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“29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस: ‘डाटा बाबा’ प्रसाद चंद्र महालनोबिस की अनकही कहानी और आंकड़ों की दुनिया”

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राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस: जब ‘डाटा बाबा’ ने भारत को नंबर्स की भाषा सिखाई

अरे भाई, 29 जून को हम सब क्यों इतने excited हो जाते हैं? नहीं, ये कोई छुट्टी का दिन नहीं है… बल्कि ये वो दिन है जब हमारा देश अपने असली ‘डाटा बाबा’ – प्रसाद चंद्र महालनोबिस को याद करता है। सच कहूँ तो, आज के digital युग में जहाँ हर चीज़ data पर चलती है, उनकी कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है। इस साल की थीम – “सतत विकास के लिए आंकड़ों का महत्व” – बिल्कुल सटीक बैठती है। क्योंकि अब तो हर नीति, हर योजना डेटा की भाषा में ही बनती है।

वो शख्स जिसने नंबर्स को बना दिया कहानी

सुनो एक किस्सा… 1893 की बात है, कोलकाता में एक लड़का पैदा हुआ जिसने पूरे देश को सिखाया कि आँकड़े सिर्फ नंबर्स नहीं, बल्कि देश बदलने की ताकत हैं। Mahalanobis Distance का concept तो आपमें से कई data science वालों ने पढ़ा होगा। लेकिन असली मजा तो तब आता है जब आपको पता चले कि इसी शख्स ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की नींव रखी थी। और तो और, हमारी पंचवर्षीय योजनाओं की success का राज भी इन्हीं के data analysis में छिपा है। सोचिए, बिना इनके योगदान के हमारी economy कहाँ होती?

आज का भारत: जहाँ महालनोबिस का सपना सच हो रहा है

अब तो हालात देखो! AI और Big Data के ज़माने में महालनोबिस के सिद्धांत और भी relevant हो गए हैं। सरकारी सेमिनार से लेकर कॉलेजों की प्रतियोगिताएँ – हर जगह डेटा की बात। क्या आप जानते हैं कि आज हर ministry में data scientists की भरमार है? ये सब देखकर लगता है मानो ‘डाटा बाबा’ का सपना सचमुच पूरा हो रहा हो।

क्या कह रहे हैं लोग?

प्रधानमंत्री मोदी जी ने तो ट्वीट कर दिया – “महालनोबिस जी ने दिखाया कि डेटा से फैसले कैसे बदलते हैं।” सच बात तो ये है कि आज का ‘Digital India’ उन्हीं के विज़न पर चल रहा है। वहीं डॉ. मित्रा जैसे experts कहते हैं कि “Data Science आज की सबसे hot skill बन गई है।” और कॉलेज की प्रियंका जैसे students के लिए तो महालनोबिस सचमुच एक inspiration हैं।

आगे का सफर: डेटा का नया ज़माना

अब तो सरकार राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यक्रम (NSP) 2025 लाने की सोच रही है। मतलब साफ है – AI और analytics को और बढ़ावा। कॉलेजों में नए courses, विदेशों के साथ data partnerships… ये सब देखकर लगता है कि हम सचमुच एक डेटा-संचालित महाशक्ति बनने जा रहे हैं। और इसकी नींव में हैं हमारे ‘डाटा बाबा’ के सिद्धांत।

तो क्या सोचते हैं आप? क्या महालनोबिस का सपना पूरा हो रहा है? मेरी तो राय में, आज हर सफल government scheme के पीछे उन्हीं के सिद्धांतों की छाप है। आखिरकार, numbers never lie… है न?

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस और ‘डाटा बाबा’ महालनोबिस – जानिए कुछ दिलचस्प बातें

1. राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?

अरे भाई, 29 जून को हर साल यह दिन क्यों मनाते हैं? असल में यह हमारे देश के मशहूर statistician प्रसाद चंद्र महालनोबिस की याद में है। और सिर्फ याद दिलाने भर के लिए नहीं – देखा जाए तो यह दिन हमें याद दिलाता है कि statistics सिर्फ किताबों की बात नहीं, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के फैसलों में कितनी अहमियत रखती है। ठीक वैसे ही जैसे चाय में चीनी! बिना data के planning करना तो अंधेरे में तीर चलाने जैसा है न?

2. महालनोबिस को ‘डाटा बाबा’ क्यों कहा जाता है?

वाह, यह तो बड़ा मज़ेदार सवाल है! दरअसल, उस ज़माने में जब data शब्द भी शायद ही किसी ने सुना था, महालनोबिस जी ने statistics को एक नई दिशा दी। उनका वो famous ‘Mahalanobis Distance’ theory? आज भी data science वाले उसे use करते हैं – बिल्कुल वैसे ही जैसे हम दादी के नुस्खे आज भी अपनाते हैं। सच में, data के मामले में वो हमारे असली बाबा थे!

3. महालनोबिस का सबसे बड़ा contribution क्या था?

ईमानदारी से कहूं तो एक नहीं, कई योगदान थे। लेकिन अगर सबसे बड़ा चुनना हो तो… Indian Statistical Institute (ISI) की स्थापना तो थी ही, साथ ही उन्होंने Five-Year Plans के लिए data collection के ऐसे scientific तरीके बनाए जो आज भी relevant हैं। सोचो तो, आज हम data-driven India की बात करते हैं – उसकी नींव तो महालनोबिस जी ने ही रखी थी। कमाल है न?

4. आज के digital युग में महालनोबिस के theories की क्या relevance है?

अच्छा सवाल पूछा! आज जब हर कोई big data और AI की बात करता है, तो लगता है ये सब नई चीज़ें हैं। पर सच तो यह है कि महालनोबिस जी के theories आज भी economics से लेकर social sciences तक, यहाँ तक कि machine learning में भी use हो रहे हैं। सच कहूं तो वो हमारे देश के पहले data scientist थे – बस उस ज़माने में यह नाम नहीं चलता था। है न मज़ेदार बात?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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