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“ऑपरेशन सिंदूर: आर्मी चीफ का पाकिस्तान को सख्त चेतावनी – ‘आतंकवाद को सहारा देने वाले अब नहीं बचेंगे!'”

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Operation Sindoor: Army Chief का पाकिस्तान को ऐसा झटका कि अब तक कंपकंपी हो रही होगी!

क्या आपको याद है 1999 का वो मंजर जब पाकिस्तान ने कारगिल में चुपके से घुसपैठ की थी? आज उसी कारगिल विजय दिवस पर जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जो बयान दिया, वो सुनकर लगता है मानो सेना ने सीधे दुश्मन के दिल में डर बैठा दिया हो। “अब कोई माफी नहीं, कोई रियायत नहीं” – ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक साफ चेतावनी है। और सच कहूं तो, ये वक्त का तकाजा भी है।

वो युद्ध जिसने सिखा दिया ‘जब तक जीना तब तक सीखना’

1999 की गलती भारत ने दोहराई नहीं। उस युद्ध के बाद सेना ने जो सबक सीखा, वो आज Operation Sindoor के रूप में सामने आया है। सोचिए, पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ना एक बात है, लेकिन उनके ठिकानों तक पहुंचकर सटीक वार करना… ये तो गेम चेंजर है न? हालांकि, यहां सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ सैन्य कार्रवाई काफी है? शायद नहीं। इसीलिए तो अब नई रणनीति में border tourism और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट भी शामिल है।

‘रुद्र’ और ‘भैरव’ – नाम ही काफी हैं डराने के लिए!

जनरल द्विवेदी की बातें सुनकर तो लगता है जैसे भारत ने अपनी मुट्ठी पूरी तरह बंद कर ली है। नई स्पेशल यूनिट्स, लद्दाख में तैनाती, इंफ्रास्ट्रक्चर बूस्ट… ये सब proxy war का जवाब है। पर असल मजा तो तब आएगा जब पाकिस्तान समझेगा कि अब उसकी ‘छुप-छुपकर वार’ की नीति काम नहीं आएगी। एकदम सटीक। बिल्कुल साफ।

अंतरराष्ट्रीय रिएक्शन: चुप्पी या चिंता?

दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान अभी तक मुंह नहीं खोल पाया। शायद उन्हें समझ आ गया हो कि अब भारत की tolerance level शून्य पर पहुंच चुकी है। विपक्ष ने भी इस बार सेना के साथ खड़ा दिखा – जो कि अच्छी बात है। पर सच पूछो तो, अब देखना ये है कि UN और अन्य देश किस तरफ झुकते हैं।

आगे का रास्ता: लोहे से लोहा लेना

अब भारत की नीति crystal clear है – एक हाथ में तलवार, दूसरे में विकास। सीमा पर tourism बढ़ेगा तो economy को फायदा, और सुरक्षा को मजबूती। सेना प्रमुख का ये बयान कोई रूटीन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि एक घोषणापत्र है। और हां, इस बार भारत कोई compromise नहीं करेगा। Period.

ऑपरेशन सिंदूर और आर्मी चीफ की चेतावनी – आपके सारे सवालों के जवाब

ऑपरेशन सिंदूर क्या है? और भई, इतना हंगामा क्यों?

देखिए, ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना का वो जवाबी एक्शन है जिसमें पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया गया – “अब बस हो गया!” असल में, ये उतना ही ज़रूरी है जितना कि आपके घर में चोर घुसने पर ताला बदलना। सेना ने ये operation करके दिखा दिया कि अब आतंकवाद के नाम पर कोई मज़ाक नहीं चलेगा। सीधी बात – zero tolerance policy।

आर्मी चीफ ने पाकिस्तान को क्या डांटा?

अरे भई, बिल्कुल वैसे ही जैसे आप किसी शरारती बच्चे को डांटते हैं! चीफ ने साफ शब्दों में कहा – “जो लोग आतंकवादियों को पाल रहे हैं, उनका अब कोई सुराग नहीं मिलेगा।” मतलब साफ है न? अब भारत सीमा पार से होने वाली गंदी हरकतों को मूकदर्शक बनकर नहीं देखेगा। एक्शन लेगा। पूरा एक्शन।

क्या ये पुलवामा हमले का असर है? सच-सच बताइए!

ईमानदारी से कहूं तो… हां, बिल्कुल! पुलवामा में हुए उस दर्दनाक हमले के बाद सेना का ये तेवर देखकर लगता है कि अब रणनीति बदल गई है। पहले जहां reaction देने में वक्त लगता था, अब proactive approach है। जैसे मच्छर भगाने के लिए कॉइल जलाने के बजाय, उनके अड्डे पर ही छापा मार दिया जाए!

अब आगे क्या होगा? थोड़ा तो डर लगता है…

सुनिए, experts कह रहे हैं कि तनाव बढ़ सकता है। पर सच तो ये है कि भारत अब वो नहीं जो 10 साल पहले था। हमारी foreign policy अब बिल्कुल क्लियर है – security और sovereignty पर कोई समझौता नहीं। अंतरराष्ट्रीय community भी ये समझ रही है। थोड़ा तूफ़ान आएगा, पर हमारी नैया पार लगेगी। यकीन मानिए!

वैसे… आपको क्या लगता है? क्या ये सही कदम है? कमेंट में बताइएगा ज़रूर!

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

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