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NYC प्राइड परेड में ग्लिटर और खुशियों की बौछार — NYPD के वर्दी प्रतिबंध के खिलाफ विरोध

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NYC प्राइड परेड: जहां ग्लिटर के साथ-साथ आवाज़ें भी चमकीं

अरे भाई, रविवार को मैनहट्टन की सड़कों ने क्या नज़ारा दिखाया! एक तरफ रंग-बिरंगी झांकियाँ, दूसरी तरफ एक ऐसा विरोध जिसने सबका ध्यान खींचा। सच कहूँ तो, ये प्राइड परेड सिर्फ जश्न नहीं था – ये तो एक ज़िंदा सबक था। 10 लाख से ज़्यादा लोग? वाह! पर इस बार का मज़मा कुछ और ही था। NYPD के LGBTQ ऑफिसर्स ने तो जैसे पूरे इवेंट को ही नई दिशा दे दी। वर्दी पहनकर परेड में शामिल होने पर बैन? सच में? ये तो वाकई सोचने वाली बात है।

स्टोनवेल से आज तक: संघर्ष की कहानी

देखो, प्राइड परेड की कहानी 1970 के स्टोनवेल विद्रोह से शुरू होती है – और है ना अजीब बात, आज भी लड़ाई जारी है। 50 साल में LGBTQ समुदाय ने कितना कुछ हासिल किया, लेकिन… हमेशा एक ‘लेकिन’ रहता ही है न? इस बार का मुद्दा तो बड़ा दिलचस्प है। NYPD का नियम है कि वर्दी में कोई राजनीतिक या सामाजिक आयोजन नहीं। पर सवाल ये उठता है – क्या प्राइड सिर्फ एक ‘आयोजन’ है? या फिर ये तो उनकी पहचान का सवाल है? ठीक वैसे ही जैसे हम सब अपने कपड़ों से खुद को एक्सप्रेस करते हैं।

विरोध जो दिल दहला गया

मैं तो कहूँगा सबसे पावरफुल मंज़र वो था जब NYPD के सैकड़ों LGBTQ ऑफिसर्स सड़क किनारे खड़े थे – वर्दी में, पर परेड में नहीं। उनके पोस्टर? “हम गर्वित हैं, हम दृश्यमान हैं”। एक पल के लिए लगा जैसे समय थम सा गया हो। मुख्य परेड में लोग नाच-गा रहे थे, और यहाँ… ये लोग अपने ही डिपार्टमेंट के नियमों से लड़ रहे थे। क्या कॉन्ट्रास्ट था भाई! खुशी और संघर्ष का ऐसा मेल शायद ही कहीं और देखने को मिले।

दोनों पक्ष, एक जटिल समीकरण

अब यहाँ दोनों तरफ के तर्क समझने लायक हैं। एक्टिविस्ट्स का कहना है – “ये पुरानी सोच है!” वहीं NYPD का स्टैंड क्लियर है – “नियम सभी के लिए समान।” पर सच पूछो तो, ये कोई ब्लैक एंड व्हाइट मुद्दा नहीं है। एक युवा प्रतिभागी ने जो कहा, वो मार्के की बात थी – “अब हम सिस्टम के अंदर से बदलाव चाहते हैं।” और सचमुच, ये नई जेनरेशन का अप्रोच है। पहले सड़कों पर लड़ाई होती थी, अब सिस्टम के भीतर से।

आगे का रास्ता: बदलाव की उम्मीद

तो अब क्या? NYPD के LGBTQ ऑफिसर्स ने तो कानूनी कार्रवाई की बात कह दी है। पर अच्छी खबर ये है कि मेयर ऑफिस इस पर फिर से विचार कर रहा है। शायद अगले साल की प्राइड तक नियम बदल जाए। पर सबसे बड़ा सबक ये है कि प्राइड सिर्फ पार्टी नहीं है – ये तो एक लंबी लड़ाई है। हर साल नई चुनौतियाँ, नए सवाल। और यही तो इसकी खूबसूरती है। जैसे हमारी लाइफ में हर दिन नया लेसन आता है, वैसे ही प्राइड भी हर साल समाज को कुछ नया सिखाता है। है ना?

देखो, NYC की ये Pride Parade सिर्फ चमक-धमक और खुशियों का जश्न नहीं थी। असल में तो, ये NYPD के वर्दी प्रतिबंध के खिलाफ आवाज़ उठाने का भी एक बड़ा मौका बन गई। और सच कहूं तो, यही तो Pride का असली मतलब है न? सिर्फ रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर नाचना नहीं, बल्कि बराबरी और इंसाफ की लड़ाई लड़ना।

हालांकि, आगे का रास्ता आसान नहीं होगा – कभी थोड़ा ऊबड़-खाबड़ तो कभी बिल्कुल पथरीला। लेकिन याद रखो, जब एकता और प्यार की ताकत साथ हो, तो कोई भी दीवार ढह सकती है। वैसे भी, इतिहास गवाह है न? #Pride2024 #LoveWins

(थोड़ा सोचते हुए) सच में, ये हैशटैग सिर्फ ट्रेंडिंग टॉपिक नहीं हैं… ये तो एक ज़िंदा आंदोलन हैं।

NYC प्राइड परेड और NYPD वर्दी प्रतिबंध – क्या है पूरा मामला?

NYC प्राइड परेड में क्या हुआ था?

देखिए, NYC की प्राइड परेड तो हर साल रंगीन होती है – ग्लिटर, डांस, खुशियां… मानो पूरा शहर इंद्रधनुष बन जाए। लेकिन इस बार? जश्न के साथ-साथ एक विरोध भी चल रहा था। क्यों? NYPD के वर्दी प्रतिबंध को लेकर। कई लोगों को लगा कि यह कदम LGBTQ+ कम्युनिटी के साथ एक तरह का भेदभाव है। सच कहूं तो, यह स्थिति थोड़ी अजीब थी।

NYPD वर्दी प्रतिबंध क्या है?

तो बात यह थी कि NYPD ने अपने ऑफिसर्स को कह दिया था – “भाई, प्राइड परेड में वर्दी पहनकर मत आना।” है न अजीब? असल में, पिछले कुछ सालों से LGBTQ+ कम्युनिटी और पुलिस के बीच तनाव चल रहा था। शायद NYPD को लगा कि यह बेहतर होगा। लेकिन क्या सच में यह सही फैसला था? यही तो सवाल है।

विरोध करने वालों की मांग क्या थी?

अब सुनिए विरोध करने वालों की बात। उनका कहना था – “अरे भई, वर्दी पर रोक लगाकर आप हमें और अलग कर रहे हैं!” उन्हें लगा कि पुलिस को तो वर्दी में ही आकर दिखाना चाहिए कि वे LGBTQ+ कम्युनिटी के साथ हैं। एक तरह का सपोर्ट, समझिए। मैं समझता हूं दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं। पर सच कहूं? यह मामला उतना सरल नहीं जितना लगता है।

प्राइड परेड में इस साल क्या खास था?

इस बार की प्राइड परेड सिर्फ पार्टी नहीं थी, बल्कि एक मैसेज भी थी। जी हां! कई समूहों ने LGBTQ+ अधिकारों और पुलिस सुधारों को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की। कुछ लोगों के पोस्टर्स देखकर तो लगा जैसे परेड एक तरह का सोशल मूवमेंट बन गया हो। और सच कहूं? यही तो प्राइड परेड का असली मतलब है – जश्न मनाना, लेकिन साथ ही अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना भी।

Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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