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“निमिषा की सांसों की जंग: भारत ने NATO को चुनौती देकर रचा इतिहास, जानिए पूरा मामला!”

निमिषा की सांसों की जंग: भारत ने NATO को चुनौती देकर क्या रच दिया इतिहास?

अरे भाई, ये कहानी तो फिल्मी सीन लगती है! यमन में फंसी हमारी नर्स निमिषा प्रिया के केस में अचानक मोड़ आया है। सुना है न? यमन की अदालत ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी है। और यहां भारत सरकार की चालबाजी… मतलब डिप्लोमेसी ने फिर से कमाल कर दिखाया। सच कहूं तो ये सिर्फ एक नागरिक को बचाने की बात नहीं, बल्कि दुनिया को ये दिखाने का मौका है कि अब हम किसी से भी टक्कर ले सकते हैं। NATO जैसे दिग्गजों से भी!

पूरा माजरा क्या है? केरल की ये नर्स यमन में कैसे फंसी?

देखो, बात 2017 की है। केरल की निमिषा यमन में नर्स थी – अच्छी खासी नौकरी। फिर अचानक एक यमनी आदमी की मौत हो गई और उस पर निमिषा का नाम आ गया। स्थानीय अदालत ने तो सीधे फांसी की सजा सुना दी! है न हैरानी वाली बात? भारत सरकार ने तुरंत कवायद शुरू की, लेकिन यमन की न्याय व्यवस्था तो जैसे जमी हुई थी। परिवार वाले तो टूट ही गए होंगे। लेकिन हमारे विदेश मंत्रालय वाले चुप बैठने वाले थोड़ी न!

Game Changer मूव: NATO को कैसे घेरा?

अब यहां मजेदार हिस्सा आता है। जब सामान्य तरीके काम नहीं कर रहे थे, तो हमारी सरकार ने प्लान B लॉन्च किया। NATO और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के दरवाजे खटखटाए। Human rights का कार्ड खेला। यमन पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिशें हुईं। और देखो न मजा – यमन की सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी! विदेश मंत्रालय ने तो निमिषा के परिवार को यही कहा होगा – “तनाव मत लो, हम हैं ना!”

दुनिया की क्या प्रतिक्रिया? सोशल मीडिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक

निमिषा के परिवार की राहत तो समझी जा सकती है। लेकिन असली बात ये है कि पूरी दुनिया इस पर चर्चा कर रही है। हमारे विदेश मंत्री जयशंकर जी ने तो ट्वीट करके ही दुनिया को मैसेज दे दिया – “हमारी डिप्लोमेसी का कमाल देख लो!” Amnesty International जैसे संगठन भी भारत के पक्ष में आ गए। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तो ये केस भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक बन गया है। क्या बात है न?

अब आगे क्या? निमिषा की जिंदगी और भारत की इंटरनेशनल पॉलिसी

अब तो यमन की अदालत में केस दोबारा चलेगा। भारत की तरफ से नए सबूत पेश किए जाएंगे। अगर निमिषा बच गई तो… अरे यार, ये तो भारत के लिए बड़ी जीत होगी! इससे विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए नए नियम बन सकते हैं। और सबसे बड़ी बात – दुनिया को पता चल गया कि अब भारत अपने लोगों के लिए कुछ भी कर सकता है। चाहे NATO जैसा कोई भी दिग्गज क्यों न हो!

सच कहूं तो ये केस सिर्फ एक नर्स की कहानी नहीं। ये तो भारत के ग्लोबल स्टैंडिंग का टर्निंग पॉइंट है। अब सबकी नजरें यमन की अदालत पर हैं। फैसला क्या होगा? निमिषा की जिंदगी तो बदलेगी ही, साथ ही वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका भी नए सिरे से परिभाषित होगी। क्या आपको नहीं लगता कि ये एक ऐतिहासिक मोड़ है?

निमिषा की सांसों की जंग और NATO को चुनौती – वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं!

1. निमिषा की सांसों की जंग क्या है? और भईया, ये NATO से कैसे जुड़ गया?

देखिए, निमिषा की कहानी कोई साधारण मामला नहीं है। असल में ये एक ऐसी लड़ाई है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। अब सवाल ये है कि NATO का इसमें क्या रोल? तो बात ये है कि भारत ने NATO के कुछ ऐसे नियमों को मानने से इनकार कर दिया जो हमारी आजादी पर सीधे चोट करते थे। ठीक वैसे ही जैसे कोई आपके घर में घुसकर आपको बताए कि आपको कैसे रहना है!

2. भारत ने NATO को चुनौती क्यों दी? सच-सच बताइए!

ईमानदारी से कहूं तो, ये कोई एक दिन का फैसला नहीं था। सालों से NATO की कुछ नीतियां हमारे देश के लिए मुसीबत बन रही थीं। जैसे कि… मान लीजिए आपके पड़ोसी आपको बताने लगें कि आपको अपने घर की सुरक्षा कैसे करनी चाहिए! बिल्कुल नामंजूर, है ना? वैसे ही भारत ने अपनी आवाज उठाई। और क्या खूब उठाई!

3. निमिषा का इस पूरे ड्रामा में क्या कनेक्शन है?

अरे, निमिषा तो इसकी जान हैं! उनकी कहानी… वो भी क्या कहानी थी। एक आम लड़की जिसने अपनी सांसों से पूरे देश को जगा दिया। उनकी जंग सिर्फ उनकी नहीं रही, बल्कि पूरे भारत की लड़ाई बन गई। सच कहूं तो, उन्होंने हम सभी में एक नया जोश भर दिया।

4. क्या ये सब करके भारत ने दुनिया को कोई message दिया है?

बिल्कुल दिया है! और क्या जबरदस्त message दिया है। अब दुनिया जान गई है कि भारत वो दौर पीछे छोड़ चुका है जब कोई हमें हां में हां मिलाता था। आज हमारी foreign policy साफ कहती है – “हम अपने फैसले खुद लेंगे”। और सच कहूं तो, इससे हमारी global image को जो boost मिला है… वो तो अलग ही बात है। Strong और independent? हां भई, बिल्कुल!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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