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पहलगाम हमले के पीछे कौन है TRF? अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को घोषित किया आतंकी संगठन

पहलगाम हमले और TRF का सच: अमेरिका ने क्यों पकड़ी इस ‘मुखौटा संगठन’ की पोल?

अरे भई, अमेरिका ने आखिरकार वही किया जिसकी भारत को दशकों से उम्मीद थी! अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बड़ा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पाकिस्तान के पालतू आतंकी संगठन LeT के ‘The Resistance Front (TRF)’ नामक मुखौटे को उतार फेंका है। अब सवाल यह है कि यह फैसला अचानक क्यों? दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस भीषण हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था – जहां 26 बेगुनाह लोगों की जान चली गई। और अब अमेरिका ने TRF को अपनी ‘Foreign Terrorist Organization’ लिस्ट में डालकर साफ कर दिया है कि अब इसके सदस्यों को कहीं भी घूमने-फिरने में मुश्किल होगी।

TRF: कश्मीर का ‘लोकल बच्चा’ या पाकिस्तान का हथियार?

देखिए, ये TRF वाला ड्रामा 2020 से चल रहा है। जब LeT को लगा कि उसका नाम बहुत बदनाम हो चुका है, तो उन्होंने ये नया मुखौटा ईजाद किया। सच तो यह है कि ये खुद को ‘स्थानीय विद्रोही’ बताते हैं, लेकिन इनके फंडिंग और ट्रेनिंग के सोर्स पाकिस्तान में ही हैं। है न मजेदार बात? अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मानें तो TRF का असली मकसद दो चीजें हैं: कश्मीर में हिंसा की आग को हवा देना, और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करना। सीधे शब्दों में कहें तो – पुरानी शराब नई बोतल में!

पहलगाम हमला: जब आतंकियों ने मासूमों को निशाना बनाया

9 जून की वो काली सुबह… पहलगाम की वो यात्री बस जिसमें सफर कर रहे लोगों को क्या पता था कि उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा? TRF के आतंकियों ने जिस बेरहमी से गोलियां बरसाईं, उसकी तस्वीरें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 26 लोग… जिनमें बच्चे भी थे, औरतें भी। 2023 का ये सबसे खूनी हमला था जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। भारत सरकार ने तुरंत इसकी निंदा की, लेकिन सवाल यह था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कब तक इन आतंकी संगठनों के मुखौटों को पहचानेगा?

अमेरिका का फैसला: सिर्फ पहलगाम नहीं, पूरी पोल खुल गई!

अब अमेरिका ने जो कदम उठाया है, वो सिर्फ पहलगाम हमले की वजह से नहीं है। असल में TRF की पूरी गतिविधियों पर नजर थी। FTO लिस्ट में डालने का मतलब? अब TRF के सदस्यों के बैंक अकाउंट फ्रीज हो जाएंगे, यात्रा पर पाबंदी लगेगी। और सबसे बड़ी बात – अमेरिका ने साफ कह दिया कि TRF और LeT एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। और हां, पाकिस्तान को भी अब सफाई देनी होगी कि ये आतंकी उसकी धरती पर कैसे पल रहे हैं?

दुनिया की प्रतिक्रिया: किसने क्या कहा?

भारत ने तो इस फैसले का जमकर स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने इसे ‘आतंकवाद के खिलाफ बड़ी जीत’ बताया। वहीं अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने सीधे पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि “ये संगठन पूरे क्षेत्र में अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं।”

और पाकिस्तान? वो तो अपने पुराने रटे-रटाए राग पर वापस आ गया – “ये भारत का प्रोपेगैंडा है!” सच तो यह है कि पाकिस्तान का यह बयान उसके डबल गेम से ज्यादा कुछ नहीं है। एक तरफ तो वो आतंकवाद से लड़ने का दावा करता है, दूसरी तरफ इन्हीं आतंकियों को ‘आजादी के सिपाही’ बताता है। क्या आपको नहीं लगता कि यह दोगलापन अब बहुत पुराना हो चुका है?

आगे क्या? TRF पर प्रतिबंधों का असर

अब सवाल यह है कि अमेरिका के इस कदम से क्या बदलेगा? देखिए, TRF की जो अंतरराष्ट्रीय फंडिंग चेन है, वो तो टूटेगी ही। लेकिन असली मामला पाकिस्तान पर दबाव बनाने का है। क्या पाकिस्तान अब इन आतंकी गुटों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगा? या फिर वो नया मुखौटा तैयार कर लेगा?

एक बात तो तय है – भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग और मजबूत होगा। और यह फैसला पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है कि आतंकवाद किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की दुश्मन है। शायद अब वो दिन दूर नहीं जब आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता और मजबूत होगी। कम से कम यह तो शुरुआत है!

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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