एनसीईआरटी की नई किताबें: क्या सच में बदल जाएगी स्कूली पढ़ाई की तस्वीर?
अरे भाई, अगर आपको भी लगता है कि स्कूल की किताबें पढ़ते-पढ़ते नींद आ जाती थी, तो खुशखबरी है! NCERT ने आखिरकार हमारी फरियाद सुन ली है। 5वीं और 8वीं क्लास के लिए नई किताबें लेकर आई है ये संस्था, और ये NEP 2020 के उसी सपने को सच करने की कोशिश है जहाँ पढ़ाई रटने की बजाय समझने की चीज़ बने। पर सवाल यह है – क्या ये किताबें वाकई बोरियत भरी क्लासरूम को मज़ेदार बना पाएंगी? चलिए जानते हैं।
वो पुराने दिन… जब किताबें पढ़ते-पढ़ते ऊँघ आती थी
याद कीजिए अपने स्कूल के दिनों को। क्या आपको भी लगता था कि किताबों में लिखी बातें किसी अलग ही दुनिया से आई हैं? असल में, हमारी पुरानी शिक्षा प्रणाली का यही सबसे बड़ा दोष था – ज्ञान को सिर्फ किताबों तक सीमित रखना। Teachers की मानें तो पिछले कुछ सालों में Students का पढ़ाई से मोहभंग होता जा रहा था। और भई, इसमें बच्चों का क्या कसूर? जब किताबें ही इतनी बोरिंग हों, तो पढ़ाई में मन कैसे लगे! NEP 2020 इसी सोच को बदलने की कोशिश है।
अब क्या है नई किताबों में? QR कोड से लेकर गेम्स तक!
तो अब सवाल यह है कि ये नई किताबें किस तरह से अलग हैं? देखिए, पहली बात तो यह कि अब साइंस और मैथ्स जैसे विषय भी उतने डरावने नहीं रहे। किताबों में अब सिर्फ सूखे सिद्धांत नहीं, बल्कि रियल-लाइफ उदाहरण हैं। और सबसे मस्त चीज़? QR कोड! जी हाँ, अब बच्चे किताब में दिए कोड को स्कैन करके online videos और interactive content तक पहुँच सकते हैं। एक तरह से ये किताबें अब सिर्फ किताब नहीं, बल्कि पूरी एक learning experience बन गई हैं। क्या बात है न?
क्या कह रहे हैं Teachers और Parents?
हालांकि, हर नए बदलाव की तरह इसे लेकर मतभेद भी हैं। कुछ Teachers तो इसे शिक्षा क्रांति बता रहे हैं, वहीं कुछ Parents को लग रहा है कि ये सब बहुत जल्दबाज़ी में किया जा रहा है। पर एक बात जो सभी मान रहे हैं – बच्चों को ये नया फॉर्मेट पसंद आ रहा है! मेरे एक टीचर दोस्त ने तो बताया कि उनके स्टूडेंट्स अब क्लास में ज़्यादा एक्टिव हो गए हैं। पर सच पूछो तो, असली परिणाम तो अगले कुछ सालों में ही पता चल पाएगा।
आगे क्या? सिर्फ शुरुआत है ये!
असल में ये तो बस पहला कदम है। अगले साल से ये किताबें पूरे देश में पहुँचेंगी, और NCERT अभी 6th-7th और 9th-10th की किताबें भी अपडेट कर रहा है। पर सबसे अहम बात? Teachers की ट्रेनिंग। क्योंकि नई किताबें तभी कामयाब होंगी जब टीचर्स इन्हें सही तरीके से पढ़ा पाएंगे। देखते हैं, क्या ये बदलाव वाकई भारतीय शिक्षा को नई दिशा दे पाता है। एक बात तो तय है – अब स्कूल जाने का मतलब सिर्फ बस्ते का बोझ ढोना नहीं रहा!
तो क्या आपको लगता है ये बदलाव सच में कारगर साबित होगा? कमेंट में बताइएगा ज़रूर। और हाँ, अगर आपके घर में भी कोई स्कूली बच्चा है, तो उसकी राय ज़रूर पूछिएगा – क्योंकि आखिरकार ये सब तो उन्हीं के लिए है न?
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NCERT की नई किताबों के बारे में सुनकर मुझे खुद अपने स्कूल के दिन याद आ गए। किताबें इतनी रट्टामार होती थीं कि पढ़ाई का मजा ही किरकिरा हो जाता था। लेकिन अब? देखिए न, ये नई किताबें तो गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं!
असल में बात यह है कि अब सिर्फ facts रटाने की जगह, बच्चों को समझने पर ज़ोर दिया जा रहा है। और सच कहूं तो, यही तरीका तो काम आना चाहिए न? जब पढ़ाई में मस्ती होगी, तो बोरियत भागेगी अपने आप।
हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ किताबें बदलने से सब कुछ ठीक हो जाएगा? शायद नहीं। लेकिन #शिक्षा_में_बदलाव की यह शुरुआत तो कमाल की है। आखिरकार, हम चाहते हैं न कि हमारे बच्चे सिर्फ रटकर नहीं, बल्कि समझकर आगे बढ़ें?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com