच में? जयशंकर जी ने आज न सिर्फ इसे “निराधार” बताया, बल्कि एक चौंकाने वाला खुलासा भी किया। देखिए न, 22 अप्रैल से 17 जून 2019 के बीच PM मोदी और ट्रंप के बीच एक भी phone conversation दर्ज नहीं है। यानी जिस समय की ट्रंप बात कर रहे हैं, उस दौरान तो दोनों नेताओं ने बात ही नहीं की!

पूरा मामला क्या है? थोड़ा पीछे चलते हैं

2019 का वो वक्त याद है न आपको? पुलवामा हमले के बाद का तनाव भरा माहौल। भारत ने बालाकोट air strike से साफ कर दिया था कि आतंकवाद को लेकर हमारी सहनशीलता शून्य है। अब इसी बीच ट्रंप साहब ने ये नया दावा कर दिया कि उन्होंने trade war की धमकी देकर हमें सीजफायर कराया। सुनकर हंसी आ गई न? असल में, भारत सरकार पहले भी ऐसे दावों को खारिज कर चुकी है। लेकिन आज जयशंकर ने जिस तरह point-by-point जवाब दिया, वो काबिले-तारीफ है।

जयशंकर ने क्या कहा? सीधे-सीधे समझते हैं

विदेश मंत्री ने आज media के सामने दो बातें रखीं जो गेम-चेंजर हैं। पहली – “22 अप्रैल से 17 जून 2019 के बीच PM मोदी और ट्रंप के बीच कोई phone call दर्ज नहीं है”। यानी जिस समय की बात हो रही है, उस वक्त तो बातचीत हुई ही नहीं! दूसरी और ज़्यादा अहम बात – भारत कभी किसी बाहरी दबाव में security policies नहीं बनाता। जयशंकर के शब्दों में – “हमारे फैसले पूरी तरह स्वायत्त हैं।” एकदम साफगोई। अब आप ही बताइए, जब बातचीत हुई ही नहीं, तो धमकी कैसे दी गई?

राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है?

इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तो आनी ही थीं। BJP के नेताओं ने जयशंकर के बयान को पूरी तरह बैक किया है। उनका कहना है कि भारत कभी external pressure के आगे नहीं झुकेगा। वहीं opposition की तरफ से Congress के एक senior leader ने सरकार से और स्पष्टीकरण मांगा है। पर सच कहूं तो, international media में ये मामला काफी चर्चा में है। क्यों? क्योंकि ये अमेरिका-भारत relations में transparency के सवाल उठाता है।

अब आगे क्या? थोड़ा future की बात कर लेते हैं

अब सबकी नजर अमेरिकी प्रशासन पर है। अगर ट्रंप या US State Department कोई नया बयान देते हैं, तो मामला और आगे बढ़ सकता है। ये पूरा विवाद दोनों देशों के बीच trust और diplomatic transparency को लेकर नई बहस छेड़ सकता है। एक तरफ तो भारत अपनी strategic autonomy पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका के साथ relations में ये एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। देखना ये है कि आगे का पानी किस तरह बहता है।

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अब देखिए, ये मामला कितना दिलचस्प है! विदेश मंत्री जयशंकर ने सीधे-सादे अंदाज़ में ट्रंप के उस दावे को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने कुछ सीजफायर वाली बात कही थी। और सच कहूँ तो, ये पूरा प्रकरण भारत-अमेरिका के रिश्तों की असली तस्वीर सामने लाता है।

तो क्या हुआ असल में?

एक तरफ तो ये घटना दिखाती है कि राजनयिक बातचीत कितनी अहम होती है – वैसे ही जैसे दो पड़ोसियों के बीच कोई ग़लतफहमी हो तो बैठकर बात करना ज़रूरी होता है। लेकिन दूसरी तरफ… ये सवाल भी उठता है कि आगे क्या?

अब भविष्य की बात करें तो… समय बताएगा कि रिश्तों का पहिया किधर घूमता है। पर एक बात तो तय है – भारत अपने सिद्धांतों पर डटा रहेगा। बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारे दादा-परदादा कहते आए हैं – “झुकना नहीं, समझौता करना अलग बात है!”

और हाँ, यहाँ पर मैं थोड़ा personal opinion दे दूँ – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में sometimes सीधा जवाब देना ही सबसे अच्छा तरीका होता है। जयशंकर जी ने यही किया। एकदम सटीक!

तो दोस्तों, ये थी हमारी today की political चर्चा। क्या आपको लगता है कि इस तरह के सीधे-सपाट बयानों से international relations में मदद मिलती है? कमेंट में ज़रूर बताइएगा!

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

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