पालिका बाजार की पार्किंग: गंदगी का अंबार और छत गिरने का डर… नगरपालिका कब सुधरेगी?
दिल्ली का कनॉट प्लेस तो सब जानते हैं, लेकिन उसके पास मौजूद पालिका बाजार की मल्टीलेवल पार्किंग की हालत देखकर आपका दिल दहल जाएगा। सच कहूं तो यह पार्किंग नहीं, एक चलता-फिरता खतरा बन चुकी है। बेसमेंट में जाइए तो छत से कंक्रीट के टुकड़े गिरते दिखेंगे, लोहे की सरिया बाहर झांक रही है, और पानी का रिसाव तो जैसे यहां का नियम बन गया है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे बार-बार शिकायत कर चुके हैं, मगर नगरपालिका वाले तो जैसे सोए हुए हैं!
30 साल से चली आ रही लापरवाही
ये समस्या नई नहीं है भाई। तीन दशक पुरानी इस इमारत पर रोज सैकड़ों कारों का बोझ पड़ता है, लेकिन मरम्मत? वो तो जैसे किसी और ही दुनिया की बात है। स्थानीय लोग बताते हैं कि नगरपालिका वाले बस वादे करते रहते हैं – “अगले महीने शुरू करेंगे”, “बजट मिलते ही काम शुरू” वगैरह-वगैरह। मगर असलियत? ज़ीरो एक्शन। और अब तो हालात ये हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। सोचकर ही डर लगता है!
खतरे के साफ-साफ संकेत
अब आप ही बताइए, जब छत से कंक्रीट गिरने लगे, कारों को नुकसान होने लगे, और पूरी जगह कचरे के ढेर और बदबू से भर जाए – तो क्या ये खतरे की घंटी नहीं है? मगर हैरानी की बात ये है कि इतने सारे लाल संकेतों के बावजूद नगरपालिका वाले तमाशा देख रहे हैं। क्या वाकई किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहे हैं?
जनता का गुस्सा फूट पड़ा
एक दुकानदार ने गुस्से में कहा – “हमारी शिकायतों को कौन सुनेगा? जब कुछ बड़ा होगा, तब ही कोई एक्शन लेगा क्या?” वहीं पार्किंग इस्तेमाल करने वाले लोग डरे हुए हैं – “अब तो यहां आना भी मजबूरी में पड़ता है।” और नगरपालिका वालों का जवाब? वही पुराना राग – “जांच चल रही है, जल्द काम शुरू करेंगे।” ये ‘जल्द’ कब आएगा, कोई नहीं जानता!
अब क्या होगा?
सवाल ये नहीं कि क्या करना चाहिए – वो तो साफ है। सवाल ये है कि नगरपालिका वाले आखिर कब करेंगे? जांच रिपोर्ट का इंतज़ार? वो तो बस टालमटोल का बहाना लगता है। स्थानीय लोगों का गुस्सा अब सीमा पार कर रहा है। उनका कहना है कि अब बस हो चुका – या तो तुरंत कार्रवाई हो, या फिर वे बड़ा आंदोलन करने को तैयार हैं। सच तो ये है कि अगर अभी नहीं सुधरे, तो कल बहुत देर हो जाएगी।
पालिका बाजार की पार्किंग की ये दुर्दशा सिर्फ नगरपालिका की लापरवाही नहीं दिखाती, बल्कि ये सवाल खड़ा करती है कि हम सब सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर इतने बेपरवाह क्यों हैं? क्या हमें किसी बड़े हादसे का इंतज़ार करना चाहिए? या फिर अभी, इसी वक्त, इस मुद्दे पर आवाज़ उठानी चाहिए? आपकी क्या राय है?
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com