संसद सत्र में PM मोदी की मौजूदगी को लेकर इतना हंगामा क्यों? जानिए पूरा माजरा
संसद का ये सत्र तो जैसे विवादों का पक्का किरायेदार बन चुका है! इस बार विपक्ष ने PM मोदी के संसद आने-न-आने को लेकर ऐसा शोर मचाया कि सुनने वाले के कान पक जाएं। सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा तो मंजूर कर ली, लेकिन विपक्ष का पॉइंट क्या है? वो चाहते हैं कि मोदी खुद सदन में आकर जवाब दें। और सच कहूं तो, उनकी बात में दम भी है – जब बात पहलगाम हमले और Donald Trump के उस बयान जैसे नाजुक मुद्दों की हो, तो क्या सिर्फ मंत्रियों के बयान से काम चल जाएगा?
पूरा मामला समझिए: आखिर झगड़ा किस बात का है?
इस पूरे घमासान के पीछे तीन बड़े मुद्दे हैं जिन्हें समझना जरूरी है। पहला तो है ऑपरेशन सिंदूर – जिसके बारे में विपक्ष डिटेल्स चाहता है। दूसरा है पहलगाम का वो खौफनाक हमला जिसमें हमारे जवान शहीद हुए। और तीसरा? वो तो Trump साहब ने खुद ही पैदा कर दिया है अपने उन बयानों से जो भारत-पाक रिश्तों पर सवाल खड़े करते हैं। विपक्ष का कहना साफ है – इन मुद्दों पर PM को खुद सफाई देनी चाहिए।
अब तक क्या हुआ? लेटेस्ट अपडेट यहां
सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए नोटिस जारी कर दिया है। लेकिन विपक्ष को ये कहां मंजूर? उनका तो एक ही राग है – “मोदी जी आइए, स्पष्ट कीजिए!” सरकार वालों का कहना है कि “हर सवाल का जवाब दिया जाएगा, लेकिन PM को जबरन बुलाना संसदीय नियमों के खिलाफ है।” बीच में तो ऐसा लगा जैसे संसद नहीं, कोई पब्लिक मीटिंग चल रही हो – नारेबाजी, हंगामा, सत्र स्थगन… पूरा ड्रामा!
कौन क्या कह रहा? दोनों पक्षों के तर्क
विपक्ष इस मामले पर एकजुट नजर आ रहा है। राहुल गांधी का कहना है, “PM को खुद आकर देश को सुरक्षा स्थिति समझानी चाहिए।” वहीं ममता दीदी ने तो सीधे सरकार पर निशाना साधा – “आतंकियों को पकड़ना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि बहाने बनाना।”
सरकार की तरफ से अमित शाह जी ने विपक्ष को ही घेर लिया – “ये लोग जानबूझकर संसद का काम रोक रहे हैं।” राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया कि ऑपरेशन सिंदूर की पूरी जानकारी दी जाएगी। पर सवाल ये है कि क्या ये आश्वासन विपक्ष को संतुष्ट कर पाएगा?
आगे क्या? अंदाजा लगाइए!
अगर दोनों पक्षों में जल्द सहमति नहीं बनी तो? फिर तो ये सत्र और भी उधम मचा सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर डिटेल्ड प्रेजेंटेशन देकर विपक्ष का मुंह बंद करने की कोशिश कर सकती है। लेकिन विपक्ष? वो तो PM को सीधे घेरने के लिए और भी आक्रामक हो सकता है। कुछ दलों ने तो संसद के बाहर धरना देने की भी बात की है।
देखा जाए तो ये विवाद सिर्फ PM की उपस्थिति से बड़ा मसला है। यहां सवाल है जवाबदेही का, पारदर्शिता का। विपक्ष कहता है – “गंभीर मुद्दों पर PM को खुद आना चाहिए।” सरकार का जवाब – “कलेक्टिव रेस्पॉन्सिबिलिटी के तहत कोई भी मंत्री जवाब दे सकता है।” अब देखना ये है कि ये तनातनी कब तक चलेगी… और किसकी चलेगी!
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1. भईया, विपक्ष को PM मोदी की संसद में कम बोलने से इतना दिक्कत क्यों है?
सच कहूं तो ये मामला बस इतना सा है – विपक्ष का मानना है कि PM साहब संसद में कम बोलते हैं। और सीधे सवालों से बचते हैं। अब आप ही बताइए, क्या ये सच है? हालांकि, opposition की मांग साफ है – वे चाहते हैं PM ज्यादा बार आएं, debate में शामिल हों और उनके सवालों का जवाब दें। पर सवाल ये है कि क्या सचमुच ऐसा होना चाहिए?
2. ये झगड़ा तो नया नहीं लगता… कब से चल रहा है?
अरे भाई, ये तो पिछले कई सत्रों से चल रहा है! विपक्ष लगातार एक ही राग अलाप रहा है – “PM साहब, जरा संसद में दिखाई भी दीजिए!” खासकर जब कोई बड़ा मुद्दा हो तो। पर क्या ये सिर्फ राजनीति है या सचमुच की चिंता? समझना मुश्किल है ना?
3. सरकार ने इस पर क्या रिएक्ट किया है?
देखिए, सरकार की तरफ से जवाब आया है – और वो भी बड़ा सीधा सा। उनका कहना है कि PM सभी नियमों का पालन करते हैं और जरूरी मौकों पर बोलते ही हैं। बाकी? बाकी तो opposition वालों का राजनीतिक खेल है। पर सच्चाई क्या है? ये तो संसद की कार्यवाही ही बताएगी।
4. असल सवाल तो ये है – क्या इससे संसद का काम चौपट हो रहा है?
अफसोस की बात ये है कि हां, हो रहा है। कई बार तो स्थिति ऐसी बन जाती है कि पूरा दिन सिर्फ हंगामे में निकल जाता है। Important bills पर बहस तक नहीं हो पाती। और सबसे बुरी बात? जनता का नुकसान। पर क्या इसका कोई हल है? शायद दोनों पक्षों को थोड़ा ढील देनी होगी।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com