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“अधिकारी को चपरासी ने पानी में पेशाब मिलाकर पिलाया! अपमानित अधिकारी ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत”

अधिकारी को चपरासी ने पानी में पेशाब मिलाकर पिलाया – सच में ये हो गया?

सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन ये सच है! [स्थान का नाम] के एक सरकारी दफ्तर में ऐसी घटना हुई है जिस पर यकीन करना मुश्किल है। एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनके चपरासी ने उनके पीने के पानी में… हां, पेशाब मिला दिया! और सबसे हैरानी की बात ये कि लैब टेस्ट में भी ये बात साबित हो गई है। पानी के सैंपल में 2.0 PPM अमोनिया मिला – जो इंसानी पेशाब में पाया जाने वाला लेवल है। सोचिए, किसी के साथ ऐसा हो तो कैसा लगेगा?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, अधिकारी और ये चपरासी सालों से साथ काम कर रहे थे। लोग कहते हैं कि दोनों के बीच तनाव चल रहा था, लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ये हद पार कर जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि जैसे ही उन्होंने पानी पिया, उन्हें लगा कि स्वाद कुछ अजीब है। भला आदमी है न, शक हुआ तो सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिया। और फिर… वाहियात नतीजा सामने आया!

अब तक की अपडेट्स क्या कहते हैं? पुलिस ने चपरासी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। अधिकारी जी ने तो सीधे टॉप लेवल पर एक्शन की मांग कर डाली है। और सच कहूं तो ये लैब रिपोर्ट तो गेम-चेंजर साबित हो रही है – पानी में अमोनिया मिलना कोई छोटी बात तो है नहीं।

अब देखिए लोग क्या कह रहे हैं। पीड़ित अधिकारी का कहना है – “ये सिर्फ मेरा अपमान नहीं, पूरे सिस्टम पर सवाल है। मुझे इंसाफ चाहिए।” वहीं चपरासी की तरफ से अभी तक कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं आया है, लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि वो आरोपों से इनकार कर रहा है। दफ्तर के दूसरे कर्मचारी भी हैरान हैं – कोई कह रहा है “ये तो हद हो गई”, तो कोई कह रहा है “अब तुरंत एक्शन लेना चाहिए”।

अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि आगे क्या होगा? पुलिस जांच के आधार पर चार्जशीट तैयार होगी। अधिकारी ने तो मानहानि और शारीरिक नुकसान के केस की बात कही है। इस पूरे मामले के बाद प्रशासन शायद नए guidelines लेकर आए – कर्मचारियों के बीच तनाव कम करने के लिए। एक्सपर्ट्स की राय है कि सरकारी दफ्तरों में monitoring system और बेहतर होनी चाहिए। सच कहूं तो ये सिर्फ एक घटना नहीं, पूरे सिस्टम पर सवाल है।

ये केस सिर्फ एक व्यक्ति की बात नहीं, बल्कि सरकारी दफ्तरों की पूरी कार्य संस्कृति पर सवाल खड़ा कर देता है। आने वाले दिनों में इस पर जो फैसला होगा, वो शायद एक मिसाल बन जाए। क्या पता, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का रास्ता निकले। लेकिन फिलहाल तो… हैरानी और गुस्सा दोनों हो रहा है न?

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Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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