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“क्या ‘पांडेय जी का बेटा’ बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री? दुबे, झा और मिश्रा के बाद अब यह बड़ा सवाल!”

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क्या ‘पांडेय जी का बेटा’ बिहार का अगला सीएम बन पाएगा? सवाल तो यही है!

अभी कल ही एक दोस्त से बात हो रही थी – “यार, बिहार की राजनीति में इन दिनों सिर्फ एक नाम की चर्चा है – PK यानी प्रशांत किशोर पांडेय।” सच कहूं तो मुझे भी लगता है कि ये युवा नेता अचानक इतने चर्चे में क्यों आ गए? देखिए न, जब चिराग पासवान, तेजस्वी यादव जैसे नाम सीएम पद की दौड़ में हैं, तो PK का नाम कहां से आ गया? मजे की बात ये है कि अगर सवर्ण वोटर्स इन्हें पूरा सपोर्ट कर देते हैं, तो फिर… हालात बदल सकते हैं। बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद की परंपरा को आगे बढ़ाने का मौका मिल सकता है। लेकिन सवाल ये है – क्या इतना आसान है?

बिहार की राजनीति: सवर्णों का गेम चेंजर रोल

असल में बात ऐसी है कि बिहार में सवर्ण वोटर्स हमेशा से kingmakers रहे हैं। थोड़ा पीछे चलें तो दुबे जी, आजाद साहब, मिश्रा जी – सबने इसी समीकरण से फायदा उठाया था। अब PK साहब… उनका केस दिलचस्प है। एक तो ब्राह्मण पहचान, ऊपर से युवा इमेज। सच पूछो तो ये कॉम्बिनेशन आजकल चलन में है। पर सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ जाति के बल पर सीएम बना जा सकता है? मेरे ख्याल से नहीं।

PK का सीएम बनने का सपना: कितना रियल?

एक तरफ तो PK के supporters का दावा है कि ये सवर्ण वोटर्स को एकजुट कर सकते हैं। ठीक है, मान लेते हैं। लेकिन दूसरी तरफ सच्चाई ये भी है कि अभी इनका राजनीतिक CV बहुत पतला है। BJP या JDU जैसे बड़े दल के साथ गठबंधन हो तो बात बन सकती है। पर भईया, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान जैसे दिग्गजों के सामने टिक पाएंगे? मुझे तो थोड़ा संदेह है।

राजनीतिक गलियारों की बातें

अब सुनिए मजेदार बात। हर पार्टी का अलग रिएक्शन है। BJP वाले कह रहे हैं – “PK अच्छे हैं, पर experience कम है।” मतलब साफ है न? JDU वालों ने तो बस औपचारिकता निभा दी – “हम सभी युवाओं को सपोर्ट करते हैं।” वहीं RJD वालों ने तो इसे ‘मीडिया का नाटक’ बता दिया। और सवर्ण संगठन? उनका स्टैंड क्लियर है – “हमारे मुद्दे, हमारा सपोर्ट।” सीधी सी बात है न?

आगे का गेम प्लान क्या होगा?

अब देखना ये है कि PK अपनी राजनीतिक चालें कैसे चलते हैं। 2025 के चुनाव तक अभी वक्त है। अगर सवर्ण वोटर्स को consolidate कर लिया, तो game changer हो सकते हैं। पर याद रखिए, बिहार की राजनीति में गठबंधन का गणित बड़ा पेचीदा होता है। BJP/JDU का सपोर्ट मिला तो बात बनेगी, वरना… खैर, अभी तो wait and watch की पॉलिसी ही ठीक लगती है।

आखिर में बस इतना कहूंगा – PK ने बिहार की राजनीति में एक नया twist जरूर डाल दिया है। पर ये twist कितना effective साबित होगा, ये तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो ये कहानी ‘to be continued…’ वाली लगती है। क्या पता, अगले एपिसोड में कुछ और ही plot twist आ जाए!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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