ओडिशा: यौन शोषण के खिलाफ न्याय न मिलने से दुखी छात्रा ने कैंपस में खुद को आग लगा ली, आरोपी प्रोफेसर गिरफ्तार

ओडिशा: जब न्याय नहीं मिला, तो एक छात्रा ने खुद को आग लगा ली… प्रोफेसर अब गिरफ्तार

ओडिशा का बालासोर जिला आज एक ऐसी घटना से सन्न है जिसे सुनकर दिल दहल जाता है। फकीर मोहन कॉलेज की एक B.Ed छात्रा ने… क्या कहूँ, जिस तरह से उसने अपनी जान दी, वो सोचकर ही रूह काँप जाती है। असल में बात ये है कि उस पर यौन शोषण हुआ, शिकायत की, लेकिन न्याय नहीं मिला। और अंत में उसने कैंपस में ही खुद को आग लगा ली। सच कहूँ तो, ये सिर्फ एक खबर नहीं, हमारे सिस्टम की पूरी विफलता की कहानी है।

पीछे की कहानी: जब सिस्टम ने धोखा दिया

देखिए, ये कोई एक दिन की बात नहीं। कुछ महीने पहले इस लड़की ने कॉलेज के एक प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन यहाँ तो वही हुआ जो अक्सर होता है – फाइल धूल खाने लगी। हैरानी की बात ये कि आरोपी प्रोफेसर को सस्पेंड तक नहीं किया गया! अब आप ही बताइए, जब सिस्टम ही साथ न दे, तो कोई कितना टूट जाएगा? परिवार वाले बताते हैं कि वो लड़की धीरे-धीरे डिप्रेशन में चली गई थी।

वो भयावह दिन: 20 जून

और फिर आया वो काला दिन। कॉलेज कैंपस में ही उसने खुद को आग लगा ली। अस्पताल ले जाया गया, मगर… बचाया नहीं जा सका। अब जाकर पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार किया है। मगर सवाल ये है कि ये एक्शन पहले क्यों नहीं हुआ? छात्र संगठन सड़कों पर हैं, पूरा इलाका तनाव में है। सरकार ने जांच टीम बना दी है… पर क्या ये काफी है?

लोग क्या कह रहे हैं?

लड़की के परिवार का दर्द शब्दों से बाहर है। उनका एक ही सवाल – “अगर समय पर कार्रवाई होती, तो हमारी बेटी आज ज़िंदा होती।” छात्रों का गुस्सा साफ दिख रहा है, वो कॉलेज प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। महिला आयोग ने भी मामले में दखल दिया है… मगर अब ये सब किस काम का?

अब आगे क्या?

सच पूछो तो, ये सवाल ही गलत है। असली सवाल तो ये है कि ऐसे मामले रोज क्यों हो रहे हैं? हाँ, प्रोफेसर के खिलाफ केस चलेगा, कॉलेज की जाँच होगी… पर क्या इससे कुछ बदलेगा? ICC कमेटियाँ तो हर कॉलेज में हैं, पर काम कितनी करती हैं?

एक बात तो तय है – ये घटना सिर्फ एक खबर नहीं, ये हमारे सामाजिक ताने-बाने पर एक बड़ा सवाल है। क्या हम अपनी बेटियों को सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं? या फिर ऐसी खबरें अब ‘न्यू नॉर्मल’ बन चुकी हैं?

[सच कहूँ तो, ऐसी खबरें लिखते हुए बहुत गुस्सा आता है। कब तक लिखते रहेंगे ये? कब तक पढ़ते रहेंगे?]

यह भी पढ़ें:

ओडिशा कैंपस हादसा: जब न्याय न मिलने से टूट जाती है कोई ज़िंदगी

सच कहूं तो, ये खबर पढ़कर दिल दहल जाता है। एक युवा छात्रा, जिसकी पूरी ज़िंदगी सामने थी, उसे न्याय न मिलने के कारण खुद को आग के हवाले करना पड़ा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? चलिए, बात करते हैं इसके बारे में…

1. ओडिशा के कैंपस में हुआ क्या था?

कहानी दुखद है। ओडिशा के एक कॉलेज में एक प्रोफेसर पर छात्रा के साथ यौन शोषण का आरोप लगा। पर यहाँ से शुरू होता है असली ड्रामा। छात्रा ने बार-बार शिकायत की – कॉलेज प्रशासन से, पुलिस से। लेकिन? कोई एक्शन नहीं। आखिरकार, निराशा में उसने खुदकुशी कर ली। बाद में, सोशल मीडिया के दबाव में पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार किया। लेकिन क्या ये काफी है?

2. “मैंने सब को बताया, फिर भी कुछ नहीं हुआ” – ये क्यों?

असल में देखा जाए तो ये सिस्टम की पूरी फेल्योर है। सोचिए, अगर पहली शिकायत पर ही सही एक्शन लिया जाता, तो शायद आज ये लड़की ज़िंदा होती। लेकिन हमारे यहाँ तो अक्सर ऐसे मामलों में ‘लड़की की इज्ज़त’ के नाम पर चुप्पी साध ली जाती है। ICC कमेटी? वो तो कागज़ों में ही अच्छी लगती है।

3. अब क्या हो रहा है केस में?

देखिए, अब तो केस कोर्ट में है। प्रोफेसर गिरफ्तार हो चुका है। पर सच पूछो तो ये सब मरने के बाद हुआ। क्या हमारा सिस्टम सिर्फ मीडिया प्रेशर पर ही काम करता है? एक बेटी की जान चली गई, उसके बाद?

4. ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?

सुनिए, बात सीधी है:
– FIR में देरी नहीं, तुरंत दर्ज हो
– विक्टिम को सपोर्ट सिस्टम चाहिए, न कि सस्पीशन
– ICC कमेटी को सच में काम करना चाहिए (कागज़ी खानापूर्ति नहीं)
– स्टूडेंट्स को लीगल राइट्स के बारे में पता होना चाहिए

पर सबसे बड़ी बात? हमारी सोच बदलनी होगी। ‘लड़कियों को संभलकर रहना चाहिए’ वाली मानसिकता नहीं, ‘लड़कों को सही व्यवहार सिखाना चाहिए’ वाली सोच चाहिए।

कड़वा सच है, पर सच तो सच ही होता है। क्या आपको नहीं लगता?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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