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“बस एक फोन कॉल की देरी ने बदल दिया पाकिस्तान का नक्शा! जानें क्या होता अगर…”

बस एक फोन कॉल ने पाकिस्तान का नक्शा बदलने से रोक दिया! सोचिए अगर…

कारगिल की वो लड़ाई सिर्फ एक युद्ध नहीं थी, बल्कि एक सबक थी – कि कभी-कभी इतिहास की धारा बदलने के लिए बस एक पल काफी होता है। 1999 की गर्मियों में जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने LOC पार की, तो हमारे जवानों के हाथ बंधे हुए थे। पर क्या आप जानते हैं? अगर उस दिन बिल क्लिंटन का फोन थोड़ी देर से आता, तो शायद आज पाकिस्तान का नक्शा ही कुछ और होता! है न दिलचस्प बात?

वो अनसुना किस्सा: जब कारगिल में लिखी जा रही थी नई इतिहास की इबारत

असल में पाकिस्तान ने सोचा था कि हम सर्दियों में खाली की गई चौकियों पर ध्यान नहीं देंगे। मजाक़ उड़ाया था हमारी सतर्कता का। लेकिन उन्हें क्या पता था कि भारतीय सेना ने सिर्फ घुसपैठियों को मार भगाने की ही नहीं, बल्कि पूरी जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रखी थी! हालांकि तब के नियम कुछ और ही कहते थे – LOC पार नहीं करना। पर सेना के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। एक तरफ तो अंतरराष्ट्रीय दबाव, दूसरी तरफ दुश्मन की चाल… ऐसे में फैसला लेना आसान नहीं था।

वह क्षण जब टल गया बड़ा फैसला

पिछले दिनों एक वरिष्ठ रिटायर्ड ऑफिसर ने बताया कि हमारी सेना तो पूरी तरह तैयार थी पाकिस्तानी इलाकों में घुसकर सीधा वार करने के लिए। Special Forces भी तैनात थे। पर तभी… वो फोन आ गया! अटल जी को बिल क्लिंटन का कॉल। और बस, सब कुछ बदल गया। सच कहूं तो, ये वो पल था जब शायद पाकिस्तान को बचा लिया गया। नहीं तो हमारे जवानों ने जो प्लान बनाया था, उसके बाद शायद LOC का मतलब ही बदल जाता!

क्या कह रहे हैं जानकार?

एक पूर्व कमांडर ने तो यहां तक कहा – “हम सिर्फ पीछा करने वाले नहीं थे, हमें तो उनकी हड्डी तक हिला देने का मन था!” रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर उस दिन हमने पार किया होता LOC, तो आज का सीन कुछ और होता। वहीं राजनेताओं का कहना है कि अटल जी ने बड़ी समझदारी दिखाई। पर एक बात तो तय है – उस वक्त सेना की तैयारी ने पाकिस्तान को ये तो समझा ही दिया था कि भारत सिर्फ मुंह ताकने वाला नहीं है।

आगे का सबक: क्या बदल गया?

देखा जाए तो कारगिल ने हमें एक बड़ा सबक दिया। आज हमारी सेना पहले से कहीं ज्यादा तैयार है। और पाकिस्तान? उसे अब पता चल गया है कि हम सिर्फ बचाव ही नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर खुद हमला करने की ताकत भी रखते हैं। ये सच्चाई आने वाले सालों में हमारी सुरक्षा नीतियों की रीढ़ बनेगी। सोचिए, कभी-कभी न लिया गया फैसला भी इतिहास बना देता है!

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सच कहूं तो इतिहास में कभी-कभी छोटी सी चूक बड़े भूचाल ला देती है। और ये किस्सा तो एकदम फिल्मी लगता है, लेकिन है सौ प्रतिशत असली!

1. आखिर वो फोन कॉल थी किसकी और क्यों?

देखिए, बात 1971 की है। हमारी तत्कालीन Prime Minister Indira Gandhi ने Pakistan के President Yahya Khan से बात करनी चाही। पर है ना किस्मत का खेल? कॉल कनेक्ट ही नहीं हुई! अब सोचिए, अगर उस वक्त टेलीफोन ऑपरेटर ने थोड़ी जल्दी की होती तो शायद आज का इतिहास कुछ और होता।

2. क्या होता अगर वो कॉल पकड़ में आ जाती?

असल में बात ये है कि experts की मानें तो ये कॉल अगर सफल हो जाती, तो शायद पूरा परिदृश्य ही बदल जाता। 1971 का युद्ध टल सकता था, और Bangladesh? वो तो बनता ही नहीं! Pakistan का नक्शा आज जैसा दिखता है, वैसा होता ही नहीं। है ना दिलचस्प बात?

3. फिर हुआ क्या उस फेल्ड कॉल के बाद?

तो जनाब, इसी छोटी सी देरी ने बड़ा तूफान खड़ा कर दिया। कॉल ना लगने के बाद भारत ने military action लिया, और उसका नतीजा? एक नया मुल्क – Bangladesh! Pakistan का एक बड़ा टुकड़ा अलग हो गया। कभी सोचा था कि एक मिस्ड कॉल इतना बड़ा बदलाव ला सकती है?

4. ये सच्ची घटना है या सिर्फ कहानी?

अरे नहीं भाई, ये कोई किस्सा-कहानी नहीं! ये तो पक्का इतिहास है, जिस पर किताबें लिखी जा चुकी हैं। अगर आपको यकीन ना हो तो किसी भी authentic history book को पलटकर देख लीजिए। सच तो ये है कि इतिहास कभी-कभी बड़े अजीब मोड़ लेता है। और ये किस्सा तो उनमें से एक है – एकदम ज़बरदस्त!

क्या आपको पता था कि एक फोन कॉल इतना कुछ बदल सकती है? मुझे तो सुनकर हैरानी हुई थी!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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