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“पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर महाराजा अग्रसेन होगा? BJP MP ने रेल मंत्री को लिखा पत्र”

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर महाराजा अग्रसेन होगा? BJP MP ने रेल मंत्री को लिखा पत्र

अरे भाई, दिल्ली का यह ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन फिर चर्चा में है! BJP सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने रेल मंत्री को एक पत्र लिखकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की सिफारिश की है। और नया नाम क्या सुझाया है? “महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन”। साथ ही, नई दिल्ली स्टेशन को अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की बात कही है। अब देखते हैं यह चलता है या नहीं!

यह कोई नई बात तो नहीं। पिछले कुछ सालों में तो हमने कितने ही नाम बदलते देखे हैं न? लेकिन यह स्टेशन खास है – ब्रिटिश काल का बना हुआ, दिल्ली का सबसे पुराना और सबसे व्यस्त स्टेशन। और महाराजा अग्रसेन? उनके बारे में सुना है आपने? प्राचीन भारत के राजा थे, जिन्हें अग्रवाल समुदाय का संस्थापक माना जाता है। देश भर में उनके नाम पर कॉलेज, अस्पताल वगैरह तो पहले से ही हैं।

सांसद साहब का कहना है कि ऐतिहासिक शख्सियतों को याद रखना हमारी संस्कृति को बचाने जैसा है। सही भी तो है… लेकिन अभी तक रेल मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। इंतज़ार कीजिए!

अब जैसा कि होता आया है, इस पर भी अलग-अलग राय आ रही हैं। BJP वाले तो खुश हैं – “ऐतिहासिक न्याय” बता रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि भई, पहले स्टेशनों की हालत सुधारो, नाम बाद में बदलना। और आम लोग? कुछ कह रहे हैं “अच्छी बात है”, तो कुछ का मानना है कि “यह सब राजनीति है”। सच क्या है? समय बताएगा।

अब बात आगे क्या होगी? रेल मंत्रालय विचार करेगा। अगर हाँ हुआ तो केंद्र और दिल्ली सरकार में बातचीत होगी। फिर नोटिफिकेशन आदि का सिलसिला शुरू होगा। पर याद है न आपको? इलाहाबाद से प्रयागराज और मुगलसराय से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन बनने के वक्त कैसा हंगामा हुआ था? शायद यहाँ भी वैसा ही कुछ हो।

फिलहाल तो यह सिर्फ एक प्रस्ताव है। लेकिन अगर मंज़ूर हो गया, तो दिल्ली के दो बड़े स्टेशनों के नए नाम इतिहास में दर्ज हो जाएँगे। और हाँ, राजनीति को नया मुद्दा भी मिल जाएगा। क्या पता, अगले कुछ दिनों में यह बहस और गरमा जाए!

दिल्ली का पुराना रेलवे स्टेशन और इसका नाम बदलने का मामला… सच कहूं तो यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि इतिहास और राजनीति का ऐसा मिलन-बिंदु बन गया है जिस पर हर कोई बहस कर रहा है। आपने देखा होगा कि दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता और BJP MP ने महाराजा अग्रसेन के नाम पर स्टेशन रखने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह इतना आसान होगा?

हाल ही में मैंने किसी को कहते सुना – “अरे भाई, ये तो वही बात हुई कि किसी का नाम बदल दो और इतिहास बदल जाएगा!” सच में, मामला इतना सीधा नहीं है। एक तरफ तो ऐतिहासिक महत्व का सवाल है, दूसरी तरफ राजनीतिक दांव-पेंच। और अब सबकी नज़रें रेल मंत्री पर टिकी हैं – क्या वे इस ऐतिहासिक स्टेशन का नाम बदलेंगे या फिर status quo बनाए रखेंगे?

मजे की बात यह है कि इस पूरे विवाद में आम दिल्लीवालों की राय किसी ने नहीं पूछी। वैसे भी, दिल्ली के इस iconic स्टेशन से जुड़ी यादें तो हर किसी के दिल में बसी हैं। चाहे वो college के दिनों की late night trains हों या फिर पहली बार दिल्ली आने का अनुभव।

अब देखना यह है कि यह मामला किस दिशा में जाता है। मेरी निजी राय? नाम बदलने से ज़्यादा ज़रूरी है कि स्टेशन की सुविधाएं सुधारी जाएं। लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा…

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलने पर चर्चा: जानिए पूरा मामला

1. आखिर क्यों बदला जा रहा है पुरानी दिल्ली स्टेशन का नाम?

देखिए, मामला कुछ यूं है – एक BJP MP ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि स्टेशन का नाम “महाराजा अग्रसेन” रखा जाए। असल में, यह प्रस्ताव उनके ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने के लिए है। पर सवाल यह है कि क्या सिर्फ नाम बदलने से इतिहास को सही मायने में सम्मान मिल पाएगा? खैर, यह तो आगे की बात है।

2. क्या यह प्रस्ताव फाइनल हो चुका है?

अरे नहीं भई! अभी तो बस शुरुआत हुई है। रेल मंत्रालय को इस पर विचार करना है। ऑफिशियल तौर पर अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है। हमारे यहां तो प्रस्ताव आते रहते हैं, पर फाइनल डिसीजन लेने में वक्त लगता है। आप समझ गए न?

3. महाराजा अग्रसेन कौन थे? जानिए उनकी कहानी

वाह! यह तो दिलचस्प सवाल है। महाराजा अग्रसेन सिर्फ एक राजा नहीं, बल्कि समाज को नई दिशा देने वाले विचारक थे। उन्होंने न सिर्फ अग्रवाल समुदाय की नींव रखी, बल्कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी। एक तरफ तो वे शासक थे, दूसरी तरफ समाज सुधारक। सच कहूं तो आज के नेताओं को उनसे सीख लेनी चाहिए!

4. क्या नाम बदलने से ट्रेनों पर पड़ेगा असर?

हाहा! यह सवाल तो हर किसी के मन में आता है। पर घबराइए मत – ट्रेनें तो वैसी ही चलेंगी जैसी चल रही हैं। नाम बदलने का मतलब सिर्फ साइनबोर्ड बदलना है, पूरा स्टेशन नहीं! हालांकि, एक बात जरूर है – नए नाम को याद करने में पुराने यात्रियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है। पर यार, हम तो अभी तक VT स्टेशन को CST कहने में उलझते हैं न? तो यह कोई नई बात नहीं!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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