मां की गोद से बच्चियों को उठाकर… ये कैसा राक्षसीपन है?
कभी-कभी ऐसी खबरें सुनकर लगता है कि इंसानियत शर्मसार हो गई। [शहर/गांव का नाम] में हुई ये घटना तो वाकई दिल दहला देने वाली है। सोचिए, कोई इतना नीचे गिर सकता है कि मासूम बच्चियों के साथ…? खैर, अविनाश पांडे नाम के इस शख्स को पुलिस ने पकड़ लिया है, और अच्छी बात ये कि उसने अपना जुर्म कबूल भी कर लिया। अब केस POCSO Act के तहत चल रहा है – वही कानून जो बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बना था।
कौन था ये शैतान?
देखा जाए तो आरोपी बाहर से एकदम साधारण इंसान लगता था। लेकिन अंदर से…? ईमानदारी से कहूं तो ऐसे लोगों को देखकर डर लगता है। पुलिस रिकॉर्ड्स बताते हैं कि ये पहली बार नहीं था, हालांकि पहले के मामले इतने गंभीर नहीं थे। और सबसे दुखद बात? पीड़ित बच्चियों की उम्र सिर्फ 5 से 8 साल! गरीब परिवारों की ये मासूम बच्चियां…
घटना का तरीका तो और भी डरावना है। सोचिए, मां की गोद से सोते हुए बच्चियों को उठाकर…? ये कोई आवेश में किया गया अपराध नहीं था। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने पहले कई दिनों तक परिवारों की दिनचर्या स्टडी की थी। प्लानिंग वाला अपराध! जब पीड़ितों को पता चला तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी, और पड़ोसियों की मदद से इस हैवान को पकड़वाया।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
इस बार पुलिस ने काफी तेजी दिखाई। CCTV फुटेज, गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट्स – सब कुछ मिला। हैरानी की बात ये कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने बिना किसी दबाव के सब कुछ कबूल कर लिया। और जो बयान दिया है वो तो… सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
POCSO Act के अलावा, IPC की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और कुछ अन्य धाराएं भी लगाई गई हैं। आरोपी फिलहाल [जेल का नाम] जेल में है, और अगली कोर्ट डेट [तारीख] है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में तो उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है – क्योंकि POCSO Act में नाबालिगों के साथ यौन हिंसा के मामलों में ये प्रावधान है।
समाज का गुस्सा
इस मामले ने पूरे इलाके में आग लगा दी है। पीड़ित परिवार का साफ कहना है – “हमें फांसी चाहिए।” स्थानीय नेताओं से लेकर समाजसेवियों तक, सभी इस घटना की निंदा कर रहे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सही कहा – “ऐसे मामलों में सख्त सजा ही दूसरों के लिए सबक होगी।”
पुलिस वाले भी पूरी तरह से केस पर जुटे हुए हैं। वहीं बाल अधिकार संगठनों की चिंता समझ आती है। उनका कहना है कि सिर्फ कानून काफी नहीं, जागरूकता भी ज़रूरी है। और सच कहूं तो ये बात सही लगती है।
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें कोर्ट पर हैं। POCSO Act के तहत तो सजा मिलनी ही चाहिए। लेकिन असल सवाल ये है कि क्या सरकार और पुलिस ऐसे मामलों को रोकने के लिए कुछ नया करेगी?
कुछ सुझाव तो सही लगते हैं – जैसे आवासीय इलाकों में CCTV बढ़ाना, POCSO कोर्ट की सुनवाई तेज करना, बच्चों को सुरक्षा के गुर सिखाना। साथ ही पीड़ित परिवार को कानूनी और मानसिक सहायता देना भी ज़रूरी है।
सच तो ये है कि ये घटना हमारे समाज के लिए एक चेतावनी है। ऐसे आरोपी को इतनी सख्त सजा मिलनी चाहिए कि कोई दूसरा ऐसा कदम उठाने से पहले सौ बार सोचे। वरना…? वरना हम अपने बच्चों को कैसे सुरक्षित महसूस कराएंगे?
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अविनाश पांडे जैसे लोगों की गिरफ़्तारी तो बस पहला कदम है, असली सवाल यह है कि क्या POCSO Act के तहत इन्हें सख़्त सज़ा मिल पाएगी? हमारे समाज में ऐसे मामले अक्सर दबा दिए जाते हैं – लेकिन अब नहीं। देखा जाए तो हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है कि इन मासूमों की आवाज़ बनें।
क्या आपको पता है? ऐसे केस में सिर्फ़ पुलिस कार्रवाई काफ़ी नहीं है। जनता का दबाव, media का coverage – सब मिलकर ही न्याय दिला सकते हैं। तो क्या करें? इस ख़बर को share ज़रूर करें, लेकिन साथ ही… awareness फैलाएं। बच्चों को सिखाएं कि ‘गुड टच-बैड टच’ क्या होता है।
#JusticeForVictims पर तो सब हाथ उठा देते हैं, लेकिन असल मेहनत तो हमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में करनी होगी। सच कहूँ तो? एक retweet से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है घर-परिवार में इस बारे में खुलकर बात करना।
(और हाँ… ये हैशटैग्स तभी काम आएंगे जब हम सच में इनके पीछे खड़े होंगे। Just saying.)
मां की गोद से मासूमों को छीनकर उनका सपनों से खेलने वाले दरिंदे की गिरफ्तारी – आपके मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब
1. POCSO Act क्या है? और ये असल में काम कैसे करता है?
देखिए, POCSO Act यानी “Protection of Children from Sexual Offences Act” – नाम से ही समझ आ रहा है न कि ये किसके लिए है? ये कानून 18 साल से छोटे बच्चों को यौन हिंसा से बचाने के लिए बनाया गया है। अब सवाल ये है कि ये कैसे काम करता है? तो सुनिए, इसमें सजा का प्रावधान इतना सख्त है कि आरोपी की रूह काँप जाए। जुर्माना तो है ही, साथ में जेल की सजा भी पक्की।
2. इस केस में आरोपी को कितनी सख्त सजा मिल सकती है?
ईमानदारी से कहूँ तो, अगर POCSO के तहत केस बनता है और आरोपी गुनहगार साबित हो जाता है… तो उसकी हालत खस्ता है। कम से कम 10 साल? हाँ। लेकिन यहाँ तो बात उम्रकैद तक की हो सकती है। और हाँ, अगर केस बहुत गंभीर है – जैसा कि ये केस लग रहा है – तो फांसी भी हो सकती है। सच कहूँ तो, इतनी सख्त सजा देखकर भी कुछ लोगों की हिम्मत कैसे हो जाती है ऐसा करने की?
3. पीड़ित बच्चे और उसके घरवालों के क्या अधिकार हैं?
असल में, कानून ने यहाँ काफी सोच-समझकर प्रावधान रखे हैं। पहली बात तो ये कि केस की सुनवाई एक खास POCSO कोर्ट में होगी – जहाँ चीजें जल्दी निपटाने की कोशिश होती है। दूसरा, बच्चे की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाएगी। और हाँ, परिवार को मिलेगा कानूनी सहायता, काउंसलिंग, और सुरक्षा का पूरा हक। थोड़ी राहत की बात है न?
4. अगर आपको ऐसा कोई मामला पता चले तो क्या करें?
तो अब सवाल ये उठता है कि अगर आपके आस-पास ऐसी कोई घटना होती दिखे तो? सबसे पहले तो घबराएँ नहीं। तुरंत पुलिस को 100 नंबर पर कॉल करें। या फिर चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर। एक छोटी सी गलती भी बच्चे की जिंदगी बचा सकती है। और हाँ, सबूतों को सेफ रखें – फोटो, वीडियो, कपड़े – कुछ भी। सबसे जरूरी? पीड़ित को तुरंत मेडिकल और मेंटल सपोर्ट दिलवाएँ। वो वक्त निकल जाए तो फिर…
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com