धनखड़ का वो अचानक इस्तीफा: क्या सच में सब कुछ ‘व्यक्तिगत’ था?
मानो या न मानो, लेकिन सोमवार को जो हुआ वो किसी राजनीतिक थ्रिलर के सीन जैसा था। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे – बिना किसी prior notice के, बिना किसी official schedule के। और फिर? इस्तीफा सौंप दिया! अगले दिन गृह मंत्रालय ने confirm कर दिया। सच कहूं तो, ये सब इतना अचानक हुआ कि दिल्ली के political circles में अभी भी लोगों को digest करने में वक्त लग रहा है।
पीछे क्या चल रहा था? कुछ clues तो थे…
याद कीजिए, धनखड़ जुलाई 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे। राज्यसभा के chairman के तौर पर भी उनकी भूमिका काफी active रही। पर पिछले कुछ महीनों से… कुछ तो चल रहा था। विपक्ष के साथ उनकी बढ़ती नजदीकी, सरकार के कुछ फैसलों पर सवाल – ये सब तो public domain में था। लेकिन इस्तीफा? ये किसी ने नहीं सोचा था। या फिर शायद कुछ लोग जानते थे और चुप थे?
वो 24 घंटे: जब सब कुछ उलट-पुलट हो गया
सोमवार की वो surprise visit तो बस शुरुआत थी। सीधे राष्ट्रपति मुर्मू से मिले, इस्तीफा दिया – और बस! अगले ही दिन official confirmation आ गया। पर सबसे मजेदार twist? उसी दिन राज्यसभा के deputy chairman हरिवंश का भी राष्ट्रपति से मिलना। अब आप ही बताइए, ये सब coincidence था या well-planned move? Political corridors में तो चर्चा जोरों पर है कि हरिवंश ही अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं।
राजनीति का वो पुराना खेल: आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना ने तो जैसे political floodgates खोल दिए। कांग्रेस वालों ने तो मानो opportunity हाथ लग गई – “लोकतंत्र पर खतरा”, “pressure tactics” वगैरह-वगैरह। वहीं BJP वाले innocent बन रहे हैं – “personal decision है भाई, हमसे क्या लेना-देना?” पर असल सवाल ये है कि क्या सच में ये सिर्फ personal था? Political analysts की मानें तो ये government और vice president के बीच बढ़ते tension का logical conclusion था।
अब आगे क्या? 3 बड़े सवाल
पहला तो नए उपराष्ट्रपति का selection process। दूसरा, राज्यसभा में नए chairman की appointment – जो house के functioning पर direct असर डालेगा। और तीसरा सबसे बड़ा – आने वाले parliament session में ये मुद्दा कितना गरमाएगा? फिलहाल तो ये mystery बना हुआ है। पर एक बात तय है – अगले कुछ दिनों में ये भारतीय राजनीति का hottest topic बना रहेगा। क्योंकि दिल्ली की सियासत में कोई भी चीज वैसी नहीं होती जैसी दिखती है। सच ना?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com