नीम करौली दर्शन यात्रा में हादसा: दादा-पोता की दर्दनाक मौत, जानें पूरा मामला

नीम करौली दर्शन की यात्रा में क्या हुआ? एक ऐसा हादसा जिसने सबको हिला दिया

सोनीपत का वही पुराना केएमपी एक्सप्रेसवे… जहाँ रोज़ाना तेज़ रफ्तार गाड़ियाँ दौड़ती हैं। लेकिन आज सुबह जो हुआ, वो किसी सपने से कम नहीं था। नरेश कुमार जी का पूरा परिवार नीम करौली बाबा के दर्शन के लिए निकला था – बुज़ुर्ग दादा, बच्चे, सब खुश थे। और फिर अचानक वो भीषण टक्कर! 65 साल के नरेश जी और उनके मासूम 8 साल के पोते… दोनों ही वहीं छूट गए। पाँच और लोग गंभीर रूप से घायल। सच कहूँ तो, ऐसी खबरें पढ़कर दिल दहल जाता है। पुलिस तो जाँच कर रही है, पर क्या वाकई सिर्फ जाँच ही काफी है?

भक्ति की यात्रा या मौत का सफर? जानिए पूरी कहानी

देखिए, नरेश जी का परिवार सोनीपत से नीम करौली धाम जा रहा था – बाबा के दर्शन का संकल्प था। पर किसे पता था कि ये सफर इतना दर्दनाक होगा? केएमपी एक्सप्रेसवे पर तो हादसे आम बात हो गई हैं। स्पीड, लापरवाही, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी – ये सब मिलकर कब किसकी ज़िंदगी लील जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। असल में, ये कोई पहला मामला नहीं है। कितनी और जानें जाएँगी?

वो भयानक पल: जब खुशियाँ मातम में बदल गईं

सुबह के कोहरे में अचानक एक ज़ोरदार धमाका! नरेश जी की कार सामने से आ रहे ट्रक से जा टकराई। टक्कर इतनी ज़बरदस्त कि कार का आगे वाला हिस्सा तो बिल्कुल चपटा हो गया। स्थानीय लोग भागे-भागे आए, पर क्या करते? दादा-पोते तो वहीं छूट गए। बाकी घायलों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। और ट्रक वाला? उसे तो पुलिस ने पकड़ लिया। पर सवाल ये है कि क्या ऐसे हादसों के बाद सिर्फ ड्राइवर को पकड़ना ही काफी है?

परिवार का दर्द: “हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ?”

नरेश जी के बेटे की आवाज़ सुनकर तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं – “पापा और मेरा बेटा एक साथ चले गए… ये कैसे सहूँगा?” दूसरी तरफ पुलिस वाले अपनी रट लगाए हुए हैं – “जाँच चल रही है, ड्राइवर ने लापरवाही की होगी।” स्थानीय लोगों का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे पर स्पीड कैमरों की कमी है। पर क्या सिर्फ कैमरा लगाने से सब ठीक हो जाएगा? हमारी सोच नहीं बदलेगी तो कुछ नहीं बदलेगा।

अब आगे क्या? क्या सबक मिलेगा?

पुलिस तो FIR दर्ज करके अपना कर्तव्य निभा रही है। घायलों के बयान लिए जाएँगे। प्रशासन ने कहा है कि वो एक्सप्रेसवे पर और पुलिस चौकियाँ बनाएँगे। पर मेरा सवाल है – क्या ये काफी है? क्या हर बार हादसे के बाद ही हमें याद आता है कि सड़क सुरक्षा ज़रूरी है? पीड़ित परिवार ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है, पर क्या कोर्ट का फैसला उनके दर्द को कम कर पाएगा?

एक पल की लापरवाही… और दो जानें चली गईं। कितने सारे सवाल छोड़ गई ये घटना। धार्मिक यात्रा हो या कोई और सफर – सुरक्षा पहले। पर क्या हम वाकई इस सबक को समझ पाएँगे? या फिर अगली खबर का इंतज़ार करेंगे? सोचिए ज़रूर…

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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