स्मिथसोनियन में ‘वोकनेस’ पर बैन? अमेरिकी राजनीति का नया हॉट-बटन इश्यू
अरे भई, अमेरिकी राजनीति में तो हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है ना? अबकी बार बहस छिड़ी है शैक्षणिक आज़ादी और राजनीतिक पूर्वाग्रह को लेकर। इंडियाना के Republican सीनेटर जिम बैंक्स ने तो बड़ा दिलचस्प बिल पेश किया है – स्मिथसोनियन संग्रहालयों में ‘wokeness’ और “विभाजनकारी बयानबाजी” पर रोक लगाने वाला। असल में ये ट्रम्प के 2020 के उस आदेश को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश है जिसमें नस्लीय और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर बात करने पर पाबंदी थी।
कहानी थोड़ी पीछे जाती है। 2020 में ट्रम्प सरकार ने ‘critical race theory’ और ‘woke‘ विचारधारा वाले प्रोग्राम्स पर रोक लगा दी थी। और अब? स्मिथसोनियन Institution, जो अमेरिका का सबसे प्रतिष्ठित संग्रहालय माना जाता है, बार-बार विवादों में घिर रहा है। खासकर उनकी अफ्रीकी-अमेरिकी इतिहास और नस्लीय असमानता वाली प्रदर्शनियों को conservative groups निशाना बना रहे हैं। “ये सब political agenda है” – ऐसा दावा करते हुए।
अब इस नए बिल में क्या-क्या है? देखिए, पहली बात तो ये कि जो भी सामग्री “अमेरिकी इतिहास के खिलाफ” लगे, उस पर बैन। दूसरा, federal funding तभी मिलेगी जब ये नियम माने जाएंगे। Republican तो इस पर झूम रहे हैं – उनका कहना है कि शैक्षणिक संस्थानों में “left-wing ideology” बहुत ज्यादा फैल रही है।
लेकिन सच कहूं तो, विपक्ष की प्रतिक्रिया भी कम दिलचस्प नहीं है। सीनेटर बैंक्स तो बोल ही चुके – “स्मिथसोनियन को इतिहास का सम्मान करना चाहिए, न कि उसे तोड़ना-मरोड़ना”। वहीं Democrats और academic वालों ने इसे “इतिहास को whitewash करने की कोशिश” बताया है। अभी तक स्मिथसोनियन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। सोचने वाली बात है न?
तो अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? इस बिल को पास होने के लिए Senate और House of Representatives दोनों से गुजरना पड़ेगा। और भई, जब Democrats का Senate पर कंट्रोल है, तो ये आसान नहीं लगता। पर अगर किसी तरह पास हो गया तो? ये सिर्फ स्मिथसोनियन तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिका के दूसरे museums और educational institutions के लिए ये एक डरावनी मिसाल बन जाएगा। फिर तो controversial historical topics पर बात करना और भी मुश्किल हो जाएगा। क्या आपको नहीं लगता कि ये academic freedom पर सीधा हमला है?
[एक सवाल जो मन में आता है – क्या इतिहास को सिर्फ एक नज़रिये से पढ़ाया जाना चाहिए? या फिर अलग-अलग perspective भी ज़रूरी हैं?]
Trump का यह नया बिल तो जैसे हॉर्नेट्स के छत्ते में हाथ डालने जैसा है! स्मिथसोनियन संग्रहालयों में ‘Wokeness’ और विभाजनकारी बयानों पर पाबंदी लगाकर उन्होंने एक ऐसी बहस छेड़ दी है जो शायद लंबे समय तक चलेगी। सच कहूं तो, यह सिर्फ संग्रहालयों की आज़ादी का मामला नहीं है – बल्कि अमेरिका अपने ही इतिहास को कैसे देखता है, इस पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर इसके क्या मायने हैं? एक तरफ तो ये सरकारी हस्तक्षेप की चिंता करने वालों को परेशान कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कंजर्वेटिव्स इसे सांस्कृतिक संरक्षण का जरूरी कदम बता रहे हैं। और देखा जाए तो असल मुद्दा यही है न – कि हम इतिहास को किस नज़र से पेश करें?
फिलहाल तो ये बहस पूरे अमेरिका में जोरों पर है। Twitter पर #SmithsonianBan ट्रेंड कर रहा है, TV चैनलों पर बहसें हो रही हैं… पर असली सवाल तो ये है कि आने वाले सालों में इसके क्या नतीजे निकलेंगे? क्योंकि जैसा कि हम भारतीय अच्छी तरह जानते हैं – इतिहास की व्याख्या पर होने वाली लड़ाइयां कभी साधारण नहीं होतीं।
स्मिथसोनियन संग्रहालयों में ‘वोकनेस’ और ‘विभाजनकारी कथनों’ पर प्रतिबंध – क्या यह सही है या गलत?
1. यह नया बिल आया कहाँ से और क्यों?
असल में, यह बिल अमेरिकी सरकार की एक कोशिश है स्मिथसोनियन संग्रहालयों को ‘वोकनेस’ (Wokeness) और ‘विभाजनकारी कथनों’ (Divisive Statements) से दूर रखने की। मकसद? एक ऐसा माहौल बनाना जहाँ कोई भी visitor आकर खुद को असहज महसूस न करे। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वाकई संभव है? क्योंकि जब बात politics और social issues की आती है, तो neutral होना थोड़ा… tricky हो जाता है।
2. ‘वोकनेस’ और ‘विभाजनकारी कथन’ क्या हैं? समझिए असली मतलब
देखिए, इस बिल में ‘वोकनेस’ को एक political buzzword की तरह इस्तेमाल किया गया है। मतलब? ऐसी बातें जो किसी खास राजनीतिक या सामाजिक एजेंडे को बढ़ावा देती हों। और ‘विभाजनकारी कथन’? वो जो समाज को race, religion या nationality के नाम पर बाँट दें। पर सच कहूँ तो, यह definitions थोड़ी vague हैं। क्योंकि कई बार सच बोलना भी ‘divisive’ लग सकता है। है न?
3. क्या अब संग्रहालयों में exhibits और programs पर पाबंदी आएगी?
हाँ, यह तो तय है। अब हर exhibit को इस नए बिल के हिसाब से चलना होगा। मतलब, controversial topics पर बात करना मुश्किल हो जाएगा। जैसे अगर कोई exhibit अमेरिका में racism के इतिहास पर बात करेगा, तो क्या उसे ‘divisive’ माना जाएगा? यही तो बड़ा सवाल है। एक तरफ neutrality, दूसरी तरफ historical facts। कठिन स्थिति।
4. इस बिल के फायदे-नुकसान: किसकी जीत, किसकी हार?
जो लोग इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, उनका कहना है कि अब संग्रहालय सभी के लिए ज्यादा inclusive होंगे। लेकिन दूसरी तरफ, historians और educators चिंतित हैं। क्यों? क्योंकि यह academic freedom पर रोक लगाता है। सोचिए, अगर हम uncomfortable truths पर बात नहीं करेंगे, तो सीखेंगे कैसे? यह बिल एक double-edged sword की तरह है। सही भी, गलत भी।
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com