पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा कैसे मारा गया? ऑपरेशन महादेव और चीनी सैटेलाइट फोन का रोचक खुलासा

पहलगाम हमले का दिमाग हाशिम मूसा – ऑपरेशन महादेव में खत्म, लेकिन क्या यही अंत है?

तो खबर ये है कि श्रीनगर में हमारे सुरक्षा बलों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा, जिसे ढूंढ़ने में महीनों लग गए, आखिरकार ऑपरेशन महादेव में ढेर हो गया। असल में बात ये हुई कि खुफिया एजेंसियों ने एक चीनी सैटेलाइट फोन के सिग्नल को पकड़ लिया – और यहीं से गेम बदल गया। मूसा के दो साथी भी साथ में ही ढेर हो गए। जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ ये बड़ी जीत तो है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आखिरी जीत होगी?

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। हाशिम मूसा, लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा नाम, जिस पर पहलगाम में हुए उस खौफनाक हमले का आरोप था जहां बेकसूर लोग मारे गए थे। पिछले कितने ही महीनों से ये आदमी सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंक रहा था – आज यहां, कल वहां। लेकिन इस बार एक छोटी सी गलती ने पूरा पासा पलट दिया। वो चीनी सैटेलाइट फोन… जिसकी वजह से उसका पता चल गया। कहते हैं न, शैतान भी छोटी-छोटी गलतियों में ही फंसता है।

ऑपरेशन महादेव की बात करें तो… सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने श्रीनगर के एक इलाके में इन्हें घेर लिया। कई घंटों की गोलीबारी। आखिर में तीनों का सफाया। और हैरानी की बात ये कि उनके पास से AK-47s, ग्रेनेड्स जैसे खतरनाक हथियार मिले। साफ है, ये लोग किसी बड़ी वारदात की तैयारी में थे। बस समय रहते पकड़ में आ गए।

दिल्ली में रक्षा मंत्रालय इसे बड़ी जीत बता रहा है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने भी सुरक्षाबलों की तारीफ की है। लेकिन स्थानीय लोगों की चिंता भी समझ आती है – कहीं इससे हिंसा और न बढ़ जाए? ये डर बिल्कुल वाजिब है।

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? हाशिम मूसा का खात्मा लश्कर-ए-तैयबा के लिए बड़ा झटका तो है, मगर क्या ये संगठन खत्म हो जाएगा? शायद नहीं। सुरक्षा एजेंसियां अब चीनी सैटेलाइट फोन्स जैसी चीजों पर और नजर रखेंगी। राजनीतिक तौर पर देखें तो केंद्र सरकार के लिए ये आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीतियों को मजबूत करने का मौका है। पर सच तो ये है कि ये लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। हाशिम मूसा का अंत एक मोड़ जरूर है, मगर मंजिल अभी दूर है।

एक बात और – क्या आपने गौर किया कि कैसे एक छोटे से सैटेलाइट फोन ने पूरा गेम बदल दिया? टेक्नोलॉजी की इस जंग में कभी-कभी छोटी-छोटी चीजें ही बड़ा फर्क ला देती हैं। सोचने वाली बात है।

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हाशिम मूसा कौन था? और उसे मारा कैसे गया?

देखिए, हाशिम मूसा कोई छोटा-मोटा आतंकवादी नहीं था। ये वही शख्स था जिसने पहलगाम में वो खूनी हमला रचा था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर उसे पकड़ा कैसे गया? असल में, भारतीय फोर्सेज ने ऑपरेशन महादेव चलाया – और यह कोई साधारण एनकाउंटर नहीं था। टेक्नोलॉजी, इंटेलिजेंस और स्थानीय जानकारियों का ऐसा कॉम्बिनेशन कि हाशिम के लिए भागने का कोई रास्ता ही नहीं बचा। एक तरह से कहें तो यह मॉडर्न वॉरफेयर का एक बेहतरीन उदाहरण था।

ऑपरेशन महादेव: क्या था पूरा प्लान?

अब यहां दिलचस्प बात यह है कि यह ऑपरेशन हाशिम को ‘पकड़ने’ के बजाय ‘न्यूट्रलाइज’ करने के लिए डिजाइन किया गया था। और हां, इसमें ड्रोन्स से लेकर सैटेलाइट टेक्नोलॉजी तक सब कुछ इस्तेमाल हुआ। पर सबसे ज़्यादा काम क्या आया? लोकल इंटेलिजेंस। क्योंकि आखिरकार, टेक्नोलॉजी तभी काम करती है जब उसे सही इंसानी दिमाग से डायरेक्ट किया जाए। है ना?

चीनी सैटेलाइट फोन: सिक्योरिटी का भ्रम?

यहां आपको एक आयरनी समझनी चाहिए। हाशिम मूसा जिस चीनी सैटेलाइट फोन को ‘सुरक्षित’ समझकर इस्तेमाल कर रहा था, वही उसकी गिरफ्तारी का कारण बना! हमारी एजेंसियों ने इसी फोन के सिग्नल्स को ट्रैक किया। सोचिए ना, आतंकवादी टेक्नोलॉजी पर इतना भरोसा करते हैं, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित होती है।

क्या हाशिम की मौत से आतंकवाद को झटका लगा?

सच कहूं तो, यह सिर्फ एक आतंकवादी की मौत नहीं थी। हाशिम एक पूरा नेटवर्क चलाता था – फंडिंग, रिक्रूटमेंट, प्लानिंग, सब कुछ। और अब? कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में कमी आई है। लेकिन यहां एक सवाल उठता है: क्या यह स्थायी समाधान है? शायद नहीं। पर फिलहाल, यह सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी जीत तो है ही। और हमें छोटी-छोटी जीत का जश्न मनाना भी तो आना चाहिए!

क्या आपको लगता है ऐसे ऑपरेशन्स आतंकवाद पर लंबे समय तक असर डाल पाएंगे? कमेंट में बताइए…

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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