मोहित सूरी का संघर्ष: जब एक फिल्म ने बदल दी ज़िंदगी
बॉलीवुड की कहानियाँ तो हम सबने सुनी हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो आपको अंदर तक छू जाती हैं। मोहित सूरी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। सच कहूँ तो, ये कोई परफेक्ट सफलता की कहानी नहीं है – बल्कि उससे कहीं ज़्यादा दिलचस्प है। ये उस जुनून की कहानी है जो एक फिल्म देखकर जागा – “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”। और हाँ, यही वो फिल्म थी जिसने इस लड़के के लिए सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जीने का मकसद दिया।
वो दिन जब सब बदल गया
असल में बात ये है कि मोहित का बचपन तो फिल्मों के बीच ही बीता, लेकिन DDLJ ने उनके लिए सिनेमा की परिभाषा ही बदल दी। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? एक लड़का सिनेमा हॉल में बैठा है, और अचानक उसे एहसास होता है – “अरे, मैं भी ऐसी ही कहानियाँ बनाना चाहता हूँ!” बस फिर क्या था, सपनों की एक नई दुनिया खुल गई।
और यहाँ एक मजेदार बात – उनके पापा अनिल सूरी खुद फिल्म इंडस्ट्री से थे। मतलब घर में ही फिल्मी माहौल! पर सच तो ये है कि परिवार का सपोर्ट होना एक बात है, और अपनी राह खुद बनाना बिल्कुल दूसरी बात।
जब सपने टकराए रियलिटी से
लेकिन भईया, बॉलीवुड में एंट्री लेना और सफल होना दो अलग-अलग चीज़ें हैं। मोहित ने जब assistant director बनकर काम शुरू किया, तो पता चला – यार ये तो बहुत ही ज़्यादा मुश्किल है! लंबे-लंबे शूट, हमेशा टेंशन में रहने वाले लोग, और हर दिन नई चुनौती। कई बार तो ऐसा लगा शायद ये मेरे बस का नहीं।
और तो और, शुरुआती फिल्में फ्लॉप हो गईं। पर यहाँ वो बात आती है जो असली winners को बाकियों से अलग करती है – हार से सीख लेना। मोहित ने हर गलती को अपनी ट्रेनिंग का हिस्सा बना लिया। सच कहूँ तो, यही attitude आगे चलकर काम आया।
और फिर आई वो बड़ी सफलता
कहते हैं न, मेहनत का फल मीठा होता है। मोहित के लिए ये सच साबित हुआ [फिल्म का नाम] के साथ। ये फिल्म ऐसी हिट हुई कि लोग बोलने लगे – “अरे, ये नया director कौन है?” Critics भी खुश, audiences भी खुश। और सबसे बड़ी बात – ये फिल्म पूरी तरह मोहित की अपनी vision थी।
आज अगर आप मोहित सूरी की फिल्में देखें, तो पता चलता है कि इनमें कुछ खास है। चाहे वो कहानी हो या characters की depth – हर चीज़ में एक uniqueness दिखती है। शायद इसीलिए उनकी फिल्में सिर्फ entertain नहीं करतीं, बल्कि आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
क्या सीख मिलती है इस कहानी से?
मोहित का मानना है कि cinema सिर्फ timepass नहीं, बल्कि एक ताकतवर हथियार है। उनकी advice नए filmmakers के लिए बहुत सीधी है – “Original बनो, fail होने से मत डरो, और कभी हार न मानो।” सुनने में तो ये बातें cliché लग सकती हैं, लेकिन जब आप मोहित सूरी की जर्नी देखते हैं, तो पता चलता है कि ये सच में काम करती हैं।
तो दोस्तों, अगली बार जब आप कोई सपना देखें, तो ये कहानी याद रखना। क्योंकि जैसे मोहित ने DDLJ देखकर अपना रास्ता चुना, वैसे ही आप भी अपने passion को follow कर सकते हैं। बस एक बात – चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, कभी हार न मानना। क्योंकि जब सपना पूरा होता है, तो सारे struggle worth it लगने लगते हैं। सच कहूँ तो!
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मोहित सूरी की कहानी सुनकर एक बात तो साफ़ समझ आती है – सपने देखना बस शुरुआत है, असली मज़ा तो उन्हें पूरा करने के संघर्ष में है। सच कहूँ तो, क्या आपने कभी सोचा है कि “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” जैसी फिल्म किसी इंसान की ज़िंदगी को कैसे बदल सकती है? मेरा मतलब, फिल्म तो बस 3 घंटे की होती है ना, लेकिन इसने मोहित के लिए पूरी ज़िंदगी का गेम ही बदल दिया!
और यहाँ सबसे दिलचस्प बात यह है कि उनकी सफलता कोई ‘ओवरनाइट सक्सेस’ वाली कहानी नहीं है। Film Industry में तो ऐसा होता नहीं, है ना? पसीना बहाना पड़ता है, रातें जागनी पड़ती हैं, और कभी-कभी तो असफलताओं के ढेर से भी गुज़रना पड़ता है। लेकिन देखा जाए तो मोहित का सफर उन सभी युवाओं के लिए एक जीती-जागती मिसाल है जो सोचते हैं कि “अरे यार, मेरा तो कुछ नहीं हो सकता।” हो सकता है भाई! बस थोड़ा जुनून चाहिए, थोड़ी मेहनत… और हाँ, थोड़ा पागलपन भी!
असल में अगर गौर करें तो यह कहानी सिर्फ़ Film Industry तक ही सीमित नहीं है। चाहे आप कोई startup शुरू कर रहे हों, कोई नया skill सीख रहे हों, या फिर किसी competitive exam की तैयारी कर रहे हों – मोहित सूरी का यह सफर हमें यही सिखाता है कि consistency और passion का कोई विकल्प नहीं होता। सच कहूँ तो, success का कोई शॉर्टकट नहीं होता… लेकिन यह भी सच है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com